विवाह के सभी कार्यक्रम, आराम से हो रहे थे। सभी छोटे बच्चे लगभग सो ही गए थे। शिवानी के फेरे भी हो गए थे और अब 'बसोड़' की तैयारी हो रही थी। तब पद्मिनी जी , नरेंद्र जी से बोलीं -अब तो आपको अपने बेटे को बुला लेना चाहिए , ये रस्में ,यह दिन बार -बार नहीं आते , तैयारी करते-करते भी 6:00 बज गए हैं। अब तो वह उठ ही जाएगा , यदि सोना चाहेगा तो लड़की के विदा होने के पश्चात सो जाएगा।
ठीक है, मैं किसी को घर पर भेजता हूं और उसे बुलवाता हूं , कहते हुए वे उस जगह से बाहर आए, और किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढने लगे, जो घर जाना चाहता हो या जा रहा हो किंतु उन्हें कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, तब वे स्वयं ही, घर के लिए बाहर खड़ी गाड़ी से चल देते हैं। घर पहुंचते ही जोर से बोले -ताकि वो उनकी आवाज सुनकर स्वयं ही बाहर आ जाये। नितिन ! ओ नितिन ! बेटे कहां हो ? उनकी आवाज से नितिन तो नहीं उठा, किंतु एक दो बड़े जिम्मेदार आदमी अवश्य उठ गए।
भाई साहब ! क्या बात है ?नरेंद्र जी !नितिन को क्यों बुला रहे हैं ?
अरे आप भी अभी यहीं हैं ,लड़की की विदाई का समय आ गया है, नितिन को ढूंढ रहा हूं। कल रात को यही आया होगा।
यहां तो नितिन नहीं आया है , न ही उसे हमने कहीं देखा है।मैं रात्रि में ,बढ़ बजे यहाँ आया था ,तब तो यहां कोई नहीं था। हो सकता है ,मेरे आने के बाद आया हो। मैं देखता हूँ ,वे आस -पास के कमरों में देखते हैं और कहते हैं -यहाँ नितिन नहीं है।
ऐसा कैसे हो सकता है ? रात में वहां भी दिखलाई नहीं दिया था, हमने सोचा, घर चला गया होगा। वह यहां भी नहीं है, तो फिर कहां गया ? वे स्वयं जाकर उसे घर में ढूंढने का प्रयास करते हैं। उस घर में कमरे ही कितने हैं ? मात्र चार कमरे हैं, उन्हें उसे ढूंढने में ज्यादा समय नहीं लगा। तब उन्हें भी कुछ अनिष्ट की आशंका होने लगती है , मन की घबराहट को छुपाते हुए बोले -ठीक है, मैं वापस मंडप में जाता हूं, हो सकता है- वहीं कहीं सो रहा होगा अपने मन की आशंका को झुठलाते हुए बोले।
ठहरिये !मैं भी चलता हूँ।
जल्दी चलिए !मेरे पास समय नहीं है ,अपने पति को, अकेले आते देखकर, पद्मिनी जी ने पूछा -क्या नितिन नहीं आया ?
वह तो वहां है ही नहीं , परेशान होते हुए बोले।
वहां नहीं है, तो फिर नितिन कहां गया ? पद्मिनी जी ने पूछा।
अब मैं क्या कह सकता हूं ? मुझसे कहकर थोड़े ही गया है झुंझलाते हुए नरेंद्र जी बोले।
मैं आपसे पहले ही कह रही थी, कि मुझे लड़का कहीं नहीं दिखलाई दे रहा किंतु आपने मेरी एक नहीं सुनी , आप मेरी सुनते ही कब है ? मेरी बातों पर ध्यान ही नहीं देते हैं, घबराहट के कारण, पद्मिनी जी का स्वर तेज हो गया।
क्या हुआ दीदी ! क्यों परेशान है ? उनकी छोटी बहन ने आकर पूछा।
अरे, अब क्या बताऊं ? तुम्हारे जीजा जी से कहा था, नितिन को अपने पास बुला लो ! किंतु कहने लगे-' कहीं सो गया होगा, घर पर गया होगा , जब से अटकलें लग रहे थे। अब मैंने सोचा -वह भी अपने जीजा का टीका कर लेगा। अब बुलवाने भेजा , वह तो घर पर भी नहीं है।
शांतिपूर्वक वह बोली -घर पर नहीं है, तो यही कहीं सो रहा होगा,घबराने की बात नहीं है ,छोटा बच्चा नहीं है ,जो खो जायेगा साँत्वना देते हुए वो बोली।
