शिखा के पापा ! बेटी को गए हुए, आज पांच दिन हो गए हैं , उसकी कोई खबर नहीं है। कम से कम हमें जाकर उससे मिलना तो चाहिए।
वह तो मैं भी सोच रहा हूं, पर यह बीमारी बहुत बढ़ गई है। अभी तो यह भी मालूम नहीं है, 'तेजस' के अलावा वहां और किसी को कुछ हुआ तो नहीं है ,हमारी बेटी तो सुरक्षित है।
शुभ !शुभ! बोलिए ! यदि उन्हें, हमें कुछ नहीं बताना है, तो हमें तो पूछना ही होगा क्योंकि वहां पर हमारी बेटी है, यह बात हम भुला नहीं सकते। कम से कम फोन करके तो पूछ ही सकते हैं।
मैंने दो बार फोन किया है किंतु किसी ने फोन उठाया ही नहीं ,मुझे भी उसकी चिंता है ,यह कार्य मैं तुम्हारे बिन कहे ही कर चुका हूँ।
एक बार और कर लीजिए ! कम से कम यह पता तो चल ही जाए कि वहां हमारी बेटी कुशल से तो है, उसे तो कुछ नहीं हुआ है।
तुम सही कह रही हो, एक बार और फोन करके देखता हूं , उसके पश्चात या तो किसी को भेजूंगा या फिर मैं स्वयं ही वहां मिलने जाऊंगा।
इस हवेली में शिखा को आए हुए पांच दिन हो गए हैं। उससे न ही, किसी ने कोई बात की है और न ही कोई उससे मिलने आता है , सिर्फ बंदिनी आती है वह भी उसे भोजन देकर चली जाती है, इससे अलग कोई उससे बात नहीं करता,न ही कोई मिलने आया।
क्या, घर के लोग कहीं गए हुए हैं ? अचानक ही शिखा ने बंदिनी से पूछा।
बहु जी !यह आप क्या कह रही हो ? सब यही हैं, ऐसा क्यों कह रही हैं ?
ऐसा, इसलिए कह रही हूं जब से मैं आई हूं , न ही मुझसे किसी ने कोई बात की है और न ही, कोई मुझसे मिलने आया है।
वह बात तो, मैं समझ सकती हूं , किंतु इस बीमारी के कारण, अभी सभी दूरी बनाए हुए हैं जबकि यह हादसा इसी हवेली में हुआ है। इस कारण, परिवार के लोग दूरी बनाए हुए हैं। मालकिन का कहना है - एक बार यह देखकर पता तो चल जाए, किसी में यह लक्षण तो नहीं आए हैं इसीलिए सब अलग-अलग ही रह रहे हैं।
बात तो सही है, मन ही मन शिखा ने सोचा , और बोली -माँ जी, बहुत समझदार हैं।
किसी को समझदार लगतीं हैं, किसी को कड़क ! जिस व्यक्ति से जैसा व्यवहार करती हैं , उसको वैसा ही लगता है ,आपको पता है ,हमने सुना है ,मालकिन विवाह से पहले विदेश में पढ़ती थीं और जबसे विवाह करके इस हवेली में आई हैं यहीं की होकर रह गयीं हैं ,बंदिनी बोली।
अच्छा ,ये बताओ ! मांजी के अलावा इस घर में कोई और औरत नहीं है ,मेरा मतलब है ,पापा जी ! के भाइयों ने विवाह नहीं किया।
शिखा का प्रश्न सुनकर ,बंदिनी चुप हो गयी और बोली -ये सब तो मैं भी नहीं जानती ,मैंने तो अभी दो माह पहले ही आना आरम्भ किया है। इस हवेली के विषय कोई कुछ नहीं जानता और जो जानता है ,वो मुँह नहीं खोलता।
ऐसा क्यों ?
