Shaitani mann [part 93]

नितिन को नशे की लत है ,इसीलिए वह लड़कीवालों की तरफ से होने के नाते, अपने आप पर नियंत्रण रखे हुए था। जब उसे लगा ,सभी मंच पर पहुंच गए हैं और कुछ खाने में व्यस्त हो गए हैं ,तब वह ख़ाली जगह देख ,बगीचे में आ गया किन्तु वहां पर पहले से ही सात -आठ लड़के शराब पीने के साथ -साथ मस्ती मज़ाक कर रहे थे। वह भी एक तरफ बैठकर पीने लगा किन्तु उन लड़कों की बातें उसे स्पष्ट सुनाई दे रही थीं। तब उसने किसी को कहते सुना -भाई !अपने यार की तो किस्मत खुल गयी,उसके जाने के पश्चात तो वह टूट ही गया था। अब तो उसे क्या बला की खूबसूरत बीवी मिली है ?


उस लड़के की यह बातें सुनकर नितिन को लगा- अवश्य ही ,शिवानी और उसके पति के विषय में बात चल रही है ,ये ''उसके'' कौन है ? यह जानने के लिए वह उनसे पूछता है -तुम किसकी बाते कर रहे हो ?पहले तो वो बताते हैं -पारस ! किन्तु तुरंत ही उनके साथ का लड़का उसे कोई भी जानकारी देने से मना कर देता है और नितिन के यह कहने पर कि वो बाराती है ,उन्हें नितिन पर शक हो जाता है ,तब नितिन वहां से निकलने में ही अपनी भलाई समझता है ,तभी एक लड़का कहता है -अबे ओ  रुक! कहां जा रहा है ? पहले हमारे सवाल का जवाब तो दे। उनमें से एक लड़का, कुर्सी  से खड़ा हुआ और उसने नितिन का कॉलर पड़कर खींच लिया। 

नितिन को उसके इस व्यवहार पर क्रोध आ गया और बोला - कॉलर छोड़ !

नहीं छोडूंगा ,पहले तू हमें यह बता ! तू किस गांव का है ? कहां से आया है ? हमने तो तुझे बारात में नहीं देखा , तू कौन है ? और पारस के विषय में क्यों पूछ रहा था ? इस समय नितिन अपने को फंसा हुआ महसूस कर रहा था। वह भी नशे में तो था, किंतु इतना तो समझ सकता था कि वह विवाह उसकी मौसी की लड़की का है और उस विवाह में कुछ परेशानी नहीं आनी चाहिए।

 तब वह बोला -मैं उसके दफ्तर में काम करता हूं, उसका सहयोगी हूँ और कुछ पूछना है कह कर आगे बढ़ना ही चाह रहा था किन्तु उसने अपनी पकड़ ढीली नहीं की ,उन लड़कों ने भी तो पी रखी थी। बाराती थे ,लड़केवाले की तरफ से थे ,इस बात की भी अकड़ थी। 

 उसके दफ्तर में काम करता है लेकिन उसके विषय में नहीं जानता, यह कहकर वह हंसने लगा और बोला -तू, झूठ बोल रहा है। 

नहीं, मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं नितिन ने आगे बढ़ना चाहा किन्तु एक ने उसे पकड़कर खींच लिया और बोला -तूने कुछ सुना तो नहीं। 

वही तो मैं पूछना चाह रहा था ,ये पारस !क्या हस्ती है ? क्या ये कभी शिमला गया है ?

तुझे क्या लेना ? तू उसकी बारात में आया है ,उसके दफ्तर में साथ में है और तू उसका नाम तक नहीं जानता, वो कहीं भी जाये। 

अरे ,मुझे छोड़ तो सही,अभी सारी  बातें बतलाता हूँ, नितिन के कहने पर,उस लड़के ने अपनी  पकड़ थोड़ी ढीली की ।   

मुझे तो लग रहा है ,यह कोई बहरूपिया है ,इसको यहीं पकड़कर रखो !कहीं ये किसी से कुछ कह न दे। 

हो सकता है ,लड़कीवालों की तरफ से ही हो,तीसरे ने कहा। आगे बढ़ते हुए बोला -तू बारात में आया है ,तो जा कहाँ रहा है ?आजा !हमारे साथ बैठ !

