जानते सभी, कि प्रभु ने इस संसार को बनाया।
देखा नहीं किसी ने उसे ,न ही, कोई देख पाया।
देख लिया जिसने,उसका वर्णन कहाँ कर पाया ?
न जाने कैसी है? उसकी लीला, कैसी रची माया ?
'मृत्यु का यह रहस्य' ,कोई समझ नहीं पाया।
इस संसार में जो आया ,वह वापस भी गया।
न जाने,किस 'अज्ञात रस्ते' प्रभु ने उसे बुलाया ?
राजा और रंक सभी उस रस्ते से गए, किन्तु.......
आज तक कोई उसका वर्णन नहीं कर पाया।
गया जो , 'अज्ञात राह ''वापस कभी न आया।
ऋषि -मुनि , साधु -संत, बादशाह हो या रंक !
जाने गए, किस ''अज्ञात राह'' को ढूंढ़ न पाया।