परिवार अब बचे ही कहां हैं? जो पारिवारिक रहस्य होंगे। पारिवारिक रहस्य वहां होते थे, जहां एक भरा - पूरा बड़ा परिवार होता था। बड़े-बड़े घर, हवेली अथवा महल होते थे। इतने लोगों के मध्य, कोई न कोई रहस्य, छुपा ही रहता था,उसी परिवार के किसी ऐसे सदस्य की कहानी होती थी ,जिसमें उसके छल ,दम्भ ,अहंकार ,अपराध ,की कोई न कोई कहानी रहस्य बनी उस घर पर मंडरा रही होती थी। कई बार वह रहस्य, घर के कुछ ही सदस्यों को ही मालूम होता था जो नहीं चाहते थे, कि वह रहस्य खुले और घर में तबाही मचे इसीलिए वे लोग उस रहस्य को अपने जीते जी छुपाकर ही रखते थे। मजबूरी या किसी कारणवश उस रहस्य से पर्दा उठाते थे। '' पारिवारिक रहस्य'' का अर्थ है ,जो परिवार तक ही सीमित रहे। परिवार से बाहर वह रहस्य नहीं जाना चाहिए।रहस्य का अर्थ भी यही है ,किसी भी बात को छुपाया जाये ,वो समाज या परिवार के हित में सोचकर ही यह क़दम उठाया जाता था। कुछ ऐसे भेद होते थे, जिनको आने वाली पीढ़ी से भी छुपा कर भी रखा जाता था
आजकल परिवार, इतने बड़े कहां रह गए हैं ? जो उनका कोई रहस्य होगा। एक या दो कमरों का तो मकान ही होता है और परिवार के सदस्यों में भी गिनती के दो या चार लोग होते हैं किंतु आज भी, कुछ चरित्र ऐसे होते हैं। जिनका जीवन एक कहानी या रहस्य बन जाता है। वह कहानी प्रेरक भी हो सकती है और सबक भी सिखा सकती है। परिवार के तो नहीं कह सकते लेकिन अपने आपके ही कुछ रहस्य ,इंसान के मन में इकट्ठा होते चले जाते हैं जिन्हें कुछ लोग ''कर्म'' कहते हैं, कुछ इंसान ऐसे कर्म करते हैं ,जिनको वो अपने आपसे भी छुपाकर रखना चाहते हैं। वे नहीं चाहते, कि दूसरा उनके उस रहस्य को जान ले, इसका सीधा सा अर्थ है -उसका कर्म या उसका वह रहस्य सही नहीं होगा ,जो छुपाया जा रहा है क्योंकि अपनी अच्छाई तो हर किसी से बाँट लेना चाहता है।