धूम धड़ाके के साथ, शिवानी की बारात आई। बारात में बहुत लोग नाच -कूद रहे थे ,ज़्यादातर जो बारात में आये थे ,लड़के के मित्र और रिश्तेदार ही तो थे ,जो चढ़त में नाचते -गाते आगे बढ़ रहे थे , उनमें कुछ लोग ऐसे भी थे, जो शराब की बोतल साथ में लिए घूम रहे थे और पीने वालों को पिला रहे थे। शिवानी के घरवालों ने तो पहले ही ,मना कर दिया था ,कि यहाँ पीने -पिलाने का कोई इंतजाम नहीं होगा ,न ही हम लोग पीते हैं और न ही पिलाते हैं ,यदि फिर भी किसी को लगता है ,वह अपना इंतजाम करके लाये,किन्तु एक शर्त है - पीने के पश्चात जो झगड़े -फ़साद होते हैं ,वे हमको नहीं चाहिए।
तब लड़के ने भी शिवानी को आश्वासन दिया था कि ऐसा नहीं होगा। किन्तु विवाह के माहौल में कोई कहाँ किसी की सुनता है। उसके कुछ दोस्त ,कुछ गांव के लड़के कहने लगे -शराब के बिना, विवाह में कैसी मस्ती ?तब लड़के ने चुपचाप दोस्तों के लिए इंतजाम करा ही दिया और उनसे कहा -'कोई पूछे तो कह देना ,हम अपनी बोतल लाये हैं। 'ऐसे में नितिन की भी बहुत इच्छा हुई कि वह भी एक -दो पैग लगा ले ,किन्तु वो तो लड़की वालों की तरफ से था। अपने पर नियंत्रण रखने का प्रयास किया। सभी एक -दूसरे के लिए अज़नबी थे।
लड़की के घर वाले भी बड़ी देर से प्रतीक्षा कर रहे थे कि अब तक बारात नहीं आई ,बारात कुछ देरी से आई थी। सभी मंडप पर पहुंच गए और उनके स्वागत के पश्चात ,सभी नाश्ता करने लगे। अभी तक नितिन ने लड़के को नहीं देखा था। सोचा था ,थोड़े अन्य कार्य निपटाकर,आराम से जयमाला पर आ जाऊंगा। शिवानी को अभी आने में समय लगेगा , शिवानी की एक सहेली ने, उसकी मम्मी से कहा -वह अभी मेकअप करा रही है ,
यह शब्द नितिन ने सुन लिया, मन ही मन सोच रहा था वह तो वैसे ही बहुत सुंदर है उसे मेकअप की क्या आवश्यकता है ? क्योंकि वह 'दुल्हन' है, दुल्हन को तो आज के दिन कुछ विशेष ही दिखना होता है।ये शब्द उसके कानों में पड़े ,उसे लगा, जैसे किसी ने उसके मन की बात कह दी हो। एक बार को नितिन को लगा, काश ! ये मेरी बहन न होती, दूसरे ही पल, उसने अपनी वह गलत सोच एक ही झटके से बाहर निकाल दी।
ये इंसान का मन ही तो है,जो कुछ भी सोचने लगता है ,अच्छी बातें सोचेगा तो किसी का ध्यान नहीं जायेगा किन्तु जैसे ही गलत विचार उसके अंदर प्रवेश करने लगते हैं ,तभी उसका ''मन शैतानी ''हो जाता है ,कई बार इंसान उन विचारों को सोच ,स्वयं भी उस'' शैतानी चक्रव्यूह'' से निकलने का प्रयास करता है किन्तु कई बार वो विचार इतने हावी हो जाते हैं ,उसे उचित -अनुचित का भान ही नहीं रहता, ऐसा ही एक शैतानी विचार कुछ देरी के लिए ही सही, नितिन के मन में भी आया किन्तु शायद ,परिस्थिति को देखते हुए ,उस विचार को त्याग सोचने लगा - यह भी गर्व की बात है, कि मेरी मौसी की लड़की इतनी सुंदर है। कोई भी इसे पसंद क्यों नहीं करता ? पढ़ी- लिखी होने के साथ-साथ समझदार भी है।
