इंस्पेक्टर सुधांशु, की छानबीन सही दिशा पर जा रही थी और उन्होंने शक के आधार पर,'' प्रकाश'' को गिरफ्तार भी कर लिया था, हालांकि हवालात में आकर भी 'प्रकाश' अपना अपराध स्वीकार नहीं कर रहा था किंतु जब सुधांशु ने उसे डाँटा, और अपने तरीक़े से पूछताछ की ,तब वह डर के मारे, अपना अपराध स्वीकार करने ही वाला था ,तभी प्रकाश के पिता ,अपना वकील लेकर, उसकी जमानत के लिए आ गए।
इंस्पेक्टर सुधांशु ने इतने अपराधियों को पकड़ा है, उन्होंने कुछ दिन प्रकाश से बातें की थी और अन्य छात्रों से भी बातें की थीं ,तब उन्हें एहसास हो गया था कि यही उसका क़ातिल हो सकता है, किंतु'' सारे किये कराए पर पानी फिर गया।'' उसके पिता उसे जमानत पर छुड़ाकर ले गए। अभी इंस्पेक्टर सुधांशु के पास कोई ठोस सबूत नहीं है, इसीलिए उन्हें उसे छोड़ना भी पड़ा। वे जानते हैं , कि उन लड़के -लड़कियों में कोई तो ऐसा है, जो प्रकाश के अपराध पर पर्दा डाले बैठा है ,वही इस केस को ,पर्दे से बाहर ला सकता है इस अपराध के विषय में जानते हुए भी शांत है , वह खुलकर सामने नहीं आ रहा है।
वे उस सूची को ध्यान से देखते हैं ,तब वे विकास से कहते हैं -एक लड़की है ,जो अभी तक हमारे सामने नहीं आई है ,हो सकता है ,यह ऋचा को जानती हो या फिर उसके अपराधी को।
सर ! वो कौन है ? सुनंदा !ये लड़की अभी तक हमसे नहीं मिली है।
हाँ ,सर !जब हम कॉलिज में ,पूछताछ कर रहे थे,तब ये छुट्टियों में गयी हुई थी। ये भी, ऋचा की सहेली थी।
विकास !तुमने सोचा नहीं ,उसकी सहेली की हत्या हुई है और वो छुट्टी लेकर चली गयी तुम्हें कुछ अजीब सा नहीं लगा।
वह अभी तक हमसे मिलने नहीं आई है, जबकि हमने उसे बुलवाया था।
मुझे लगता है, वह बहुत कुछ जानती है किंतु शायद ,उसे भी डर हो कि जो ऋचा के साथ हुआ उसके साथ न हो, इसीलिए वह चुप है।
सर! कविता के केस का क्या हुआ ? क्या वह कार्य भी, प्रकाश का ही तो नहीं है।
हो भी सकता है और नहीं भी, प्रकाश का ऋचा को मारने के पीछे, उसका उद्देश्य था किंतु कविता को मारने के पीछे उसका क्या उद्देश्य हो सकता है ?
तब आपको क्या लगता है ? कविता का, कत्ल किसने किया होगा ?
इतनी जल्दी, हम किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते, उस कॉलेज में कुछ लड़के, ऐसे भी हैं , जो बड़े ऐशो - आराम की जिंदगी जी रहे हैं , जबकि हमने पता लगाया, उनके परिवार वाले तो मध्यवर्गीय परिवार से ही हैं। छात्रों का एक दूसरा संगठन और है ,और वह है,' नितिन और उसके दोस्तों का संगठन !! यह लोग भी कुछ न कुछ करते रहते हैं। मुझे इन लोगों पर भी शक है, क्योंकि यह नितिन नाम का लड़का, सौम्या से प्यार करता था। सौम्या ने भी इनकार किया।
किंतु सौम्या का कत्ल नहीं हुआ, यहां कविता का कत्ल हुआ है सर !
