Mysterious nights [part 46]

एक दिन अचानक ही गर्वित,शिखा के कमरे में आ गया और बोला -क्या कर रही हो ?

 शिखा उसे देखकर थोड़ा सहम गई, उसका इस तरह आना शिखा को अच्छा नहीं लगा।आज तक तो कोई बात भी नहीं हुई और आज इस तरह.....  आते ही ऐसे व्यवहार कर रहा था ,जैसे -हम दोनों एक -दूसरे को बड़े अच्छे से जानते हैं।  वह जानना चाहती थी कि वह यहां क्यों आया है ? वह एकदम से उठकर अपने बिस्तर से उठ खड़ी हुई और बोली -आप यहां क्यों आए हैं ?

मुझे आप मत बोलो !

आप मुझसे बड़े हैं। 


 बड़ा हूं तो क्या हुआ ?' तेजस' मेरा भाई था, अब तेजस तो रहा नहीं, तुम्हें कोई भी परेशानी हो तो मुझे आकर बता सकती हो। 

जी अवश्य ! वैसे मुझे अभी कोई परेशानी नहीं है। 

तब वह उसके कमरे में घूमते हुए बोला -  मैंने सुना है, तुम पढ़ना चाहती हो। 

शिखा को एक उम्मीद हुई ,शायद घर में मेरी पढ़ाई को लेकर बातचीत हुई है ,इसीलिए ये यहां आया है। यही सोचकर शिखा ने हाँ में गर्दन हिलाई ,तब  गर्वित बोला -हमारे यहां घर भी महिलाएं घर संभालती हैं , पढ़ -लिखकर नौकरी नहीं करतीं। 

पढ़ने- लिखने से तो ज्ञान बढ़ता है, नौकरी की तो आवश्यकता ही नहीं। वैसे आप क्या करते हैं ?

 मैं अभी ग्रेजुएशन कर रहा हूं, हमारे यहां जरूरी नहीं कि सभी पुरुष भी पढ़ें ,उनका अपना खानदानी काम है ,खेती-बाड़ी संभालना, होटल है, होटल संभालते हैं। अपने बालों में हाथ फिराते हुए बोला - हाँ ,इतना तो पढ़ ही जाते हैं कि कारोबार को अच्छे से समझकर संभाल सकें और अभी हमें कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं है ,हमारे बड़े जो संभाल रहे हैं। क्या तुम्हें बाहर जाना और घूमना पसंद नहीं है ? शिखा की आँखों में झांकते हुए गर्वित ने उसके चेहरे पर अपनी नजरें गड़ा दीं । 

घूमने जाना किसको पसंद नहीं है, किंतु 'तेजस' तो अब रहे नहीं हैं ।

 तो क्या हुआ? हम चारों भाई किसलिए हैं ,जो तुम्हारी हर सुख -सुविधा का भी ख्याल न रख सकें। 

 यह बात उसने इस तरीके से कही, शिखा को अच्छा नहीं लगा और बोली -अब मेरी कहीं जाने की इच्छा ही नहीं होती है।

 गर्वित उसे घूरते हुए बोला -अभी तुम्हारी इतनी उम्र भी नहीं हुई है ,जो अपनी इच्छाओं को मार दो !बला की खूबसूरत हो कहकर मुस्कुराया। 

 गर्वित की नजरों का वह सामना नहीं कर पा रही थी, उसे बहुत बुरा लग रहा था तब वह बोली -मम्मी जी ! नाराज होगीं , आपको जाना चाहिए। 

क्यों, क्या तुम्हारा मन नहीं करता किसी को अपना दोस्त बनाने का, किसी से बातें करने का ,उसने  शिखा की बातों को नजरअंदाज करते हुए पूछा।  

आप मुझसे ऐसी बातें मत कीजिए, शिखा ने कहा।

 मैं सोच रहा हूं , हमें कहीं घूमने जाना चाहिए। बताओ !तुम्हें कौन सी जगह अच्छी लगती है ?

 अभी तो आपको बताया मुझे कहीं घूमने नहीं जाना है। 

किसी ढीठ की तरह गर्वित वहीं एक कुर्सी पर बैठ गया ,अच्छा एक बात बताओ ! यदि तेजस जिंदा होता तो तब तुम उसके साथ कहां घूमने जाती ?

