Shaitani mann [part 87]

 नितिन आज इंस्पेक्टर सुधांशु से मिलने आया है और उससे पूछताछ चल रही है ,कई बार तो ऐसा हुआ नितिन को उनके प्रश्नों पर क्रोध आया क्योंकि वे उससे कुछ व्यक्तिगत प्रश्न पूछ रहे थे किन्तु अब उसे लग रहा है ,जब यहां आ ही गया है तो उनके प्रश्नो के सीधे -सीधे जबाब देने में ही भलाई है। तब इंस्पेक्टर सुधांशु नितिन से पूछते हैं -जब तुम्हारा दिल टूटा ,तब तुम पर, उसका क्या असर हुआ ?ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि पूरा कॉलिज जानता था कि तुम सौम्या को पसंद करते हो ,तुमने उसके लिए पार्टी की और सौम्या तुम्हारी पार्टी से भी चली गयी और किसी अन्य लड़के से,उसका  विवाह तय हो गया। ऐसा क्या हुआ था ? 

तब नितिन बताता है - मैं कुछ दिनों के लिए ,अपने घर चला गया था ,मुझे इस विषय में और कोई बात नहीं करनी।  


यानी कि तुम कहना चाहते हो, तुम दो महीने अपने घर पर रहे , घरवालों ने तुमसे कुछ पूछा ही नहीं, कि तुम अपनी  पढ़ाई छोड़कर यहां क्यों आए हो ?

नहीं, मैंने उनसे कह दिया था -'कि मुझे कोई ज्यादा कार्य नहीं है अभी मुझे कुछ दिनों यहां रहकर पढ़ाई करनी होगी।''

 तुम अपना फोन नंबर दे दो ! क्या अपने घर वालों का फोन नंबर दे सकते हो, या अपने घर का पता बता सकते हो। 

नहीं सर ! मेरे घर वाले घबरा जाएंगे, सोचेंगे -न जाने क्या हो गया ? कॉलेज का मामला है, कॉलेज में ही निपटा लीजिये। जो कुछ भी पूछना है, मुझसे पूछिए ! मेरे घर वालों को परेशान मत करिए ! मैं जो कुछ भी जानता था, मैंने आपको बता दिया। 

ठीक है, अभी तुम जा सकते हो। 

अपने दोस्त रोहित को जरा यहां भेजना, वैसे ऋचा हत्या कांड में, तुम्हें क्या लगता है ? यह किसका कार्य हो सकता है ? नितिन ने सोचा-इन्हें वैसे ही मुझ पर शक हो रहा है , उस विषय में मैं ,कोई बात नहीं करूंगा इसलिए कहता है -मुझे किसी पर भी कोई शक नहीं है, बिना देखे हम किसी को क्या कह सकते हैं ? हम सब तो सोए हुए थे। 

ठीक है, अब तुम चले जाओ !! और अपने दोस्त को भेजना। 

किसको ?

दोनों में से किसी को भी....... 

नितिन के जाने के पश्चात विकास बोला -सर ! आपने इस लड़के के तेवर देखें। 

देखे हैं, हमने तो इससे भी खतरनाक लोगों के तेवर देखे हैं किंतु हमारे सामने ज्यादा दिन ठहर नहीं पाते। देखते हैं, कब तक यह अपनी असलियत को छुपा कर रखता है ?

इसने अवश्य ही, कोई ना कोई कांड तो किया होगा, जरा एक बार, इसके घर फोन करके यह पता तो लगाओ ! कि यह उन दिनों में अपने घर रहा था या नहीं। इसकी  सच्चाई और झूठ का तो अभी पता चल जाएगा। 

किंतु सर उसने तो, अपने पिता का फोन नंबर और घर का पता दिया ही, नहीं। 

कॉलेज रिकॉर्ड में तो होगा , वहां से लेकर, पूछताछ कर लो ! उसको भी पता नहीं चलेगा और इसके फोन की लोकेशन देखना कहां की है ? यह तो निश्चित है, ऋचा हत्याकांड में यह भी वहीं  था किंतु उसमें इसका कितना हाथ है ? यह तो तहकीकात करने पर ही पता चलेगा। 

सर !आपने, यह नहीं पूछा -कि सौम्या ने इसे रिश्ता क्यों तोड़ा ?

