Sandesh

किस डाक से भेजूं ? तुझे संदेश ! 

किस जिले में है ? तेरा पता !

न जाने जा बैठीं ,तुम देश पराये। 

किससे पूछूं ? या ढूंढू तेरा पता। 


तुम ही तुम मेरी ज़िंदगी में थीं,

 बिन तुम्हारे,अब कुछ नहीं पता।

चार काँधों पर, तुम्हें विदा किया। 

संदेश कैसे भेजूं तुम्हें ?नहीं, पता। 

याद में तेरी,जलता रहा ,मेरा जिया !

पूछता हूँ, साथ तुमने क्यूँ नहीं दिया ? 

मुझ अकेले को ,याद में तुम्हारी ,

तड़पने को, क्यों छोड़ा दिया ?

मेरे अतीत का पन्ना बन रुलाती हो।

हंसी पलों की याद दिला रुलाती हो।  

याद में तुम्हारी रोता, तुम्हारा पिया !

स्वयं साथ निभा न सकीं,

मतलबी रिश्तों के मध्य छोड़ दिया। 

जीवनभर का वादा था,तुमने किया। 

भटकता हूँ ,तेरी याद में , ढूंढता हूँ। 

तुम्हें ,ख़्वाबों में घर के हर अन्दाज़ में। 

मैं तो बेचैन था ,विकल था ,रोता था। 

 तूमने तो अपना नंबर भी नहीं दिया।

 इस दिल ने,तुम बिन........ 

 धड़कनों की ताल को भुला दिया। 

भेजूं संदेश ! क्या तुम समझोगी ?

तुम बिन ,जलता है , मेरा जिया !

ओ प्रिया ! तूने पता भी नहीं दिया।  

तनिक सपनों में ही , आ जाओ !

प्यार से तनिक मुझको समझाओ !

मिलन हमारा, सात जन्मों का था। 

एक जन्म भी तुमने पूरा नहीं किया।  



laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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