Sirf tumhare liye

जब प्रेम की हो पुकार !

करने लगें, हम किसी से टूटकर प्यार !

जीवन जीते थे ,पहले भी ,

देख उसे, चढा प्रेम का बुखार !

लगता देख उसे ,जीना है बस तुम्हारे लिए। 


बिन स्वार्थ ,प्रीत की डोर से बंध ,

जीवन की नवीन ऊंचाइयों को छूने लगा हूँ। 

जब से जीवन में तुम आई ,

मैं तुम्हारे लिए ,सिर्फ़ तुम्हारे लिएजीने लगा हूँ। 

माना कि ,कुछ रिश्ते स्वार्थी हो गए हैं। 

 एक -दूजे को, भर्मित नजरों से देख रहे हैं। 

दुनिया की कैसी भी हवा चले ?

दुनिया बदले,हम नहीं बदले ,जीना पड़ता है। 

आज भी हम जी रहे हैं ,सिर्फ तुम्हारे लिए !

तुमने ही तो जीना सिखाया ,

मुस्कुरा आगे बढ़ते रहे ,तुम्हारे लिए !

रिश्ते तो और भी हैं ,जीते हैं जो हमारे लिए ,

न कोई उम्मीद ,न चाहत !

ये जीवन जिया है ,अब तक तुम्हारे लिए !

जीवन को जीने का तुम इक बहाना हो। 

अंत समय एहसास हुआ तुम मेरी चाहत हो। 

जीता था जिसके लिए ,[स्वचाहत ]

सोचता रहा,जीवनभर जिया हूँ ,तुम्हारे लिए।  

 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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