Mysterious nights [part 36]

 बीजापुर में हवेली के सामने, कई गाड़ियां आकर खड़ी हो गईं। उन गाड़ियों में से कई लोग उतरे और अंदर चले गए। शिखा, अभी तक गाड़ी में ही बैठी थी, उससे किसी ने कुछ नहीं कहा था,न ही कोई उसे लिवाने आया।  सब कुछ शांत था, शिखा ने आसपास नजर घूमाकर देखा। तीन मंजिला, काफी बड़ी हवेली है,विवाह के कारण शायद ,अभी इस पर रंग -रोगन करवाया होगा।  दूसरी गाड़ी में पड़े, तेजस की सोच कर उसकी रुलाई फूट गई। आज यदि मैं तुम्हारे साथ आती, तो कितना सम्मान होता ? ढोल और बाजे से हमारा स्वागत होता किन्तु आज भी तुम्हारे संग ही आई हूँ किन्तु तुम साथ नहीं  खड़े हो। तुम तो इस दुनिया में ही नहीं हो। 


मम्मी !ठीक ही तो कह रहीं थीं ,मैं यहाँ क्यों और किसके लिए आई हूँ ? तुम्हें दिए वचनों के लिए ,आज मैं तुम्हारे द्वार के बाहर खड़ी हूँ।  मन ही मन सोच रही थी- मैं कितनी अभागन हूं, पति की मौत लेकर आई हूं , सावित्री ने तो अपने पति को यमराज से बचाया था और मैंने क्या किया? मैंने तो उसे सीधे यमराज के मुंह में ही धकेल दिया फ़फ़क -फ़फ़कर रोने लगी। गाड़ी में बैठी ,देर तक रोती रही, वह रो तो जबसे ही रही,जबसे तेजस इस दुनिया से चला गया किन्तु उसके रोने पर किसी को तरस नहीं आया ,न ही भगवान को और न ही तेजस को !  

तुम भी तो मुझसे कहते रहे - मैं ठीक हूं , कम से कम एक बार तो कह सकते  थे  -मेरी तबीयत ज्यादा बिगड़ रही है, इतनी लंबी प्रतीक्षा से तो अच्छा था , मैं थोड़ी और प्रतीक्षा कर लेती अब तो जीवन भर की प्रतीक्षा हो गई। हमें मिले ही कितने दिन हुए थे ? एक दिन ही तो मिले थे बाकी तो बातें फोन पर ही होती थी मुझे क्या मालूम था, वे इतनी प्यार भरी बातें,आखिरी बार ही सुन रही हूँ। 

 उसकी आंखों से बरबस ही आंसू बहे जा रहे थे ,क्या करे ?कुछ हालात ही ऐसे थे।  उस समय  वहां बैठकर  न जाने कितने विचार आ जा रहे थे ?या यूँ कहें ,उसे अपने लिए सोचने का मौका मिल रहा था। मम्मी- पापा भी तो परेशान हैं , विवाह से पहले ही विधवा हो गई। मन को धैर्य बंधाया और सोचा -अब'' तेजस'' के नाम से ही, अपना संपूर्ण जीवन अर्पण कर दूंगी अब इस जीवन में मेरे लिए रह ही क्या गया है ? 

कुछ देर पश्चात उसे, कुछ लोग उस घर से बाहर आते दिखाई दिए। उसके मन को तसल्ली हुई, और सोचा शायद अब ये 'तेजस' को लेकर जाएंगे और मैं भी इनके साथ ही जाऊंगी। कम से कम आखिरी बार तो मैं अपने तेजस का मुख देख लूंगी। वे लोग बाहर आए और चुपचाप, वे कुछ क्रियाकलाप कर रहे थे,शिखा , जिस गाड़ी में बैठी थी ,उससे कुछ भी नहीं देख पा रही थी। किसी के बिना कुछ कहे गाड़ी से बाहर ,जाने का साहस नहीं हो रहा था।  

अभी तक उससे किसी ने कुछ नहीं कहा था, अब उसे बेचैनी ही होने लगी थी कोई तो उसे कुछ बताएं कि क्या हो रहा है ? कुछ देर पश्चात, एक अधेड़ उम्र महिला, और उसके साथ अन्य महिलाएं घर से बाहर आईं। सबने श्वेत वस्त्र पहने हुए थे। उनमें से शिखा किसी को भी नहीं पहचान पा रही थी। इनमें तेजस की मां कौन है ?पहचानने का प्रयास कर रही थी लेकिन पूछने की हिम्मत नहीं हुई। पूछने का मौका भी नहीं था। सभी कठपुतलियों की तरह, आगे बढ़ीं और गाड़ी का द्वार खोल दिया। उसे गाड़ी से नीचे उतारा, शिखा को देखा, और चुपचाप उसे एक तरफ ले चलीं।