यह प्रश्न इससे पूछने का नहीं है, यह तो सौम्या से ही पूछ कर पता चलेगा, जरा उस लड़की को भी बुलवाओ !

जी सर !आजकल के बच्चे न जाने कौन सी दुनिया में घूम रहे हैं ,ये भी है ,कभी -कभी जोश में गलत क़दम उठा लेते हैं। आपने देखा नहीं, ये लड़का कितना सीधा बन रहा था। उस लड़की ने इसका दिल तोडा और इस पर उसका कोई असर ही नहीं हुआ और यह अपने घर चला गया व्यंग्य से विकास बोला। 

यह उम्र ही ऐसी होती है, जो कुछ न करा दे, वही कम है , मुझे तो वह जो ''प्रकाश रस्तौगी ''नाम का लड़का आया था ,उस पर भी शक है। वह ऋचा  से प्रेम करता था, और सुनंदा और कविता की देखभाल कर रहा था,उनके प्रति आदर्श नागरिक होने का फ़र्ज निभा रहा था।  बच्चे अपने को कितना होशियार समझते हैं ? हम जैसे अनुभवी लोगों को बेवकूफ बनाने का प्रयास करते हैं लेकिन यह नहीं जानते, हम इनसे भी  खतरनाक लोगों से, प्रतिदिन मिलते हैं, मुस्कुराते हुए इंस्पेक्टर सुधांशु बोला।

मुझे तो लग रहा है ,यह ऋचा को चिढ़ाने के लिए ही ,कविता और सुनंदा पर ध्यान दे रहा था ताकि ईर्ष्यावश ऋचा इस पर ध्यान दे। 

हाँ ,ऐसा हो सकता है। 

होने को तो यह भी हो सकता है ,यह रात्रि में ऋचा का पीछा करते हुए उसके टेंट हॉउस जाता है और उसे वहां से उठाकर तालाब पर ले जाता है। 

नहीं ,ऐसे तो वो उठ सकती थी ,शोर भी मचा सकती थी। 

तालाब काफी दूर था ,उसे कोई उठाकर ले जाये ऐसा सम्भव नहीं ,लड़की स्वयं चलकर जाये ,तब तो बात बन सकती है किन्तु प्रश्न यह उठता है कि वो जब उसे प्यार ही नहीं करती तो उसके पीछे क्यों जायेंगी ?

हो सकता है ,किसी ने उसकी सहायता की हो। 

ये भी हो सकता है ,यह कार्य भी नितिन का ही हो। 

और ये भी हो सकता है ,कोई हमें भटका रहा हो ,काम किसी तीसरे ने ही किया हो। तभी दरवाजे पर एक आहट होती है, तीनों घूम कर उधर देखते हैं। वहां पर रोहित खड़ा हुआ था। उनके देखते ही रोहित बोला -सर ! क्या मैं अंदर आ सकता हूं ?  

हां, हां क्यों नहीं ? तुम्हें ही बुलाया है। 

आपने, मुझे क्यों बुलाया है ?मुझे जो कुछ भी  मालूम था ,आपको पहले ही बता दिया।

ये एक लड़की की हत्या की तहकीकात चल  रही है ,तुम्हें जब भी बुलाया जायेगा ,तुम्हें आना ही होगा विकास कठोर शब्दों में बोला।  

 नितिन, तुम लोगों के साथ कब से है ?सुधांशु ने पूछा। 

 जब से उसने, कॉलेज में दाखिला लिया। 

मैंने तो सुना है, वह तुम लोगों के साथ रहना ही नहीं चाहता था। 

हां, आपने सही सुना है, वह जिस घर- परिवार से आया था, उसके  मध्यमवर्गीय परिवार में ,जो आदर्शों  और  नियमों के तहत उस घर में लोग रहते हैं। शुरुआत में उसका भी, व्यवहार ऐसा ही था। हम लोग, उसे गलत लगते थे , वह हमें बहुत भाषण देता था। ज्ञान और संस्कार की बातें सुनाता था। एक दिन उसे ''कार्तिक भैया'' मिले, उनसे बातचीत हुई, और कुछ दिनों  पश्चात हमारे साथ  रहते -रहते कुछ दिनों में हम जैसा ही हो गया। 



laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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