Shaitani mann [part 86]

 जब नितिन नहाकर जब बाहर आया ,तब एक स्वर गूंजा -10:00 बज रहे हैं 11:00 बजे तक तुम्हें, वहां उपस्थित होना होगा,नितिन ने घूमकर देखा वहां रोहित खड़ा था। 

हाँ ,हाँ चला जाऊंगा ,मेरी माँ की तरह मेरे पीछे मत पड़ो !

पड़ना ही पड़ेगा,यदि तुम वहां नहीं पहुंचे तो वे यहाँ आ जायेंगे। सुमित और रोहित  चाहते थे ,नितिन समय पर इंस्पेक्टर के सामने उपस्थित हो जाये वरना यदि पुलिस को हम पर शक हो जायेगा,तो उनसे पीछा छुड़ाना मुश्किल हो जायेगा। 


बाहरी तौर पर नितिन अपने को बेफ़िक्र ,लापरवाह दिखाना चाहता था किन्तु  नितिन मन ही मन बहुत घबरा रहा है,एक मन में आया यहाँ से भाग जाऊँ ,दूसरे ही पल लगा, यह बात घर तक नहीं पहुंचनी चाहिए।  यदि नहीं गया, तो पुलिस उसे पकड़कर ले जाएगी इसीलिए वह चुपचाप वहां से पुलिस से मिलने के लिए चल देता है। 

वो इधर -उधर टहलता रहा ,कई लड़के उधर से आ जा रहे थे ,उनमें से किसी एक से पूछा -क्या पूछ रहे हैं ?

वही घिसे -पिटे सवाल, जब हत्या हुई, तुम कहाँ थे ? क्या तुमने किसी को देखा ,तुम्हें किसी पर शक है ?कहकर लापरवाही से आगे बढ़ गया। 

वह कुछ देर तक एक बेंच पर बैठा रहा ,उस लड़के की बातों से नितिन में हिम्मत आई और कुछ देर पश्चात हिम्मत करके वहां चल ही देता है ,उसने यहां आने के लिए अपने आपको मानसिक रूप से बहुत तैयार किया था। 

छह  फुट का आकर्षक नौजवान लड़का इंस्पेक्टर सुधांशु  के सामने प्रस्तुत होता है। 

तुम कौन हो ?

मेरा नाम 'नितिन' है। 

ओह ! तो तुम नितिन हो , कल क्यों नहीं आए थे ?

सर ! मेरी तबीयत ठीक नहीं थी। 

क्यों, तुम्हारी तबीयत को क्या हुआ था  ?अच्छे- भले तो दिख रहे हो।इंस्पेक्टर साधारण सी बातचीत से नितिन के मन के ड़र को कम कर देना चाहता था  

 थोड़ा सिर में भारीपन और दर्द था। 

क्या, शराब पीते हो ?उसकी तरफ देखते हुए पूछा। 

उनके इस प्रश्न पर नितिन अचकचा गया ,हिचकिचाते हुए बोला -नहीं , नहीं तो...... 

 तुम्हारी आंखें तो यही कह रही हैं, कि तुम नशा करते हो।

वो तो कभी -कभार पार्टी वगैरह में हो जाता है। 

हमने सुना है ,तुम पार्टियां बहुत करते हो। 

नहीं सर !ऐसा कुछ नहीं है , जो मुझसे चिढ़ते हैं, वो तो ऐसा ही बोलेंगे। 

तुमसे भला कोई क्यों चिढ़ेगा ?

जिन्हें मैं पार्टियों में नहीं बुलाता, वो तो चिढ़ेगा ही। 

अभी तुम कह रहे थे ,मैं पार्टियां नहीं करता। 

वो तो कभी -कभार की बात ही तो कर रहा हूँ। 

तुम इतनी पार्टियां क्यों करते हो ? तुम क्या साबित करना चाहते हो ? तुम यहाँ पढ़ने आये हो या पार्टियां करने। 

सर !ऐसा कुछ भी नहीं है ,मैंने कभी पार्टी भी की तो ,अपने जन्मदिन पर ,मैं यहाँ कोई तीज -त्यौहार मनाने नहीं आया हूँ। 

ह्म्म्मम्म,अब मुद्दे की बात पर आते हैं , मैंने सुना है ,जिस रात्रि कविता गायब हुई थी ,वह तुम्हारी पार्टी में ही गयी थी। 

जी, आई थी ,मैंने ही उसे निमंत्रण भेजा था। 

क्यों ?बुलाया ,उससे कुछ दोस्ती या प्यार -मोहब्बत !

ये क्या बात हुई ? अन्य छात्र भी तो आये थे ,कविता के गायब होने से मेरी पार्टी में आने से उसका क्या संबंध है ? 

