Shaitani mann [part 109]

आज नितिन को, तहकीकात के लिए बुलाया जाता है , इंस्पेक्टर सुधांशु, उससे कुछ सवाल करते हुए उससे पूछते हैं -कि उसके परिवार में कितने सदस्य हैं ? वह जानना चाहते थे, यह उच्च मध्यम वर्गीय परिवार से संबंधित है, तब भी इसके घरवाले इस तरह पार्टी करने के लिए इसे पैसे नहीं देंगे ,तब यह इतना खर्चा कैसे कर लेता है ?

तब नितिन उन्हें बताता है- मेरे दादा हमारे साथ रहते हैं और अपने माता-पिता की मैं अकेली संतान हूं। 

तुम उनकी अकेली औलाद हो, उनकी उम्मीदों का सहारा हो, खूब नाम रोेशन कर रहे हो। हमने पता लगवाया है , माना कि उनका व्यापार अच्छा है किन्तु जहाँ तक हमने जाना है ,वो तुम्हें इस तरह फ़िजूलखर्ची के लिए पैसा तो नहीं देंगे। खैर !यह सब छोड़ो ! पार्टी करने का तुमने हमें कोई उचित कारण नहीं बताया। लोग पार्टियां  तभी देते हैं, जैसे -जब उनका कोई जन्मदिन हो , तुम्हारे लिए तो पार्टी का यही कारण हो सकता था। क्या उस दिन तुम्हारा 'जन्मदिन' था ?



इंस्पेक्टर के क्रोध और उनके तर्क को सुन नितिन की अकड़ थोड़ी कम हुई ,ऐसे तो पार्टी का कोई विशेष कारण नहीं था, नितिन हकलाते हुए बोला। 

हाँ ,तुमने बताया मौज -मस्ती के लिए तुम अक्सर पार्टियां देते रहते हो, मुस्कुराते हुए इंस्पेक्टर ने कहा -उस दिन तुमने किस-किस को पार्टी में बुलाया था ?

कुछ सोचते हुए, नितिन कहता है -लगभग मेरे सभी मित्र थे , 

क्या तुम, उनका नाम लिखकर हमें दे सकते हो ?

ऐसे मैंने कोई सूची नहीं बनाई थी, हां,जिन्हें मैं जानता था उनसे मैंने पार्टी में आने के लिए कह दिया था। 

क्या उस पार्टी में तुमने कविता को भी बुलाया था  और वह आई थी ? 

कविता भी आई थी।

 कविता को तुम कैसे जानते हो ?

ये क्या बात हुई ?कॉलिज की लड़की है ,जान तो जाते ही हैं।

कॉलिज में तो और भी लड़कियां हैं ,ऐसे तो हम बहुत से लोगों को जान जाते हैं ,किन्तु सभी को तो हम पार्टी में नहीं बुलाते, तुमने सौम्या को तो पार्टी में नहीं बुलाया। 

''सौम्या'' का नाम इंस्पेक्टर के मुँह से सुनकर नितिन का चेहरे पर क्रोध का भाव आया किन्तु तभी अपने आपको संभालते हुए बोला -ये क्या बात हुई ? इसे बुलाया ,उसे क्यों नहीं बुलाया ?आप ऐसी तहक़ीक़ात कर रहे हैं ,उसके चेहरे पर उलझन स्पष्ट नजर आ रही थी। 

तुम ही बता दो ! हम कैसी तहकीकात करें ? हमने तो सुना है,तुम तो सौम्या से प्रेम भी करते थे और एक दिन वह तुम्हारी पार्टी छोड़कर भी चली गई। 

यह सब आपसे किसने कहा ? गुस्सा करते हुए नितिन बोला। 

क्यों, क्या ऐसा नहीं हुआ था? वह तुम्हारी पार्टी छोड़कर क्यों चली गई थी ?

अब इसमें मैं क्या बता सकता हूं ? उसका अपना मन है, पार्टी में रहना है या जाना है यह तो उस आदमी पर निर्भर करता है। 

जो तुम्हारी दोस्त थी, और जिसे तुम प्रेम करने लगे थे वह इस तरह अचानक पार्टी छोड़कर क्यों चली गई ? क्या तुमने यह जानने का प्रयास नहीं किया ?

