Mysterious nights [part 39]

जिंदगी में कई बार ऐसी बातें हो जाती हैं, मजबूरी में या  विवश होकर, इंसान को उन जगहों पर जाना पड़ जाता है ,उन रास्तों पर चलना पड़ता है, जिन  पर वह जाना नहीं चाहता किंतु क्या कर सकते हैं ?यह जिंदगी है, जिंदगी और परिस्थितियां इंसान को विवश कर देतीं  हैं। न चाहते हुए भी, उसे वह कार्य करना पड़ जाता है जो वह करना नहीं चाहता। यही हालत बंदिनी के साथ भी हुई। वह जानती थी कि  हवेली में कुछ तो ऐसा है , जिसे कहते हुए, सब लोग डरते हैं। जो जानते हैं, वह कह नहीं सकते। पैसे की कमी , जरूरतें , यहां से पूरी हो सकती थीं ,वह भी हवेली में आ जाती है इसीलिए वह मजबूरी में हवेली में काम करने के लिए आ तो जाती है। अभी उसे यहाँ आए हुए दो महीने ही हुए हैं, वह  उनके विषय में ज्यादा कुछ जानती नहीं है ,न ही जानने का प्रयास करती है  किंतु एक अनजाना सा भय उसके अंदर समाया हुआ है, जिसको वह चेहरे पर   लाना भी नहीं चाहती। 


आज जब शिखा ने उससे पूछा - कोई भी उससे मिलने क्यों नहीं आया ? तब अचानक ही उसे वह बात स्मरण हो आई। मां की बातें भी उसे स्मरण हो आईं -' अपने काम से कम रखना, वे बड़े लोग हैं, कुछ भी करें।' वैसे यहां आकर उसे अभी तक कुछ गलत देखने को नहीं मिला लेकिन न जाने, हवेली  के किस कोने में , वह अनजाना सा ड़र बाहर निकलकर आ जाए।

 इस घर की मालकिन दमयंती , बंदिनी से अच्छा व्यवहार करती है, इस कारण वह यहां पर टिकी हुई भी है। किंतु जब शिखा परिवार के अन्य लोगों के विषय में जानना चाहती है , तो वह खामोश हो जाती है।

 विवाह को लगभग, सात  दिन हो गए। शिखा के घर से, भी कोई खबर नहीं थी और शिखा भी, अब अपने को इस हवेली में, बंधा हुआ महसूस कर रही थी। बंदिनी के  कथनानुसार -' तो यह दूरी इसीलिए बनाई गई है ताकि यह पता चल सके, किसी को इस बीमारी ने छुआ तो नहीं है।' शिखा के छोटे देवर को थोड़ा बुखार तो हुआ था किंतु समय रहते ही उसका उपचार भी हो गया। बाकी घर में सभी स्वस्थ थे। 

फोन की घंटी लगातार बज रही थी,ओफ्फो !यह कौन है ?जो लगातार फोन किये जा रहा है ,झल्लाते हुए   दमयंती ने फोन उठाया -हेेलो !

बहन जी, नमस्ते ! मैं शिखा का पिता सरपंच ''किशोरी लाल'' बोल रहा हूं। 

उनका परिचय जानकर दमयंती को कोई प्रसन्नता नहीं हुई ,औपचारिकता निभाते हुए बोली - नमस्ते ! कैसे हैं ?आप !

हम लोग को सभी स्वस्थ हैं, ठीक है ,किंतु आप लोगों की भी चिंता हो रही थी ,वहां सब कुशल से तो हैं।  

तभी दमयंती को तेजस के विवाह वाली बात स्मरण हो आई ,जब इन्होंने ही कहा था -''हम विवाह को पीछे नहीं कर सकते,हमारी सभी तैयारियां हो चुकी हैं ,शिखा की माँ की तबियत बिगड़ रही है। यदि ये लोग उस समय इतना उतावलापन न करते तो शायद, आज मेरा बेटा जिन्दा होता,सोचकर उसकी आँखें नम हो आईं  प्रत्यक्ष बोलीं - आपको हमारी चिंता कब से होने लगी ? यह पूछिए, आपको अपनी बेटी की चिंता हो रही थी। 

नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, जी ,बेटी भी तो उस परिवार में गई है , अब वह भी तो उस परिवार का हिस्सा बन चुकी है। चिंता करना तो स्वाभाविक बनता है किंतु इससे पहले भी मैंने, कई बार फोन किया है किंतु किसी ने उठाया ही नहीं। 

आप सही फरमा रहे हैं , हमने बहुत दिनों से किसी से कोई संपर्क नहीं किया। हम परिवार में सभी लोग, थोड़ा इस बीमारी के कारण, किसी से भी, संपर्क नहीं कर रहे हैं। 

आपकी बात तो ठीक है, किंतु फोन पर तो, हाल-चाल पूछ ही सकते हैं। 

फोन पर बातचीत हो जाने से, हो सकता है कोई मिलने -जुलने का  कार्यक्रम बन जाए,बात को ज्यादा लम्बा न खींचते हुए ,वो बोलीं - वैसे आप लोग कैसे हैं ?