वह पहली बात तुम्हारी पार्टी में आई और उसी रात्रि गायब भी हो गयी ,यही संबंध है। 

सर ! ये आप कैसी बातें कर रहे हैं ? चिढ़ते हुए नितिन ने कहा -अन्य लोग भी तो आये थे। 

किन्तु गायब कविता ही हुई है ,हत्या भी उसी की हुई है ,मैंने सुना है ,वो तुम्हारी ओर आकर्षित थी ,तुम्हें पसंद करती थी। सौम्या ने तो तुम्हें इंकार कर दिया कहीं ऐसा तो नहीं ,सौम्या का गुस्सा तुमने कविता पर उतारा हो।

इंस्पेक्टर सुधांशु की बात सुनकर ,नितिन क्रोध  से उठ खड़ा हुआ और बोला -यहां सौम्या का जिक्र कैसे आया वो'' चैप्टर तो कब का क्लोज'' हो चुका है। 

ज्यादा तेवर दिखाने की आवश्यकता नहीं है ,चुपचाप बैठो ! जो पूछा जा रहा है ,उसका ठीक से जबाब दो !शेखर , नितिन को डपटते हुए बोला। 

नितिन चुपचाप दुबारा बैठ जाता है ,जब वह' चैप्टर क्लोज़' हो गया है तब तुम्हें सौम्या का नाम लेने पर इतना क्रोध क्यों आ रहा है ?यह साधारण सी पूछताछ ही तो है। 

वैसे ये बात आपको किसने बताई ?हाथों की मुट्ठी भींचते हुए नितिन ने पूछा। 

ए लड़के ! यहाँ ज्यादा तेवर दिखाने की आवश्यकता नहीं है,जब पूछताछ होगी तो सभी बातों पर गौर किया जायेगा और पूछना भी पड़ेगा ,सौम्या को बुलाना पड़ा तो उससे भी पूछताछ होगी। 

वैसे जब सौम्या ने तुम्हारे' इजहारे इश्क़' को ठुकराया ,तब तुमने क्या किया ? 

आपने मुझे कविता के केस की छानबीन के लिए बुलाया है फिर आप सौम्या की बात लेकर कैसे बैठ गए ?

हमारी इच्छा, अब तुम हमें बताओगे , हमें किस केस पर कैसे बात करनी है ? तुमसे जो जो पूछा जाए उसका ठीक-ठाक जवाब दो !

पूछिए ! क्या पूछना चाहते हैं ? जैसे अपनी बात करने के लिए तैयार हो गया था। 

तो बताओ ! जब तुमसे सौम्या ने इनकार किया, तब तुम दो  महीनों  के लिए कहां गायब हो गए थे ?

मैं कहां गया था ? हकलाते हुए नितिन बोला -यहीं  कॉलेज में ही तो था। मुझे लगता है, मेरे विरुद्ध कोई आपके ''कान भर रहा है।''

 अच्छा चलो, यह सब छोड़ो ! मुझे यह बताओ !जब सौम्या ने, इनकार कर दिया था और वह किसी और से रिश्ता बनाकर आई थी, तब तुमने क्या किया ?

मन ही मन नितिन को, इंस्पेक्टर पर क्रोध आ रहा था, क्या कर सकता है ? वह कोई कॉलेज के लड़के तो थे नहीं कि उन्हें पीट देता ,''दाँत पीसते हुए ''बोला -,मैं और क्या कर सकता था ? किसी से जबरदस्ती तो नहीं की जा सकती थी ,अब ये उसकी इच्छा पर निर्भर करता है वो अपनी ज़िंदगी में किसके साथ जीना चाहती है ?

मैंने यह नहीं पूछा कि वह अपनी जिंदगी में किसके साथ जीना चाहती है, मैं यह पूछ रहा हूं, कि तुमने क्या किया ?

फिर वही बात, मैं क्या कर सकता हूं, अपनी पढ़ाई भी व्यस्त हो गया। नितिन की बात सुनकर इंस्पेक्टर ने अपने दोनों सहयोगियों की तरफ देखा जो पहले से ही मुस्कुरा रहे थे।  

किंतु हमने तो सुना है, तुम दो महीनों  के लिए गायब हो गए थे। इन दो महीना में तुम कहां गए थे ? क्या तुम पर उसकी बातों का कोई असर नहीं हुआ ?अब नितिन को लगने लगा, कि यह लोग, बहुत सारी जानकारी लिए हुए बैठे हैं। तब वह बोला -जब कोई किसी के प्यार को ठुकरा देगा तो वह क्या करेगा ? दुखी और परेशान ही होगा। मैं भी परेशान हुआ था, मुझे भी दुख हुआ था , इसीलिए कुछ दिनों के लिए मैं घर चला गया था।

 तुम्हारा घर कहां है ? गाजियाबाद जिले के एक शहर में , मेरा घर है। 


  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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