फिल्मी गानों के साथ, शिवानी मंच की ओर जयमाला लिए आगे बढ़ रही थी। सभी में हर्षोउल्लास था, कुछ सीटियां बज रहे थे, तो कुछ तालियां बजा रहे थे। काफी शोर मचा हुआ था। नितिन थकावट महसूस कर रहा था। भूखा भी था, बार-बार उसका कुछ पीने का मन कर रहा था किंतु अपने को नियंत्रित किए हुए था। सोच रहा था, एकांत मिले, सब अपने-अपने कार्यों में व्यस्त हो जाएंगे। तब मैं आराम से अपने खाने -पीने के विषय में सोचूंगा । सामने मंच पर, दो कुर्सियां रखी थीं , उन कुर्सियों पर एक अनजान शख्स बैठा हुआ था।उसे देखकर नितिन ने सोचा - यह शिवानी का होने वाला दूल्हा था , उसको देखकर, नितिन को लग रहा था जैसे मैंने इसे कहीं देखा है ? किंतु कहां देखा है ? यह समझ नहीं आ रहा था।
कभी-कभी हम किसी बात पर ध्यान नहीं देते हैं, और उसे शीघ्र ही भूल जाते हैं किंतु यह चेहरा वह भूल भी नहीं पा रहा है लेकिन इस चेहरे को उसने कहां देखा है ? बार-बार सोचने का प्रयास कर रहा था , जयमाला के लिए शिवानी आगे बढ़ती जा रही थी , वह उसके करीब आया और उसके कान में पूछा -क्या यही तेरा दूल्हा है ?
हाँ ,हंसते हुए वह बोली -क्या पसंद नहीं आया ?
नहीं, ठीक है, कहते हुए वह वहां से हट गया। उस लड़के का चेहरा बार-बार उसकी आंखों के सामने घूम रहा था, कहीं तो इसे देखा है। कहां देखा है ?समझ नहीं आ रहा। ज़्यादातर लोग मंच के समीप इकट्ठा हो गए। तब नितिन ने थोड़ी शराब पी , उस लड़के का चेहरा किसी हथौड़े की तरह, उसके मानस पटल पर ठक -ठक कर रहा था। अब तो मम्मी मेरे पास नहीं आ पाएंगी ,वहीं व्यस्त होंगी यही सोचकर उसने बहुत सारी शराब पी। अब वह बाहर बगीचे में आ गया था।
वहां कुछ लड़के आपस में बतला रहे थे -अपने यार की तो लॉटरी लग गई। कितनी खूबसूरत बीवी मिली है ? उसके जाने के पश्चात तो जैसे वह टूट ही गया था , पढ़ाई भी छोड़ दी थी, अब देखो! जिंदगी सही पटरी पर आ गई। नितिन ने, उन बातों को ध्यान लगाकर सुनना चाहा कि यह लोग किसकी बातें कर रहे हैं ?
तब वह उनके करीब गया, और पूछा -तुम लोग किसकी बातें कर रहे हो ?
अरे अपना पारस !! तभी दूसरे लड़के ने, उस लड़के से आगे बोलने से मना कर दिया और नितिन से पूछा - तुम कौन हो ?
मैं भी शादी में ही आया हूँ ,
घरवाले हो या बाराती !
बिना सोचे समझे ,उनका विश्वास पाने के लिए नितिन बोला -बारात में ही आया हूं।
तुम्हें पहले तो हमने कभी नहीं देखा , शंका से उस लड़के ने पूछा।
हमने भी तुझे नहीं देखा, तू किस गांव अथवा शहर का है ? नितिन तो, उस होने वाले जीजा के विषय में कुछ ज्यादा जानता ही नहीं था,यहाँ तक कि उसका नाम भी...... या वह किस शहर अथवा गांव से है। उसने यह बात पूछने की जरूरत ही महसूस नहीं की।मन ही मन अपनी लापरवाही पर पछता रहा था। कम से कम विवाह का निमंत्रण- पत्र तो देख ही लेता। देखता भी कैसे ?मम्मी का फोन आया और यहाँ चला आया। हां इतना अवश्य जानता है, कि शिवानी और वह दोनों साथ में नौकरी करते हैं अभी तक तो वह यह भी नहीं जान पाया था, यह पारस कौन है ? उसने वहां से खिसकने में ही, अपनी भलाई समझी और बोला -मैं अभी आता हूं।