 शिखा मन ही मन सोच रही थी -न जाने, मुझे यह लोग कहां ले जा रहीं  हैं किंतु ऐसी घड़ी में,न ही किसी ने उससे कुछ कहा ,न ही शिखा ने कुछ पूछा। सभी गमगीन हैं , जो भी होगा देखा जाएगा , कौन क्या है ? अपने आप को हर परिस्थिति के लिए, वह मानसिक रूप से तैयार कर रही थी। वह तो सोच रही थी -' जैसे आजकल की सास होती हैं , अपनी बहू को ताने सुनाती हैं, लड़ती हैं, वह सब मैं सुन लूंगी।'

शिखा को भी, नहाने के लिए , एक तरफ इशारा किया गया ,वह तो' अभागी दुल्हन' है ,जिसने पति  की मौत के पश्चात ,वहां कदम रखें हैं। बहु को तो घर की लक्ष्मी माना जाता है,जिसका सम्मान के साथ स्वागत किया जाता है किन्तु मुझ अभागन  के पल्ले क्या आएगा ? अपमान, तिरस्कार ,वह जब स्नानागार में गयी  तो वहां पहले से ही,' श्वेत वस्त्र' टंगे हुए थे। उनके बिना कहे ही, शिखा समझ गयी उसे क्या करना है ?जब वह नहाकर बाहर आई ,तो वहां पहले से ही कुछ महिलाएं खड़ी हुई थीं। ऐसे समय में शिखा के साथ दुख तो था ही , किंतु उन लोगों के व्यवहार को समझने का प्रयास भी कर रही थी। वह अभी तक यह नहीं जान पाई थी कि कौन तेजस की मां है और इन महिलाओं का इस घर से क्या रिश्ता है ?और ये लोग मेरे साथ क्या व्यवहार करने वाली हैं ?

शिखा को एक स्थान पर बैठाया गया, जहां पहले से ही अन्य और भी महिलाएं थीं।  हो सकता है, गांव की महिलाएं आई हों। वहां पर सभी बैठी विलाप कर रही थीं। अरे, दमयंती! तेरी जिंदगी में यह क्या हो गया ? तेरा पहला बेटा विवाह करने गया था , मौत को गले लगा कर आ गया। 

 एक महिला रोते-रोते बोली -इसे यहां क्यों बुला लिया ? इसकी काली नजर अन्य बच्चों पर भी पड़ जाएगी , तूने देखा नहीं, बड़े को तो खा गई , न  जाने इसकी काली नजर किस-किस पर पड़ेगी ?

यह सब बातें सुनकर, शिखा जोर-जोर से रोने लगी , वह तो पहले से ही, अपने आप को दोषी मान रही थी। 

तब एक महिला, उठकर आई और उस महिला से बोली -दीदी! ऐसा क्यों कहती हैं ? इसने भी तो अपना पति खोया है , बेचारी ! इस बच्ची का क्या दोष है ? इसे क्या मालूम था? कि वह बीमारी इसके पति को निगलने आई है। न जाने इस बीमारी में कितनों ने जान गँवा दी। 

उस महिला के ऐसे वचन सुनकर, शिखा ने उसकी तरफ देखा, किंतु उसने एक बार भी शिखा की तरफ नहीं देखा। हाथों में सोने के कड़े थे ,किन्तु उसका चेहरा शिखा की तरफ नहीं था। उस महिला ने भी श्वेत वस्त्र पहने हुए थे , शिखा सोच रही थी, इस महिला को मुझसे हमदर्दी तो है, किंतु इसने एक बार भी मुझे नहीं देखा यह कौन है ? और इसकी यह दीदी कौन है ? किंतु समय ही ऐसा था, किसी से कुछ कह सुन नहीं सकते थे। औरों को रोता देखकर, कभी शिखा को लगता, मुझसे ज्यादा तो इन्हें दुख है। मैंने तेजस के लिए किया ही क्या है ? उस झीने घुंघट में से, वह सब को देख रही थी। कुछ देर पश्चात, बाहर से कुछ आवाजें  आने लगीं  तब एक महिला ने आकर बताया -सभी आ गए हैं। यह सुनकर सभी महिलाएं और जोर-जोर से रोने लगीं। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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