नहीं ,मैंने अभी तक कुछ नहीं खाया है ,बड़े जोरों की भूख लगी है ,पहले कुछ खाकर आता हूँ ,तब बैठकर आराम से बातें करेंगे,कहते हुए जाने लगा। 

अरे यार !इसे तो मैंने लड़कीवालों की तरफ से देखा था ,तभी उनका एक दोस्त स्मरण करते हुए बोला -रोक साले को ,नितिन ने उसकी बातें सुन लीं और भागने का प्रयास करने लगा और वे उसके पीछे दौड़ लगा रहे थे। नशे में वे भी थे और नशे में नितिन भी था। वे छह -सात थे और नितिन अकेला था। इक्का -दुक्का ही वहां कोई घूम रहा था ,ज़्यादातर सभी दूल्हा -दुल्हन के साथ फोटो खिंचवाने में व्यस्त थे। अपनी जिम्मेदारी पूर्ण करके खाने की ओर बढ़ रहे थे। बाहर बगीचे में ,कुछ लोगों को भागते -दौड़ते और चिल्लाते देखकर ,वहां जो इक्का -दुक्का घूम रहे थे ,उन्हें लगने लगा ये लड़के शराब पीकर किसी के साथ मार पिटाई करने पर उतारू हो गए हैं। 

वे लोग उन लड़कों की तरफ बढ़े और पूछा -यहाँ क्या हो रहा है ?

उन्हें देखकर वो लड़के थोड़े शांत हुए और बोले -कुछ नहीं ,हमें लगा, यहाँ कोई चोर घुस आया है ,उसी के पीछे भाग रहे थे। तब तक नितिन एक झाड़ी के पीछे छुप गया था। 

तुम लोग चलो !भोजन कर लो ! उसे हम देख लेंगे ,उन आदमियों ने, उन लड़कों से  कहते हुए वे भी इधर -उधर देखने लगे। नितिन को जब लगा ,वे लोग चले गए हैं  ,तब वह धीरे से झाड़ियों के पीछे से निकला और आगे बढ़ गया। उसके मन में उन लड़कों की कही बातें बार -बार घूम रहीं थीं ,अच्छा, तो उस दूल्हे का नाम' पारस' है उसका किसी लड़की के साथ कोई संबंध रहा होगा किन्तु उस लड़की का क्या हुआ ?मेरे मन में यह अचानक' शिमला' वाली बात कैसे आई ?वह भोजन कर रहा था किन्तु दिमाग़ कहीं और ही सोच रहा था।

कई बार ऐसा ही होता है ,हम किसी चीज को अथवा विषय को लेकर गहराई से सोच रहे होते हैं। तब वो बात स्मरण नहीं होती किन्तु हमारे मानस -पटल में कहीं अंकित अवश्य रहती है और अचानक ही मुँह पर आ जाती है। आज नितिन के साथ भी तो ऐसा हुआ, इतनी देर से सोच रहा था। इस होने वाले दूल्हे को कहाँ देखा ?और अचानक ही उन लड़कों के सामने शहर का नाम ही उभर आया।  

तब नितिन को ध्यान आया ,पिछले वर्ष वह भी तो शिमला गया था ,सोचकर ही उसका मन कसैला हो गया। सौम्या के इंकार करने पर ,उस बात को मैं सहन न कर सका और उसका सामना करने से बचने के लिए मैं शिमला गया था ,वहीं इसको भी देखा था। उसके पश्चात तो जैसे सम्पूर्ण घटनाएं किसी चलचित्र की भांति उसकी नजरों के सामने घूमने लगीं। तभी उसे स्मरण आया ,एक लड़की और एक लड़का एक दूसरे की कमर में अपनी बांहों को डाले हुए ,उसके सामने से गुजर गए थे। नितिन तो अपनी ही परेशानियों में, उलझा हुआ था। वह सौम्या के इनकार को, स्वीकार नहीं कर पा रहा था।वह बैठा हुआ शराब पी रहा था , तभी पारस  मेरे सामने से निकाल कर गया था किंतु जब वापस आया था तो उसके साथ कोई नहीं था। हो सकता है ,उसे छोड़ने गया हो , इतना सोचने की फुर्सत ही किसे थी ?''हम अपने ग़म में ऐसे डूबे ,ज़िंदगी को ही भुला दिया। ''

अब तो,  नितिन को सभी बातें स्मरण हों आईं , शिमला में ऐसा क्या हुआ था ? पारस ने क्या किया था ? क्या नितिन शिवानी को पारस की सच्चाई बता पाएगा, क्या शिवानी का विवाह टूट जाएगा ? जानने के लिए आगे बढ़ते हैं , अपनी समीक्षा द्वारा, साथ देते रहिए !

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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