किया था किंतु उसने कोई जवाब नहीं दिया सौम्या की बात पर उसके चेहरे पर गुस्सा था। 

तुम्हें गुस्सा तो बहुत आया होगा, इस तरह तुम्हारा अपमान करके चली गई। 

इसमें गुस्से वाली क्या बात है ? चली गई तो चली गई, सामान्य बनने का प्रयास करते हुए बोला।  

इतना ही नहीं, उसने किसी अन्य लड़के से, सगाई भी कर ली , दोस्तों के सामने तुम्हारी तो बेइज्जती हो गई होगी इंस्पेक्टर जानबूझकर बात को बढ़ा रहे थे।  

इन सब बातों का अब क्या मतलब है ? खीझते हुए नितिन ने पूछा। 

क्या, तुम्हें गुस्सा नहीं आया होगा ?

गुस्सा आएगा भी, तो मैं क्या कर सकता था ?

आदमी जानने का प्रयास करता है, जो लड़की उसकी इतनी अच्छी दोस्त थी , उसकी जन्मदिन की पार्टी छोड़कर चली गई, उससे बात भी नहीं की और न ही उसे बधाई दी , इतना ही नहीं, उसने सगाई भी कर ली। मैंने तो सुना है, कविता भी तुमसे प्रेम करती थी। 

उससे क्या  फर्क पड़ता है ? हां, मुझे पता चला, किंतु मैंने उसे कभी उस दृष्टि से नहीं देखा । 

 और किस दृष्टि से देखते थे ?

और किस दृष्टि से देखूंगा, दोस्त ही समझता था और दोस्त के नाते ही उसको मैंने पार्टी में बुलाया था।

 किंतु अभी थोड़ी देर पहले तो तुम कह रहे थे -कि हां उसे जानता हूं ज्यादा जान-पहचान नहीं है और पार्टी में भी बुला लिया। उस दिन वह पार्टी में क्या पहन कर आई थी ?

मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया,हाँ , शायद' लाल रंग' की ड्रेस थी ?

क्या वह पार्टी से वापस चली गई थी ?

चली गई होगी, मुझे नहीं मालूम !

तुम्हारी एक लड़की दोस्त, तुम्हारी पार्टी में आती है और कब जाती है ?तुम्हें नहीं मालूम !जबकि वो भी तुमसे प्रेम करती है,उसका कत्ल हो जाता है और तुम पर कोई असर नहीं पड़ता है ,तुम्हारा प्यार ,तुम्हारा साथ छोड़ देता है किन्तु तुम पर कोई असर नहीं पड़ता है ,कमाल है ! अच्छा, यह तो तुम जानते होंगे, उस ''मड़ हाउस'' में तुम किस संन्यासी से मिले थे ?

यह सब मैं, नहीं जानता हूं, मैं तो अचानक ही उधर चला गया था , मैं सौम्या के कारण ही परेशान था कि उसने मेरे साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया इसलिए मैं उधर चला गया था। पहली बार जब मैंने  उसे देखा था तब वह कोई पूजा- हवन कर रहा था उसके पश्चात मैं नहीं जानता मेरे साथ क्या हुआ और क्या हो रहा है ?

मतलब ! मतलब यही कि मेरे दोस्त कह रहे हैं-कि मैं अर्धरात्रि में, उठकर  ऐसे ही चल देता हूं किंतु मुझे स्मरण नहीं रहता, और मैं यह भी नहीं जानता कि वह मुझसे झूठ बोल रहे हैं या सच ! क्योंकि मुझे उस विषय में कोई भी जानकारी नहीं है।

 यह तुम्हारी कोई चाल तो नहीं है, इंस्पेक्टर ने संदेह से उसकी तरफ देखा। 

इसमें मेरी क्या चाल हो सकती है ?

अच्छा यह बताओ ! दो महीने छुट्टी लेकर कहां गायब रहे थे ?

अपने घर गया था और कहां गया था ?

देखो ! तुम्हें झूठ बोलने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हमने पहले ही पता लगा लिया है कि तुम छुट्टी लेकर अपने घर नहीं गए थे और हम यह भी जानते हैं , तुम कहां गए थे ? किंतु हम तुम्हारे मुंह से सुनना चाहते हैं कि तुम कहां गए थे और तुमने इन दो महीना में क्या किया ?

मैं कुछ भी नहीं जानता, मैं मानसिक रूप से थोड़ा परेशान था इसीलिए बाहर चला गया था। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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