Mysterious nights [part 35]

बच्चे तो बच्चे ही होते हैं, फिर चाहे वह विवाह लायक ही क्यों न हो जाएं  ? बड़ों के अनुभव और प्यार के सामने वे अपना भला -बुरा कहां ठीक से समझ पाते हैं ? किंतु यह उम्र ही ऐसी होती हैं, ऐसे में यदि वो प्यार के बंधन में जकड़े हुए हों ,तब वह प्यार अच्छा -बुरा ,लाभ -हानि नहीं सोचता। कोई समझाये तो समझना भी नहीं चाहता। ऐसे ही, शिखा और तेजस दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगे थे।अभी प्यार की पहली सीढ़ी भी पार न की थी और ये हादसा हो गया। प्यार के नाम पर भावुक होने के लिए ,इतना समय भी काफी था। जब ''जगतसिंह जी'' ने उससे दो -चार प्यार के शब्द क्या बोल दिए ? ऐसे समय में शिखा का भावुक हो जाना स्वाभाविक था। ऐसे समय में 'जगत सिंह' जी ने भी बड़े प्रेम से, परिस्थिति का लाभ उठाया। हालातों  को देखते हुए अभी तो यह नहीं कह सकते कि वे परिस्थिति का लाभ उठा रहे हैं।


 जिन हालातों  में जगतसिंह जी का  बेटा सरपंच के घर के सामने पड़ा है, कोई भी आदमी, सोच भी नहीं सकता है कि ऐसे हालातो में कोई आदमी किसी का कैसे लाभ उठाने की सोच सकता है ? यह स्वाभाविक प्रवृत्ति है। कम से कम दुःख में तो नहीं सोचेगा। जगत सिंह जी भी सोच रहे थे -'दमयंती !ने ऐसा क्यों कहा ?'फिर सोचा -जो भी कहा बहुत ही सोच समझकर निर्णय लिया होगा। कुछ लोग दिल से सोचते हैं ,कुछ दिमाग़ से !दमयंती दिल और दिमाग़ से सोचने के साथ -साथ उसे व्यवहार में भी लाती है ,तभी तो अकेली इतने बड़े परिवार को संभाले हुए है।

जगतसिंह जी के बाहर चले जाने पर ,सरला से रहा नहीं गया और लगभग शिखा पर चिल्लाते हुए बोली -मैं मानती हूं, यह समय परेशानी का है किंतु तुझ पर ही परेशानी नहीं आई है , हम सभी परेशान हैं। हमें दुःख भी है। अब तू क्यों जा रही है, किसके लिए जा रही है ? अरे जिससे तेरा विवाह होना था, वह तो अब इस दुनिया में ही नहीं रहा। अब  वहां जाकर क्या करेगी ? तेरा तो विवाह भी ठीक तरह से संपन्न नहीं हुआ फिर तू वहां क्यों जाना चाहती है ? हम तेरे मां-बाप हैं, हमने जब उनसे मना कर दिया था और तुझे समझाया भी था। क्या तेरी समझ में यह बात नहीं आती ? क्या तू उनसे मना नहीं कर सकती थी। उसी के साथ तो तेरी जिंदगी थी, अब मौत के साथ जिएगी। एक बार वहां चली गई , तो विवाह भी नहीं होगा  ''अधूरी दुल्हन'' बनकर रह जायेगी , मां की बातें सुनते हुए भी शिखा चुप रही और चुपचाप कपड़े रखने  लगी। उसके हाथों को झटकते हुए, सरला बोली-क्या तुझे मेरी बातें सुनाई नहीं दे रही हैं  ? कुछ बोलती क्यों नहीं है ? तेरे मन में क्या है ?

क्या बोलूं ? जिंदगी ने मेरे साथ कितना बड़ा मजाक किया है ? जिसको चाहा था, वह तो चला गया , पीछे उसका परिवार है यह दुख उन्हें मेरे कारण ही तो मिला है। 

लगभग गिड़गिड़ाते हुए बोली -तू ऐसा क्यों सोचती है? तेरा ऐसा सोचना गलत है। यह तो उन लोगों की गलती है, उन्हें पहले ही ,अपने बेटे की जांच करानी चाहिए थी, उसका इलाज कराना चाहिए था। बल्कि उन्होंने हमें बताया भी नहीं,हमसे  झूठ बोला है, अपने बीमार बेटे को लेकर यहां चले आए। हमें स्वस्थ लड़के से विवाह करना था बीमार से नहीं। यह हमारी गलती नहीं है। हम यह चाहते थे कि तुम दोनों का विवाह हो किंतु यह नहीं चाहते हैं कि तू एक मृत देह के साथ विदा होकर जाए।संसार में क्या ऐसा कभी कुछ हुआ है ,जो ये अनहोनी रीत हमारे घर में होने जा रही है। ये उनका इकलौता बेटा नहीं है ,अभी चार और हैं ,कहते हुए सरला जी रोने लगीं।  