जी, हम सभी लोग ठीक हैं।

वैसे ,हम भी आपको फोन करने वाले थे, क्योंकि बेटे की तेहरवीं  भी तो करनी ही होगी। जिस दिन भी  कार्यक्रम होगा आपको सूचित कर दिया जाएगा। 

जी, ठीक है, वैसे शिखा बेटी कैसी है ?

 वह ठीक है, स्वस्थ है, अपने कमरे में है।

 क्या, मैं उससे बात कर सकता हूं ?

 देखिये ! आपकी बेटी की परवाह हमें भी है, इसलिए हमने उसको अलग रखा हुआ है , ताकि यह बीमारी उसे ना लगे। वह अब हमारे घर की बहू है, आप उसकी चिंता छोड़ दीजिए ! जब बेटे की तेहरवीं  में आएंगे, तो उससे भी मिल लीजिएगा। बात क्या करनी है? सीधे मिल लीजिएगा। 

स्पष्ट तौर पर, दमयंती ने किशोरी लाल जी से, मना नहीं किया किन्तु तेहरवीं का बहाना बना ,उनकी बेटी से  बात नहीं करवाई , एक तरीके से उनका इनकार  ही था। 

फोन रखकर ,जब किशोरीलाल जी आये ,उनके चेहरे को देखकर ,तब सरला ने पूछा -क्या हुआ ?फोन पर बात हो गई।  

बात तो हो गई, मुझे लगता है, इस बीमारी को लेकर वे  लोग बहुत डरे हुए हैं , इसीलिए किसी से संपर्क नहीं कर रहे हैं। अपने बेटे की 'तेहरवीं ' में बुलाया है।

 वह बात तो ठीक है, क्या अपनी शिखा से आपकी बात हुई ?

नहीं, उन्होंने न जाने शिखा को कहां रखा हुआ है? उसकी सुरक्षा के लिए, उसे अलग रखा हुआ है इसलिए बात नहीं करवाई। 

यह क्या बात हुई? क्या वह अपने माता-पिता से फोन पर भी बात नहीं कर सकती ?

तुम चिंता ना करो ! वे लोग अपनी बेटी का पूरा ध्यान रखे हुए हैं , उसकी सुरक्षा के लिए ही यह सब कर रहे हैं , आखिर वह उस घर की बहू है ,उन्होंने दमयंती जी के संवाद अपनी पत्नी के सामने दोहरा दिए। 

अरे, कैसी बहू ? इस बात से सरला जी नाराज हो गईं  और बोलीं - क्या उनका इरादा हमारी बेटी को, तमाम उम्र अपने घर में रखने का है। उसका तो ठीक से विवाह भी नहीं हुआ था। उस समय परिस्थिति ही ऐसी थी, हम इंकार न कर सके। बेटी ने भी अपनी सहमति दे दी थी किंतु हमारी बेटी विधवा के रूप में तमाम उम्र उनकी ड्योढ़ी  पर नहीं रहेगी। जब आप लड़के की तेहरवीं में जाएंगे तो बेटी को लेकर आना। उसके पश्चात, हम कोई और अच्छा सा लड़का ढूंढ कर उसका अन्य जगह विवाह कर देंगे। 

तुम्हारे और मेरे सोचने से ही यह सब नहीं होता, हमारी बेटी भी, आगे बढ़ना चाहेगी या नहीं, यह भी तो देखना होगा। वह लोग भी अधिकार दिखा सकते हैं। जैसे विवाह में किया था। 

उन्हें कहने दीजिए ! हमारी बेटी, अब घर वापस आएगी , अभी उसकी उम्र ही क्या है ? अट्ठाहरवें  में चल रही है, उसके सामने सारी उम्र पड़ी है। मैं कुछ नहीं सुनूंगी आपको अपनी बेटी को अब घर वापस ही लाना होगा।

 चलो जैसे भी बात बनती है, लड़के की 13वीं के बाद पता चलेगा वे लोग क्या सोचते हैं ?या कहते हैं। 

 उनके सोचने से नहीं होगा। हमें भी अपनी बेटी के लिए सोचना होगा।  उसके लिए क्या उचित है और क्या अनुचित है?

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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