हां उसी उलझन में ,तो मैं फंसा हुआ हूँ , भला कविता की किसी से क्या दुश्मनी हो सकती है ? वही हमें जानना है।
किंतु एक लड़का को कह रहा था कि कविता , नितिन से प्रेम करती थी।
कुछ समझ नहीं आ रहा जिस लड़की ने इनकार किया उसका कत्ल नहीं हुआ , बल्कि जो लड़की उससे प्यार करती थी,उसका क़त्ल हो गया। यह कत्ल किसने किया ? यह पता लगाना भी मुश्किल हो रहा है, क्योंकि जो भी कातिल है , वह बहुत ही शातिर है।
सर! कहीं ऐसा तो नहीं, जो केस इंस्पेक्टर कपिल ने बतलाए थे, उनमें से ही, इस केस के साथ भी संबंध हो।
हां, यह भी हो सकता है, किंतु उस क़ातिल को ढूंढने में पुलिस दो सालों से लगी हुई है किंतु कातिल को नहीं ढूंढ़ पा रही है।
मुझे लगता है, क़ातिल हत्या कहीं और करता है और बॉडी कहीं और मिलती है।दो वर्षों से क़ातिल उन्हें घुमा रहा है किन्तु कविता से उसका संबंध कैसे हो सकता है ?या फिर प्रकाश ने ही दोनों हत्याएं की हों ।
एक दिन अचानक ही, शिवानी का फोन नितिन के पास आया। नितिन को लगा, अवश्य ही कुछ हुआ है पारस ने शिवानी के साथ अवश्य ही कुछ न कुछ किया है , मुझे भी अब सबूत मिल जाएगा। पारस की असलियत सबके सामने लाने के लिए, वह तत्पर था। हेेलो ! शिवानी तुमने मुझे फोन क्यों किया ? तुम ठीक तो हो, सीधे और स्पष्ट शब्दों में, नितिन ने उससे पूछा।
तुम ऐसा क्यों कह रहे हो ? तुमने उस दिन भी मुझसे यही प्रश्न किया था , अब मेरा विवाह हो गया है, ठीक ही होउंगी।
नहीं, मेरा मतलब यह है कि तुमने इस तरह अचानक से याद किया ,कोई परेशानी तो नहीं है।बात को थोड़ा बदलते हुए बोला।
नहीं, मुझे कोई परेशानी नहीं है, किंतु मुझे लगता है ,तुम्हें मेरे विवाह से अवश्य ही, कोई परेशानी है।
यह तुम क्या कह रही हो ?भला, मुझे तुम्हारे विवाह से क्या परेशानी हो सकती है ?
जब तुम्हें कोई परेशानी नहीं थी, तो तुमने पारस से ठीक से बात क्यों नहीं की ?
क्या, वह मेरी कुछ शिकायत कर रहा था ? नितिन ने गुस्से से पूछा।
तुम तमीज से बात करो ! वह तुम्हारे जीजा जी हैं।
वह सब तुम छोड़ो ! उन्होंने तुमसे, मेरी क्या शिकायत की है ?नितिन लापरवाही से बोला।
उन्होंने कुछ नहीं कहा है, किंतु उनके दर्द में बहुत कुछ कह दिया है।
क्या ?दूसरों को दर्द देने वाले भी, दर्द का अनुभव करने लगे।
यह तुम अपने आप से पूछो !
क्या मतलब ?
मतलब, तुम भी समझ रहे हो , जिस विषय में मैं, तुमसे कहना चाहती हूं,जो कुछ भी तुम्हें बताना चाहती हूँ ,वो ध्यान से सुनना !
तुम लोग ,कब मिले थे ?क्या तुम उसके विषय में कुछ जानती हो ?
अभी एक' डेढ़ साल'ही हुआ है ?
मन ही मन नितिन ने सोचा, इसने तो बहुत जल्दी तरक्की कर ली , वहां काम खत्म हुआ नहीं और यहां शुरुआत भी हो गई।
क्या सोच रहे हो ?
तुम्हें उसने कभी अपने बारे में कुछ बताया है।
हां, उन्होंने मुझे सब कुछ बताया है।
क्या सब कुछ ?वही मैं जानना चाहता हूं।
''पारस'' की पहले से ही एक पत्नी थी।
पत्नी थी या गर्लफ्रेंड !
कुछ भी कह सकते हो, वैसे उसका एक बार विवाह हो चुका है।
उस लड़की का क्या नाम था ? यह भी उसने बताया होगा।
हां,'' शिप्रा ''से उसका विवाह हुआ था।
अब वह लड़की कहां है ? उसने तुमसे विवाह क्यों किया ?
उसने मुझसे कोई जबरदस्ती विवाह नहीं किया और उसने अपने विषय में मुझे बहुत कुछ बताया भी है।
क्या बताया है ?मुझे भी तो पता चले।