मुझे तो कहीं भी दिखलाई नहीं दे रहा। उनकी परेशानी को देखते हुए, मंडप में जितने भी, लोग कार्य कर रहे थे, उन्होंने उनसे कहा-हमारा जवान लड़का है , जरा उसे ढूंढिए ! वह यहीं कहीं होगा , मिल नहीं रहा है।
कितना बड़ा है? उन्होंने सोचा कोई बच्चा होगा।
चौबीस -पच्चीस साल का लड़का है , एक व्यक्ति मुस्कुराया और बोला -रात को कुछ लड़कों ने शराब पी थी, मुझे लगता है वह भी कहीं पी -पाकर लेट गया होगा।
उसकी बात सुनते ही पद्मिनी जी को क्रोध आ गया और गुस्से से बोलीं -मेरा बेटा पीता नहीं है , चुपचाप उसे ढूंढिए ! हो सकता है, कहीं पड़ा सो रहा हो , अपने भी मन को समझाते हुए बोलीं।
वहां पर जो मेहमान आए थे, वह भी थोड़ा परेशान हो गए थे, इसी कारण, नरेंद्र जी वहां के वातावरण को सामान्य बनाए रखने के लिए बोले -समझदार बच्चा है ,पढ़ा- लिखा है। हो सकता है, गहरी नींद आ गई हो यहीं कहीं सो गया हो।
मंडप में जितने भी काम करने वाले थे, सबने उस जगह को छान लिया किंतु कहीं भी नितिन दिखलाई नहीं दिया। पद्मिनी जी तो अपने बेटे के कारण, घबराकर रोने लगीं । आजकल किसी का पता नहीं चलता, मन में बुरे- बुरे विचार आ रहे थे। कहीं किसी ने पीकर उसे पीट तो नहीं दिया। कहीं किसी ने उसकी कोल्ड ड्रिंक में शराब तो नहीं मिला दी। कहीं किसी से झगड़ा तो नहीं हो गया। यहां तो वह किसी को जानता भी नहीं , फिर उसके साथ क्या हुआ होगा ? वह अचानक बिना बताए,इस तरह कहां चला गया ? अनेक बुरे विचारों ने उन्हें घेर लिया ,किसी भी कार्य में मन नहीं लग रहा था। ऐसे समय में पारस और शिवानी भी परेशान हो गए , घर के लोग चाह रहे थे ,कि जल्दी ही, बेटी की रस्म हो और विदाई की रस्म पूरी करके इसको विदा किया जाए किंतु नितिन कहीं नहीं दिख रहा था, तब ऐसे में किसी की हिम्मत भी नहीं हो रही थी कि कोई कहे ! रस्म पूरी करके बेटी को विदा करें !
सुबह के 7:00 गए थे, किंतु नितिन का कहीं भी पता नहीं चल पा रहा था, ढूँढ़ने वालों ने भी आकर कोई अच्छी सूचना नहीं दी। उसको फोन लगा कर देखा, उसका फोन भी नहीं लग रहा था। पद्मिनी जी की तो हालत ही खराब होती जा रही थी।
वहां के हालात देखकर तो ऐसा लग रहा था, अब यह रस्म नहीं हो पाएगी। नरेंद्र जी बार-बार अपने आप को या फिर परिवार वालों को समझा रहे थे -समझदार, पढ़ा -लिखा लड़का है, कहीं फस गया होगा ,वरना ऐसे में कहाँ जायगा ?यहाँ किसी को जानता भी नहीं ,उसकी मम्मी ने ही कहा था -भइया !अपनी बहन के विवाह के लिए छुट्टी ले लेना। वो तो इम्तिहान की तैयारी कर रहा था किन्तु इस विवाह के लिए समय निकलकर आया ,वे उन लोगों को दिखला देना चाहते थे कि उसने अपने व्यस्त जीवन में से किस तरह कुछ पल निकाले।
उनकी बात सुनकर ,पद्मिनी जी बोलीं - वही तो मैं भी नहीं समझ पा रही हूं, कहां फंस गया है ? फँस गया है तो उसने हमें क्यों नहीं बताया ? फोन नहीं किया। कम से कम बता तो देता, कि मैं कहां पर हूं , आ रहा हूं यह थोड़ा समय लगेगा। मन में गलत विचार तो आ रहे थे किंतु कुछ भी अनुचित शब्द बोलने से भी मन घबरा रहा था।
क्या नितिन ,शिवानी के विदा होने से पहले ,उन्हें मिल जायेगा या नहीं ,यदि वह मिला भी तो उस समय क्या हालात होंगें ?क्या नितिन शिवानी को पारस की सच्चाई बता पायेगा ?क्या उसकी विदाई को रोक देगा ?अनेक प्रश्नों के जबाब पाने के लिए आगे बढ़ते हैं ,अपनी समीक्षाओं द्वारा मनोबल बढ़ाते रहिये !