प्रकाश अपना अपराध स्वीकार करने ही वाला था ,तभी उसके पिता अपना वकील लेकर वहां पहुंच गए। इंस्पेक्टर सुधांशु समझ रहा था। ये लोग पैसे के दम पर ,या अपनी पहुंच के आधार पर ,कैसे भी अपने बच्चे को छुड़वाने का प्रयास करेंगे। जब सुधांशु बाहर आया तो प्रकाश के पिता अपने वकील के साथ बैठे थे।
इंस्पेक्टर साहब !आपने प्रकाश को किस अपराध में पकड़ा है ?
उस पर एक लड़की की हत्या का आरोप है।
आपके पास क्या सबूत है ?कि उस लड़की की हत्या प्रकाश ने की है।
ये उस लड़की से प्यार करता था और उस लड़की ने इससे इंकार कर दिया। तब ये उसे जलाने के लिए अन्य लड़कियों से भी मिलने लगा।
इंस्पेक्टर की बात बीच में ही काटते हुए ,वो बोले -इसका अर्थ यह तो नहीं कि इसने उस लड़की का क़त्ल कर दिया, क्या आप जानते हैं ? प्रकाश एक होनहार बच्चा है। इसका इंजीनियरिंग का आख़िरी साल है और आप एक लड़की के लिए उसका भविष्य दांव पर लगा रहे हैं।
''लड़की'' से क्या मतलब है ?आपका !क्या वो इंसान नहीं थी ?उसकी जगह यदि आपका बेटा होता तो तब भी मैं यही करता। यह मेरा काम है ? आप मुझे एक बात बताइये ! क्या होनहार बच्चे अपराध नहीं कर सकते,जहाँ तक मेरा विचार है ,अपराध भी दिमाग वाले ही ज्यादा कर सकते हैं।
आपका कहने का मतलब है ,जितने भी ख़ूनी ,अपराधी जेल में बंद हैं,तब तो सभी होनहार होंगे व्यंग्य से वो बोले।
मैंने ऐसा कब कहा ?मेरे कहने का मतलब है ,जो सोच -समझकर षड्यंत्र रचता है ,उसमें उसका दिमाग़ ही तो कार्य करेगा, कोई मूर्ख ऐसी साज़िशें नहीं करेगा। मैं मानता हूँ ,कई बार आदमी अपराध करना नहीं चाहता, किन्तु उससे अपराध हो जाता है। यह उसका दुर्भाग्य कह सकते हैं, किन्तु जो सोच -समझकर योजना के तहत अपराध करता है ,उसे आप क्या कहेंगे ?उससे अपराध भी हुआ है और वो भी जानबूझकर।
हम यहाँ, ये सब सुनने नहीं आये हैं ,प्रकाश के पापा झल्लाते हुए बोले -देखिये !इंस्पेक्टर साहब !आप ये ठीक नहीं कर रहे हैं। आप बिना सबूत ही मेरे बेटे को उठा लाये। हम सम्मानित लोग हैं, कोई उठाईगिरे नहीं। हमने अपने बेटे की जमानत करवा ली है ,ये उसकी ज़मानत के कागज़ात हैं।
देखिये ! खून तो हुआ है।
तो खूनी को तलाश कीजिये !आप ऐसे ही किसी को उठाकर यहां नहीं ला सकते हैं।
हम उसे ऐसे ही उठाकर नहीं लाये हैं ,हमारे पास सबूत है।
दिखाइए ! क्या सबूत है ?हमें भी तो पता चले।
आपके बेटे ने स्वयं ही स्वीकार किया है कि उससे अपराध हुआ है।
आप लोगों ने उसे मारा -पीटा होगा और जबरदस्ती उससे उस अपराध को स्वीकार करने के लिए कहा होगा ,बेचारा बच्चा ड़र कर कह गया होगा। अरे ,वकील साहब !आप यहां बैठे क्या कर रहे हैं ?जब सब कुछ हमें ही करना है तो आप साथ में क्यों आये हैं ?लगभग परेशानी में चिल्लाते हुए प्रकाश के पिता बोले।
जी ,जी हकलाते हुए उनके वकील ने इंस्पेक्टर के सामने जमानत के कागज़ात रख दिए और बोला -अब आप उस लड़के को बाहर निकालिये।
जमानत के कागज़ात देखकर ,इंस्पेक्टर सुधांशु को क्रोध आया और बोला -दयाराम !उस लड़के को लेकर आओ !