 जहां वह ले जाते,उसकी बातों को स्मरण कर मुस्कुराना चाहती थी किन्तु गर्वित के कारण मुस्कुरा भी न सकी।  

तो चलो, कभी तुम्हें बाहर घुमाकर लाते हैं। 

आपने मम्मी जी से पूछ लिया ,शिखा ने बहाना बनाया। 

 अरे, मम्मी ने ही तो कहा है-कि उसका ख्याल रखना है ? उसे कोई परेशानी न होने पाए अब हम ही तो तुम्हारे,अपने हैं। हमारे बिना यहां तुम्हारा कौन हैं ? हम भी खुश !तुम भी खुश ! हम लोग तो साथ के से ही तो हैं।इस तरह कब तक कमरे में बंद  रहोगी ? चारों भाई तुम्हारे लिए हैं.... कहते -कहते रुका और बोला -अब तुम हमारी जिम्मेदारी हो। 

अच्छा !अब आप जाइए, मैं कल आपसे बात करूंगी। 

बात नहीं करनी है यह बताना है कि मेरे साथ कहाँ घूमने जाना है या फिर कोई से तीनों में से एक भाई के साथ जाना है या हम चारों ही साथ चलोगी । 

शिखा ने सोचा -परिवार के साथ घूमना अच्छा रहेगा और वो बोली -यह भी अच्छा रहेगा, परिवार के सब लोग साथ में रहेंगे , उसकी बात सुनकर गर्वित मुस्कुराया और बोला अपने को तैयार रखना। 

गर्वित के व्यवहार से लग रहा था, उसकी सोच अच्छी नहीं है, उसका व्यवहार भी उसे सही नहीं लगा। जैसे ही वह बाहर गया ,शिखा ने झटके से दरवाजा बंद कर लिया, उसका गला सूख गया था। उसने जल्दी से जग़ ही मुँह से लगा लिया और पानी पीने लगी। मन ही मन सोच रही थी -किस तरीके से घूर रहा था ?लगता था आँखों ही आँखों में मुझे खा जायेगा।  इन लोगों से मुलाकात हुई है और वह भी इस तरीके से मैंने सोचा भी नहीं था। न जाने, किस तरह से देख रहा था ?

 तेजस जब उसे पहली बार मिला था कितनी मोहक मुस्कान !उसके साथ रहकर बात करके मुझे कभी बुरा नहीं लगा। जब उसके मन को थोड़ी शांति मिली तो सोचने लगी - मुझे भी तो पूछना चाहिए था कि तुम्हारी पत्नी कहां है ? उसे तनिक भी शर्म नहीं आई ,जो वह अपने भाई की पत्नी को इस तरीके से देख रहा था। 

अब शिखा, अपना कमरा हमेशा बंद रखती है , ताकि कोई भी उसके कमरे में इस तरह से अचानक न आ जाए। जब उसे लगता ,घर के सभी आदमी बाहर गए हुए हैं तब वह बाहर छत पर टहलने आ जाती है। 

आज भी उसने दमयंती को, किसी दूसरे कमरे में जाते देखा, वह उन कमरों का रहस्य नहीं समझ पा रही थी। लगता है, बंदिनी को भी दमयंती जी ने उसकी औकात दिखला दी थी,वह अब शिखा से कम ही बात करती थी। 

 शिखा के मन में यह रहस्य घर करता जा रहा था ,आख़िर इन कमरों का क्या रहस्य है ? वह वहां जाना चाहती थी किन्तु दमयंती जी तो अधिकतर घर में ही रहतीं। बंदिनी घर के अन्य कार्य करती किन्तु उन कमरों के क़रीब वह भी नहीं जाती ,या ये कह सकते हैं ,उन कमरों के पास जाने की उसे इजाज़त नहीं थी। एक आदमी आता था और वही उन कमरों में जा सकता था। 

यहाँ खड़ी क्या कर रही हो ?पीछे से आवाज आई ,शिखा एकदम से ड़र गयी। 

शिखा ने घूमकर देखा ,उसका दिल जोरों से धड़क रहा था ,एक महिला उसके पीछे खड़ी मुस्कुरा रही थी उसने उस अनजान महिला से पूछा -तुम कौन हो ?यहाँ कैसे आईं ?

मुझे यहाँ बुलाया गया है ,मैं शहर से आई हूँ। 

क्यों ?मम्मी जी तो नीचे रहतीं हैं ,जानती हूँ ,उनसे मिलकर आ रही हूँ ,उन्होंने ही मुझे आपके पास भेजा है। 

किसलिए ?

तुम्हारी साज -सज्जा के लिए ,मेरी शहर में एक दुकान है ,जहाँ महिलाओं को सजाया -संवारा जाता है। 

इस बात से मुझे क्या मतलब है ?

तुम्हें नहीं ,तुम्हारे परिवार को है ,मैं हर महीने यहाँ आती हूँ ,इस घर की महिलाओं की साज -सज्जा के लिए !

उसकी बात सुनकर ,शिखा की आँखें चमकने लगीं और बोली -इस घर की महिलाओं को तुम जानती हो। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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