हितेश की पत्नी, दामिनी उसका रंग एकदम चमकीला ,वो गौर वर्ण की थी , देखने में बहुत सुंदर थी। जो भी देखे , बस देखता ही रह जाता। हितेश ने भी जब पहली बार, दामिनी को देखा तो देखता ही रह गया। उसने तुरंत ही विवाह के लिए हां कर दी थी। विवाह से पहले भी वह रात- दिन उसके सपने देखने लगा, उससे बातें करने की इच्छा होती। वह उसके प्रेम में खो सा गया था।
विवाह करने के पश्चात, दामिनी और सुंदर लगने लगी, उसका रंग, रूप और निखर आया। हितेश अपने भाग्य को सराहने लगता था, न जाने किन पुण्य कर्मों से उसे, इतनी सुंदर पत्नी मिली। जो भी देखता उसकी प्रशंसा किए बगैर नहीं रहता। धीरे-धीरे हितेश के मन में, एक भावना घर करने लगी वह भावना थी, ''उसके खो जाने का डर !
आरंभ में तो, जब कोई दामिनी की प्रशंसा करता था , तो वह खुश होता था। शुरू-शुरू में अपनी पत्नी को लेकर दोस्तों के घर भी जाता था। तब एक दिन उसके एक मित्र ने कहा -भाभी जी ! तो अमूल्य हैं, इनकी सुंदरता दिखाने के लिए नहीं, छुपाने के लिए है, यदि किसी की भी कुदृष्टि इन पर पड़ गई , तो तेरा घर बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकेगा।अपने दोस्त की ये बातें उसका व्यवहार ये सब देखकर हितेश के मन में एक ड़र समा गया।
धीरे-धीरे उसके मन में एक अप्रिय विचार घर कर गया। उसके दोस्त उसके घर आना चाहते, किंतु धीरे-धीरे हितेश ने सभी से बहाना बनाकर मना कर दिया। कोई उसे अपने घर बुलाता तो अकेला ही चला जाता। हमेशा दामिनी के साथ रहता, उसे लगता,जैसे सब उसे ही घूर रहे हैं। धीरे-धीरे यह उसका ड़र उसकी बीमारी में बदल गया। यदि कोई दामिनी को मुस्कुरा कर भी देख लेता, तो उससे लड़ने लगता। दामिनी से लड़ने लगता कि तुम उसकी तरफ क्यों देख रही थी ? तुम उसे देखकर, क्यों मुस्कुरा रही थी ? या तुम्हें देखकर वह क्यों मुस्कुराया ?
दामिनी के ''खो जाने का डर', उसकी बीमारी बन गया था। जिसके कारण वह चिड़चिड़ा,झगड़ालू ,शक्क़ी होता जा रहा था। उसके इस बदले हुए स्वभाव को देखकर, स्वयं दामिनी भी परेशान होने लगी थी। वह जानती थी कि हितेश उसे बहुत प्यार करता है किंतु उसका शक़्की होना, किसी भी बात पर झगड़ा करना ,किसी से भी मिलने न जाने देना। ऐसी अनेक बातें थीं जिनके कारण वह भी परेशान हो चुकी थी। उसकी सुंदरता ही उसकी दुश्मन बन गई थी। उसके लिए भी और उसके पति ही हितेश के लिए भी क्योंकि वह जो भी कार्य करती, हितेश उस पर शक करता। उसे लगता, जो कोई भी इससे बात कर रहा है वह मुझसे मेरी दामिनी को छीन लेगा। इस कारण में रात- दिन परेशान रहता,कई बार सोते से उठ जाता।
किसी अपने को''खो जाने का डर'' वह समझ सकता था , बचपन में जब उसकी मां गई थी तो वह कितना अकेला हो गया था ? उसके पिता ने दूसरा विवाह कर लिया था उसके पश्चात, दामिनी उसके जीवन में आई और उसका जीवन खुशियों से भर गया। किंतु उसके ''खो जाने का डर ''उसे रात- दिन सताता था जिसके कारण,वह दामिनी से लड़ता झगड़ता और घर में क्लेश का वातावरण पैदा हो जाता।
एक दिन दामिनी उसको डॉक्टर के पास ले गयी ,डॉक्टर से दामिनी ने पहले ही बात कर ली थी ,सारी बात समझकर डॉक्टर ने हितेश को दवाई देने के साथ -साथ दामिनी को भी समझाया ,इसका इलाज़ तुम्हारे पास ही है। तुम्हें इसे,अपने प्यार पर विश्वास दिलाना होगा ,उसे एहसास कराना होगा ,तुम उसकी हो उसे छोड़कर कहीं नहीं जाओगी ,जैसे -जैसे उसका विश्वास तुम पर बढ़ता जायेगा ,वैसे ही यह ठीक होता चला जायेगा।
डॉक्टर की सलाह पर, दामिनी ने, हितेश को अपने प्यार का विश्वास दिलाया और उसे समझाया -कि वह उससे बहुत प्रेम करती है। यदि उसे छोड़कर जाना होता, तो वह उससे विवाह ही क्यों करती ? वह उसे कहीं भी छोड़कर नहीं जाने वाली है और न ही कोई तीसरा हमारे मध्य आएगा। इस बात के लिए हितेश को उस पर विश्वास करना होगा। धीरे -धीरे दामिनी के प्यार और डॉक्टर की दवाइयों ने असर दिखाया ,हितेश के अंदर दामिनी को ''खो जाने का ड़र'' समाया था ,वह धीरे -धीरे दूर होने लगा।