फेरे होने के पश्चात, अचानक ही तेजस जमीन पर गिर पड़ा, उसकी ऐसी हालत देखकर, मेहमानों में खलबली मच गई। शिखा उसकी बीमारी के विषय में ,पहले से ही जानते थी, कि उसकी तबीयत खराब है, किंतु उसे इतना मालूम नहीं था कि बात इतनी बिगड़ जाएगी। इस सबके लिए वो अपने आपको ही दोष देने लगी। शिखा, तेजस की हालत देखकर रोने लगी, उसे रोते हुए देखकर, उसके पिता ने उसे घर के अंदर भेज दिया और डॉक्टर को बुलवाया गया। डॉक्टर के यह कहने पर, कि अब यह जिंदा नहीं है, यह सुनते ही वह बेहोश हो गई।
उसे तो कुछ भी मालूम नहीं था, कि बाहर क्या चल रहा है ? किंतु बात, अब उस पर आ टिकी थी। लड़के वाले दुल्हन को ले जाने पर अड़े हुए थे किंतु माता- पिता नहीं चाहते थे, कि उनकी बच्ची, ऐसे समय में ,उनके साथ जाये। गांव वाले भी इकट्ठा हो गए और सभी ने मिलकर निर्णय लिया। शिखा को होश में लाइए। उसका जो भी निर्णय होगा, हमें मंजूर होगा।
शिखा को होश में लाया गया, शिखा के माता -पिता दोनों ही घबराए हुए थे , न जाने, शिखा का क्या निर्णय होगा ? इसीलिए उसकी मां पहले ही उसको समझाने लगी - मेरी बच्ची तेरी अभी एक परीक्षा और रह गई है, कहते हुए ,उसकी मां ने उसे, अपने से अलग किया, और उसे समझाने लगी -वे लोग अभी तक गए नहीं हैं , यहीं पर हैं, कह रहे हैं -;कि हम आपकी बेटी को विदा कराकर ही ले जाएंगे।' भला, ऐसा भी कहीं होता है , कैसे लोग हैं ? अपने बेटे की भी परवाह नहीं है , वे लोग तेरी प्रतीक्षा में यहीं है, और उन्हें तुझे भी अपने संग ले जाने की ज़िद पर अड़े हैं । उन लोगों की बुराई के पश्चात गंभीर होते हुए शिखा के आंसू पोंछते हुए बोली - अब रोना बंद कर और समझदारी से काम ले ! वे लोग, बाहर तेरी ही प्रतीक्षा में बैठे हैं। गांव के लोग भी हैं, वे भी, तेरा जवाब चाहते हैं, क्या तू ऐसी हालत में उनके साथ जाएगी ? जिसमें कि तेरा विवाह अभी पूर्ण भी नहीं हुआ है।
वे सोच रही थीं -बेटी को समझाऊंगी तो धीरे-धीरे, सारी बातें उसकी समझ में आ जाएंगीं।
शिखा भी समझने का प्रयास कर रही थीं, शिखा उनकी बातें सुनकर शांत हो गई। तब उसकी मां को लगा, शायद, बेटी मेरी बातें समझ रही है , अब यह जाने से इनकार कर देगी , तो वे लोग अपने आप ही चले जाएंगे।
शिखा की माँ ने शिखा को समझा- बुझाकर तैयार किया और बाहर संदेश भेज दिया - शिखा, अब ठीक है , उन्हें लग रहा था -शिखा, मेरी बात समझ चुकी है।
तब बाहर सभी लोगों ने निर्णय लिया, इतने लोगों को देखकर, कभी बच्ची घबरा न जाए। लड़के वालों की तरफ से एक आदमी जाएगा और उससे पूछेगा- क्या वह उनके साथ जाना चाहती है या नहीं।
