Shaitani mann [part 84]

इंस्पेक्टर सुधांशु कॉलेज के ही, एक खाली कमरे में, कुछ बच्चों की सूची बनाकर उनसे पूछताछ हा करना चाहता है। जो भी छात्र उसे लगेगा कि उसका इस केस से अवश्य ही कोई संबंध होगा, उसे फिर वह थाने  ले जाएगा क्योंकि कॉलेज के प्रिंसिपल भी नहीं चाहते कि कॉलेज के बच्चे थाने में जाएं इसीलिए उसकी पूछताछ के लिए, प्रधानाचार्य जी ने वहीं एक कमरा दे दिया उस समय कॉलेज के छात्र '' प्रकाश रस्तोगी'' से पूछताछ चल रही थी। पूछताछ के दौरान प्रकाश, एक महत्वपूर्ण, सूचना इंस्पेक्टर सुधांशु को देता है। वह बताता है- कि नितिन, सौम्या को पसंद करता था और उससे प्यार भी करता था किंतु कुछ समय पश्चात ही, अचानक सौम्या छुट्टियां लेकर गई और उसका रिश्ता किसी और लड़के से हो गया। जब इस बात का पता इंस्पेक्टर सुधांशु को चला तो उन्होंने पूछा -नितिन, पर इस बात का क्या असर हुआ ?


असर तो अवश्य हुआ होगा किंतु उसने किसी को जाहिर नहीं होने दिया और वह अचानक ही गायब हो गया। 

गायब हो गया,इंस्पेक्टर ने चौंककर पूछा।  यह बात हिला देने वाली थी, जिस लड़के का दिल टूटा है, उसकी प्रेमिका का किसी और से, रिश्ता तय हो गया और वह उससे पूछने की बजाय, बातचीत  करने की बजाय, गायब हो गया। वो कहां चला गया था ?

ये तो वही जाने ,हमें कुछ नहीं मालूम , यह मालूम है कि कई दिनों  तक वह कॉलिज में दिखलाई  नहीं दिया और जब दिखाई दिया तो ऐसा लग रहा था जैसे उस पर सौम्या के इस रिश्ते का कोई असर ही नहीं हुआ। वह सामान्य तरीक़े से रह रहा था, जैसे पहले रहता था। 

क्या उसके पश्चात, उसने कभी भी सौम्या से बात नहीं की। उसे दुख नहीं हुआ, हमें तो नहीं लगता। 

ऐसा ही हुआ ,हमें भी आश्चर्य होता था जिसकी दोस्त का विवाह तय हो गया ,उस पर कोई असर नहीं पड़ा।

ऐसी परिस्थिति में तुम होते तो क्या करते ?

मुझसे बर्दाश्त नहीं होता,मैं होता तो उससे पूछता- उसने मुझे धोखा क्यों दिया ? तभी वह सम्भल गया और बोला -लेकिन यह बात आप मुझसे क्यों पूछ रहे हैं ?मुझसे बेहतर तो उसके दोस्त जो उसके कमरे में रहते हैं वही  बता सकते हैं। 

उसके कमरे के पार्टनर कौन है ?

 एक तो अभी आपसे मिलकर गया रोहित और सुमित !

हाँ ,उन्होंने बताया तो था किंतु यह एक बार भी नहीं बताया कि  नितिन और सौम्या का कोई रिश्ता था या  उनका दोस्त नितिन कुछ दिनों के लिए कॉलिज  से गायब हो गया था ?

वे लोग क्यों बताने लगे , दोस्त जो हैं,'' एक ही थाली के चट्टे- बट्टे हैं ''एक दूसरे की गलतियों को छुपाते हैं।यह नितिन जब कॉलिज आया था ,तब बहुत सीधा था और उन लड़कों के कारण अपना कमरा बदलने की शिकायत अध्यापकों से करता रहता था 

क्यों क्या हॉस्टल में कमरे कम हैं ?