नहीं मम्मी ! उसके पापा ठीक ही तो कह रहे हैं -हमने साथ फेरे तो लिए हैं, उन फेरों में हमने एक दूजे को वचन भी दिया था। अब मेरा उन वचनों को निभाने का समय आ गया है। 

 कैसे वचन, कौन से वचन ! जिसको वचन दिया था अब वही नहीं, तब वहां जाकर क्या करेंगी ?तभी बाहर से आते हुए सरपंच जी बोले -मैंने सोचा था ,अपने आप ही बात संभाल लेंगी किन्तु तूने तो बोलने लायक ही नहीं छोड़ा। बाहर सभी लोग प्रतीक्षा में हैं। 

कम से कम इंसानियत के नाते वहां जाकर, उसके'' दाह संस्कार'' में सम्मिलित तो हो सकती हूं। 

वहां उसका अपना परिवार है, तेरे जाने से क्या हो जाएगा ? तुझे विधवा का चोला पहना देंगे जो कि तू नहीं है किसी अनिष्ट की आशंका से माँ का कलेजा हिल गया।  

रोते हुए, शिखा कहती है - कभी -कभी जीवन में ,ऐसा कुछ देखना पड़ जाता है ,जो कभी सोचा नहीं होता। मुझे ही देख लीजिये ! क्या आपने या मैंने ऐसा कभी कुछ सोचा था और हो गया ?मेरे साथ इससे बुरा और क्या होगा ?इन लोगों की बात का मान भी रह जायेगा कुछ दिनों पश्चात यहीं वापस आ जाउंगी। उसकी' मृत देह' बाहर है उसको भी सुकून न मिलेगा। 

सरपंच जी, क्या हो रहा है ? अब तो बेटी ने भी हाँ कह दी ,अब तो अपनी बात का मान रखिये ! हमें वापस जाना भी है, बाहर से हरीराम जी ने पुकारा। 

समझ नहीं आ रहा, मेरी बेटी की जिंदगी में क्या लिखा है ? अपने बेटे को लेकर जाते नहीं है , जब से यहीं  पड़े हैं, क्रोधित होते हुए सरला बोली।

हमारी बिटिया भी सही कह रही है, इनकी बात का मान भी रह जाएगा और कुछ दिनों पश्चात, यह वापस यहीं आ जाएगी , क्या कर सकते हैं ? जा ही नहीं रहे हैं, किसी को तो झुकना ही होगा ,गांववालों के सामने मैंने भी जुबान दे दी है सरपंच जी ने सरला और अपने आपको समझाया और बेटी के कुछ थैले उठाकर बाहर की तरफ चल दिए। 

चलते समय सरला जी ने फिर से बेटी को समझाने का प्रयास किया ,ज्यादा भावुक होने की आवश्यकता नहीं है। उसके ज्यादा करीब मत जाना ,जो होना था हो गया ,कहीं  ऐसा न हो ,ये बिमारी तुम्हें भी लग जाये। वहां तुम्हारी कोई देखभाल करने वाला भी कोई नहीं होगा। वहां के लोगों को देखना और समझना ,मौका लगते ही आने का प्रयास करना या फोन करना। तेरे पापा !तुझे लेने पहुंच जायेंगे। शिखा ने हाँ में गर्दन हिलाई और बाहर आ गयी। 

शिखा जैसी थी, वैसी ही आगे बढ़ चली ,तब एक बुजुर्ग महिला बोली -देखो !सरपंच जी के यहाँ कैसी अनहोनी रीत हो रही है ? पति रहा नहीं और ये' सुहागन' बनकर जा रही है।

आप परेशान न हों ,यहां से तो हम इसे ऐसे ही लेकर जा रहे हैं ,'बहु की विदाई 'तो ऐसे ही होती है। कहते हुए सभी अपनी -अपनी गाड़ियों में बैठ गए। सभी अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहे थे ,सभी के चेहरों पर उदासी थी। ख़ुशी -ख़ुशी यहां आये थे किन्तु ग़म में डूबे जा रहे थे। साथ में बेटे की बहु भी थी किन्तु ख़ुशी नहीं थी।

बीजापुर जाकर ,शिखा का स्वागत कैसा होगा ?उसे लिवा लाने के पीछे  दमयंती का क्या उद्देश्य था ?क्या शिखा अपने घर वापस जाएगी ?अनेक प्रश्नो के उत्तर अभी बाकि है ,कुछ प्रश्न भी उभरेंगे आइये आगे बढ़ते हैं। रुकिए !रुकिए !समीक्षाएं भी देते चलिए !  

 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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