जगत सिंह जी अंदर आए, और बड़े प्रेम से, शिखा से बोले -बेटा ! अब कैसी हो? कहते हुए उसके सिर पर हाथ रखा , उनके हाथ रखते ही, शिखा फिर से भावुक होकर रोने लगी। नहीं -नहीं रोते नहीं है ,तुम हमारी हिम्मत तो देखो ! बहु लेने आए थे, बेटा ही खो दिया। सब किस्मत की बात है , अब जल्दी से तैयार हो जाओ ! और हमारे बेटे की आखिरी इच्छा पूर्ण करो ! वह तुम्हें अपने घर ले जाना चाहता था। हम चाहते हैं, तुम उसकी इच्छा का मान रखते हुए, हमारे साथ चलो ! तुम्हारे माता-पिता भी सही कह रहे हैं , तुम्हारे फेरे हुए हैं, उसका साथ निभाने के तुमने, वचन भी तो भरे हैं। इसलिए मैं चाहता हूं, तुम अपने उन वचनों को उसके जीते जी तो ना निभा सकीं किंतु उसके मरने के पश्चात, कुछ वचन को पूर्ण कर ही सकती हो। उसकी मां की हालत खराब है, जिसका जवान बेटा दुनिया से चला गया। तुम उसका सहारा बन जाओगी। कम से कम तुम्हारे कांधे पर सर रखकर रोक तो सकेगी।
जबसे तुम्हें देखा था ,रात -दिन तुम्हारे ही सपने देखता था। जब जिन्दा था, तो घर में तुम्हारी बातें होती रहतीं थीं। पापा !जब शिखा आ जाएगी ,हम घूमने यहाँ जायेंगे,वहां जायेंगे। अब क्या ?तुम्हारे दरवाजे पर निष्प्राण पड़ा है। अब तुम ही बताओ तुम्हारा क्या निर्णय है ? हमारा पुत्र तो अब जिंदा नहीं रहा, किंतु उसके मरने के पश्चात, उसके प्यार का मन तो रखोगी या नहीं।
उन्होंने ऐसे- ऐसे शब्दों का प्रयोग किया, शिखा भावुक होने से अपने को रोक ना सकी ,उनके शब्दों ने शिखा पर असर किया और वह रोते हुए बोली -सब मेरी गलती है।
बेटी ,को भावुक होते देख ! यह तुम क्या कह रही हो? मां ने बात संभालने का प्रयास किया। तुम्हारे कारण वह बीमार थोड़े ही हुआ है, तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो ? अब तुम वहां किसके लिए और क्यों जाओगी ? जिसके साथ तुम्हें जाना था वह तो अब इस दुनिया में ही नहीं रहा। वहां उसे न पाकर तुम अपना कष्ट बढा लोगी। अभी भी तुम्हें बहुत कमजोरी लग रही है ,जाओ ! अंदर जाकर सो जाओ !
वो नहीं है, तो क्या हुआ ? मैंने उनसे वादा किया था , मैं उनके परिवार को अपना परिवार मानूंगी उनका ध्यान रखूंगी। अब मुझे इनके साथ जाना होगा वरना 'तेजस 'मुझे कभी माफ नहीं करेगा।
यह लड़की पागल हो गई है, तू समझती क्यों नहीं है ? अपने मां- बाप को छोड़कर जाएगी, किसके सहारे वहां रहेगी ?
हम भी तो इसके माता -पिता जैसे ही हैं ,जगत सिंह अपनी बातों से शिखा को प्रभावित कर सके मन ही मन उन्हें जीत का एहसास होने लगा ,एक पल को तो भूल ही गए थे कि बाहर उनके मृत बेटे का शरीर पड़ा है।
आप परेशान मत होइए , कुछ समय पश्चात मैं वापस आ जाऊंगी, किंतु अभी मुझे जाना होगा।
तू, कहीं नहीं जाएगी,परेशानी में क्रोध से उसकी माँ बोली।
तब जगत सिंह जी बोले -यही फैसला हुआ था, बेटी जाने के लिए कहती है तो उसे जाने दिया जाएगा अब आप बीच में मत पड़िए ! यह हमारा मामला है। उठकर अंतिम निर्णय सुनाते हुए बोले - जल्दी से तैयार हो जाओ ! हम अभी निकलेंगे।
क्या शिखा का निर्णय सही था ?उसे अपनी ससुराल जाना चाहिए था या नहीं।अपनी समीक्षाओं द्वारा अपने विचारों से अवगत कराइये ! क्या उसकी माँ ,शिखा को रोकने में सफल हो सकेगी ?आइये !जानने के लिए आगे बढ़ते हैं।