कमरे तो बहुत हैं किन्तु उस समय खाली नहीं था। 

वह बाद में भी तो अपना कमरा बदल सकता था ,यह कोई इतनी बड़ी बात नहीं है। 

बात तो जब बड़ी हुई ,जब कमरा खाली हुआ तो नितिन कमरा बदलने के लिए तैयार नहीं था, इंस्पेक्टर सुधांशु ने अपने साथी शेखर और विकास की तरफ देखा। 

मैंने सुना है, तुम भी तो ऋचा  को बहुत पसंद करते थे, तुमने तो उससे  प्यार का इजहार किया था। 

प्यार का इजहार करना कोई गलत बात तो नहीं है, वह मुझे पसंद थी, अच्छी लगती थी इसीलिए मैंने उससे प्यार का इजहार किया। 

जब उसने तुमसे मना कर दिया होगा, क्या तुम्हें गुस्सा नहीं आया होगा ? तुम्हें भी तो क्रोध आया होगा।

आपसे यह सब किसने कहा ? 

हम पुलिसवाले हैं ,पता लगा ही लेते हैं। तुम बताओ !

हां शुरू- शुरू में तो गुस्सा आता ही है, किंतु धीरे-धीरे यही समझने में भलाई है जो चीज मेरी नहीं, उस पर क्यों जबरदस्ती अधिकार दिखलाना ?जो चीज मेरी होगी उसे मुझसे कोई नहीं छीन सकता। 

 उसने तुमसे मना  क्यों किया ? क्या उसका कोई और बॉयफ्रेंड था ?

यह तो वही जाने, किंतु उसके बाद मैंने उससे कोई बात नहीं की।

 जब तुम लोग जंगल वाली ट्रिप पर गए थे, तब मैंने सुना था तुम कविता और सुनंदा पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रहे थे। 

सर! यह सब आपसे किसने कहा ? हमारे साथ लड़कियां गई थीं , सर भी थे और मैडम भी थीं  किंतु हमारा भी तो कुछ कर्तव्य बन जाता है, साथ में गई लड़कियों का ध्यान रखें। आखिर हम भी तो जिम्मेदार नागरिक हैं। 

तुमने यह कैसी जिम्मेदारी निभाई ? तुम एक लड़की की जान तक तो बचा नहीं सके। 

अब सर इसमें मैं क्या कर सकता हूं ? वह कब, कहां उठकर गई ? वह  तालाब के पास कैसे पहुंच गई हमें क्या मालूम होगा ? मुझे तो समझ ही नहीं आता, वह तालाब पर गई ही क्यों थी ?

तुम्हें उसके जाने का दुख नहीं हुआ। 

क्यों नहीं होगा ? संपूर्ण कॉलेज को दुख हुआ था किन्तु हम कर भी क्या सकते हैं ?

तुम तो इतने इत्मीनान से कह रहे हो ,जैसे तुम पर उसकी मौत का कोई असर नहीं हुआ ,तुम उससे प्यार करते थे और वो लड़की तुम्हारी आँखों के सामने मगरमच्छों का शिकार हो गयी और उससे पहले किसी ने उसके साथ अनाचार भी किया। क्या तुमने जानने का प्रयास भी नहीं किया कि उसकी मौत कैसे हुई ?या किसने की होगी ?जब वो मगरमच्छों का शिकार हुई ,तो क्या उसके चीखने -चिल्लाने की आवाज नहीं आई। 

नहीं ,मुझे ही क्या ?किसी को भी उसके चीखने की आवाज नहीं आई, मैं कोई पुलिसवाला नहीं ,एक छात्र हूँ ,पुलिस अपना कार्य कर रही है ,अभी आप कविता के केस की बात कर रहे थे और अब ऋचा की बातें करने लगे तिलमिलाते हुए वो बोला।  

क्यों ऋचा भी तो इसी कॉलिज की लड़की थी ?क्या तुम्हें नहीं लगता ?कि उसका क़ातिल पकड़ा जाना चाहिए। 

मैं क्यों नहीं चाहूंगा ?मेज पर रखे पानी को पीते हुए बोला -मुझे लगा ,अब आप लोगों ने वह केस बंद कर दिया।

 बंद क्यों किया ?किसने कहा ,हमने केस बंद कर दिया। 

जी ,किसी ने भी नहीं ,बस मुझे ऐसा लगा।अब तो आपको और कुछ नहीं पूछना ,अच्छा अब मैं चलता हूँ। 

तुम जा सकते हो किन्तु जब भी तुम्हारी सहायता की आवश्यकता होगी तुम्हें बुला लिया जायेगा आखिर तुम एक जिम्मेदार नागरिक हो सुधांशु ने प्रकाश पर कटाक्ष करते हुए कहा।  


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post