मुझे नहीं मालूम ,कहते हुए उसके चेहरे पर ड़र दिख रहा था।
क्या कुछ हुआ है ?उसे देखकर शिखा ने पूछा।
नहीं ,नहीं तो.... मुझे आपको खाना ले जाने और बर्तन लाने की इजाज़त है। बस इतना ही जानती हूँ ,अच्छा ,अभी मैं चलती हूँ ,कहते हुए वो सीढ़ियों से उतर गयी। उसे, उस रात्रि की बात स्मरण हो आई ,उस रात्रि को बहुत बरसात हो रही थी। उस रात्रि बिजली कुछ ज्यादा ही कड़क रही थी ,खम्बे की लाइटें भी बंद थीं। एक लड़का इतनी अँधेरी ,बरसात की रात में भाग रहा था। उसके पीछे कुछ लोग भी उसे दिखलाई दिए।
उस अँधेरे में भी वह देख पा रही थी क्योंकि अभी दिन तो था किन्तु घनी बरसात और आंधी के कारण दिन रात्रि में बदल गया था। बंदिनी अपने छप्पर के घर के नीचे खड़ी बारिश की बूंदों का आनंद ले रही थी। तभी गांव का लड़का कलुवा भागता हुआ, उधर से निकला। हाथ में हथियार लिए हुए, कुछ आदमी भी उसके पीछे जा रहे थे। यह दृश्य देखकर, बंदिनी घबरा गई थी, उस समय बंदिनी मात्र 14 वर्ष की थी।
वह घबराकर अपने घर के अंदर भागी और उसने मां को आकर बताया। कि कुछ लोग कलुवे के पीछे पड़े हुए हैं। मां उसकी बात सुनकर, बोली -तू अब बाहर मत जाना ! और उसका चेहरा कठिन हो गया।
क्या हुआ माँ , वे लोग कलुवे के पीछे क्यों पड़े हैं ?
हवेली में काम जो करता है।
क्या मतलब ?
पैसा अच्छा मिलता है किंतु मुंह बंद रखना पड़ता है, देख कर भी, किसी को कुछ दिखता नहीं है, सुनकर भी कोई सुनता नहीं है,जिव्ह्या होने पर भी कोई बोलता नहीं है लेकिन कल्लू ने अवश्य ही कुछ ऐसा किया होगा। जिसके कारण यह लोग इसके पीछे पड़े हैं। कितनी बार कहा गया है ? हमें पैसा कमाने से मतलब होना चाहिए। क्यों ?किसी के घर में झाँकना। हम काम करने जाते हैं, कम से मतलब होना चाहिए अन्य किसी बातों से नहीं ,कोई क्या करता है ?हमें क्या ?किन्तु कलुवा कुछ ज्यादा ही उछल रहा था।
लेकिन कलुवे ऐसा ने क्या बोल दिया होगा ? जो वे लोग उसके पीछे दौड़ रहे हैं। अभी तक बंदिनी यह नहीं समझ पाई थी कि वह लोग उसे क्यों मारना चाहते हैं ?बल्कि वह तो यह सोच रही थी वह उसके पीछे क्यों पड़े हैं ?ऐसा उसने क्या कहा होगा ?
अगले दिन सूरज की सुनहरी किरणों के साथ दिन निकला,कलुवा का शरीर एक वृक्ष के नीचे टुकड़ों में कटा हुआ मिला। बंदिनी आज तक नहीं जान पाई है कि कलुवे के साथ हवेली वालो ने ऐसा क्या किया ?
इस बात को कम से कम तीन बरस बीत गए। वह तो भूल कर भी हवेली का नाम नहीं लेती, किंतु क्या करें ? पिता की बीमारी के पश्चात, मां अकेली घर संभालती और खेतों में काम करने भी जाती। तब बंदिनी ने सोचा -ऐसे समय में मुझे भी, कुछ कार्य ढूंढ लेना चाहिए ताकि पिता की बीमारी का खर्चा उठा सके।इतने वर्षों में उसका भय भी थोड़ा कम हो गया है। तब उसने हवेली में आने का सोचा, किंतु उस रात्रि की बात को याद करके आज भी वह कांपने लगती है। वैसे जबसे यहाँ आई है ,मालकिन का व्यवहार उसके प्रति बहुत ही अच्छा है। माँ ने भी समझाकर भेजा है ,अपने काम से काम रखना। वे बड़े लोग हैं ,वे कुछ भी करें ,हमें क्या ?