Headphone

अभिनव, अभी आठवीं कक्षा में ही पढ़ता है , उसे नई-नई चीजों का बहुत शौक है। जब उसे पता चला, कि  एक ऐसा यंत्र भी आता है ,जिसे  कान में लगाकर, इंसान आराम से,गाने और अपनी मनपसंद चीजें सुन सकता है,वो भी बिना किसी को परेशान किये।  इस यंत्र ने उसे अत्यधिक प्रभावित किया , उसके पास यह अद्भुत चीज होनी चाहिए। इसके लिए उसने अपने पापा से कहा, किंतु उसके पापा ने , उस महंगे यंत्र को लेने से इनकार कर दिया। इस बात से अभिनव को बहुत दुख हुआ, वह तो उस यंत्र को लेकर न जाने कितने सपने सजाने लगा था ? अपने दोस्तों को दिखाऊंगा कि मेरे पास, नए और सुंदर' हेडफोन' हैं।

 मन ही मन में अत्यंत दुखी हुआ, उसके दादाजी ने उसकी हालत देखी तो अभिनव से पूछा -क्यों परेशान हो ? कुछ उदास लग रहे हो। 


हां दादा जी ! मुझे हेडफोन' लेने की इच्छा हो रही है किंतु पापा ने मेरे' हेडफोन' लेने से इनकार कर दिया। '

अभिनव के दादाजी ने उसकी बात सुनी और बड़े प्रेम से बोले -तुझे 'हेडफोन' लेकर मैं दूंगा किंतु जब अबकी बार पढ़ाई में सबसे अव्वल आएगा और मुझे यह बताना होगा,''हैडफ़ोन ''लेने से क्या लाभ है ? दादाजी की यह शर्तें अभिनव को मंजूर नहीं थी किंतु अभिनव अपनी इच्छा के कारण एक  शर्त को तभी पूरा करने के लिए तैयार हो गया।

अभिनव बोला -''हैडफोन '' लोगों की सुविधा को देखकर बनाये गए हैं , इन्हें लगाकर हम आराम से बात कर सकते हैं अपने मनपसंद गाने धीमी आवाज में सुन सकते हैं। इससे ''नॉइस पॉल्यूशन'' भी नहीं होगा। दूसरी शर्त के लिए उसे अब एक ही तरीका नजर आ रहा था। उसने खूब मन लगाकर, मेहनत से पढ़ाई की , और कक्षा में अव्वल भी आया।

 दादाजी ने अपने शर्त के अनुसार, अभिनव को' हेडफोन 'दिलवा दिए, उन्हें पाकर अभिनव अत्यंत प्रसन्न हुआ। उसने अपने नए लाल रंग के हेडफोन अपने दोस्तों को दिखाएं ,सभी ने अपने कानों पर'' लगाकर, उसकी आवाज सुनी और उसकी प्रशंसा भी की अब तो अभिनव बहुत ही प्रसन्न था अब वह स्कूल से आकर कान पर, हेडफोन'' लगाकर रखता।उसकी मम्मी ने समझाया -इस तरह सारा -सारा दिन 'हेडफोन ''लगाकर रखना ,बुरी बात है। उसके परिवार में और भी छोटे-छोटे बहन -भाई थे जो उस हेडफोन लेने की जिद करते और वह किसी को भी अपना हेडफोन नहीं देता था।उसे ड़र था ,इतने महंगे ''हेडफोन ''इतनी मुश्किल से मिले हैं किसी ने तोड़ दिए तो क्या होगा ?उसका ड़र अपनी जगह सही था।  

एक दिन अभिनव हेडफोन पर, गाने सुनते-सुनते  सो गया , न जाने कब उसे नींद आ गई ? पहले तो उसे उस' हेडफोन' को लगाकर लेटने में दिक्कत आ रही थी किसी तरह वह सो भी गया। तब उसके छोटे भाई ने उसके कानों से वह हेडफोन निकाला जिसके कारण उसका एक हिस्सा टूट गया। चुपचाप उसके भाई ने वह, वहीं पर रखा और बाहर आ गया। टूटा हुआ 'हेडफोन' देखकर अभिनव को अत्यंत दुख हुआ किंतु धीरे-धीरे, उसके मन से, उसका आकर्षण भी कम हो गया था क्योंकि उसके कारण वह अपने बहन -भाइयों के साथ खेल भी नहीं पा रहा था और उसकी देखरेख के कारण भी उसको कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। उसे पता नहीं चला ,यह उसके भाई ने तोडा है। 

  जब वह हेडफोन टूट गया तो अभिनव को दुख तो हुआ किंतु कुछ ही दिनों में वह अपने छोटे बहन -भाइयों के साथ मिलजुल कर खेलने लगा। 

समय के साथ, और आविष्कार हुए, और हेडफोन एक तार के रूप में छोटे-छोटे यंत्र के रूप में ,कानों में फिट होने जैसे नए हेडफोन आने लगे वह अभिनव को अत्यधिक सुविधाजनक लगे। उनके कारण उसे लेटने में भी परेशानी नहीं थी।

अभिनव के पापा जानते थे ,वो अपनी चीजों की कितनी देखभाल करता है ? वे यह भी जानते थे कि उसके 'हैडफ़ोन 'उससे नहीं टूटे थे। तब उन्होंने उसकी भावनाओं की कद्र करते हुए उसके किये लाकर दिए। तब उसने अपने दादाजी को,  वे अपने नए हेडफोन दिखाएं, जो सस्ते होने के साथ-साथ सुविधाजनक भी थे। तब उसने अपने दादाजी के जन्मदिन पर अपनी पॉकेटमनी से बचाकर, उन्हें भी एक हेडफोन का सेट उपहार में दिया जिसके कारण उसके दादाजी अपने मनपसंद गाने, आराम से सुन सकते थे।


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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