घबराया हुआ ,प्रकाश !सारी हकीक़त कबूल करने वाला था किन्तु एन मौके पर उसके पिता ने अपने वकील के साथ आकर सम्पूर्ण परिश्रम विफ़ल कर दिया।अपने बेटे को देख , उसके पिता भावुक हो उठे और प्रकाश को गले लगाकर बोले -इंस्पेक्टर साहब !आइंदा किसी पर इल्ज़ाम लगाने से पहले ,सबूत के साथ -साथ यह देख लीजिये ,वह कौन है ?
अपराधी का कोई स्तर नहीं होता ,जब वो अपराध करता है ,हमारी नजर में एक अपराधी ही होता है। उसे भी तो यह सोचना चाहिए कि वह जो भी कार्य कर रहा है ,उसका दूसरे के जीवन और अपने जीवन पर क्या असर होने वाला है ? आपको अपने बेटे की फ़िक्र है उनसे पूछिए ,जिन्होंने अपनी बेटी को खो दिया ,उसके माता -पिता भी अपनी बेटी को पढ़ा -लिखाकर, उसके अच्छे भविष्य के स्वप्न देख रहे थे। उस लड़की ने इसीलिए आपके बेटे से इंकार किया क्योंकि वो वहां पढ़ने आई थी। प्यार -मोहब्बत के पचड़ों में फंसने के लिए नहीं आई थी। वो भी जीवन में कुछ बनना और करना चाहती थी और आपके बेटे ने क्या किया ?उसके इंकार को दिल पर ले लिया और उसे सदा के लिए सुला दिया।
फिर वही बात, आपके पास क्या सबूत है ?हमारे बेटे ने उसको मारा।
मारा ही नहीं ,उसके साथ बलात्कार भी किया।
ये आप किस बिनाह पर कह रहे हैं ?क्रोधित होते हुए वे बोले।
आप इसके चेहरे को देखिये !इसकी आँखें खुद अपना गुनाह स्वीकार कर रहीं हैं। तब इंस्पेक्टर बोला -कई बार हम पैसे के बल पर या सबूतों की कमी के कारण बच निकलते हैं किन्तु हम स्वयं जानते हैं ,हमने क्या किया है ?प्रकाश की तरफ देखकर बोले -बेटे !आज तो तुम जमानत के बल पर छूट जाओगे !किन्तु जब भी तुम्हारे विरुद्ध कोई ठोस सबूत मिला तो तुम्हें छोडूंगा नहीं ,तब तक तुम स्वयं ही अपराध भावना में जीते रहोगे।
उसके पिता से बोला -आपके पास पैसा है ,ये अच्छे से कॉलिज में पढ़ाई भी कर रहा है किन्तु इसे संस्कार भी सिखाइये !सहन करना भी सिखाइये !
आप हमें मत बताइये !हमें क्या करना है ?क्या नहीं ?हम अच्छे से जानते हैं ,हम अपने बच्चे की कैसे परवरिश कर रहे हैं या करनी है।तब अपने बेटे से बोला - चलो !
बाहर आकर वकील ने प्रकाश से पूछा -तुमने कुछ स्वीकार तो नहीं किया।
नहीं ,मैंने कुछ नहीं कहा।
तब ठीक है।
क्या ठीक है ?वकील साहब !हमें आने में तनिक भी देर हो जाती ,तो सब किये -कराये पर पानी फिर जाता।
सर !आपने उसे जाने क्यों दिया ?थोड़ी देर में ही वो टूटने वाला था विकास ने पूछा।
हाँ ,ये तो है किन्तु वे लोग आ गए ,इसीलिए हम कुछ नहीं कर पाए ,यदि उस लड़की की बॉडी भी मिल जाती तो कुछ न कुछ सबूत भी हाथ लग ही जाता। मैं ज्यादा इसीलिए भी तो कुछ कह नहीं सका क्योंकि उसके विरुद्ध हमारे पास कोई सबूत जो नहीं था।
वो जो आप सी.सी.टी.वी. कैमरे की बात कर रहे थे।
वो तो मैं ''अँधेरे में तीर'' चला रहा था और वो सही दिशा में जा भी रहा था। विकास ! मेरी नजर में एक लड़की है ,मुझे लगता है ,वह बहुत कुछ जानती है किन्तु अभी चुप है ,शायद उसे ड़र है ,कहीं उसका भी यही हाल न हो।
कौन सी लड़की ?सर !