Shaitani mann [part 83]

इंस्पेक्टर सुधांशु ने, नितिन को बुलवाया किंतु नितिन नहीं आया। सुधांशु उसे दोबारा बुलवाने के लिए दयाराम को भेजता है और उन छात्रों की सूची देखता है जो छात्र '' जंगल वाली ट्रिप'' पर गए थे। एक सूची उसने वो भी देखी ,जो छात्र उस दिन पार्टी में गए थे ,लगभग वही छात्र उस पार्टी में भी शामिल थे। अब सुधांशु जी ने सोच लिया था। सबसे पहले उन्हीं  छात्रों, से ही बातचीत शुरू करनी होगी,जो दोनों जगह ही मौजूद थे।  कुछ ही देर में, कुछ छात्र, वहां आ जाते हैं,उनमे सुमित और रोहित भी हैं ,अपना नाम बताइए !

जी, मेरा नाम 'सुमित सहगल' है , मैं इसी कॉलेज का आखिरी साल का छात्र हूं। 

क्या तुम उस रात्रि  पार्टी में गए थे ?

 जी, गया था। 


क्या, वहां पर कविता भी गई थी ?

जी, कविता ही नहीं वहां पर कई अन्य लड़कियां भी गई थीं। 

तुमने वहां कुछ विशेष देखा। 

वहां पर ऐसा कुछ विशेष नहीं था। हर बार की तरह ही यह पार्टी थी। 

 जिसने भी यह पार्टी दी,उसका क्या नाम है ? तुम उसे कैसे जानते हो ?

 वह पार्टी नितिन ने दी थी, अक्सर वह ऐसी पार्टियों करता रहता है ,हमारे ही कमरे में रहता है। 

सोचते हुए ,सुधांशु बोला -तब तो तुम्हारा बुलाना स्वाभाविक था ,क्या उसके पास बहुत पैसा है ? इतनी पार्टियों के लिए खर्चा कहां से लाता है ? जहाँ तक मेरा विचार है ,उसके घरवाले तो उसे इतना खर्च नहीं भेजते होंगे, इस बात पर सुमित थोड़ा चुप हो गया। सुमित के हाथ में चोट देखकर, इंस्पेक्टर सुधांशु ने पूछा -तुम्हें यह चोट कैसे लगी  ?

बस ऐसे ही, कहीं फिसल गया था। 

यह अच्छा बहाना है, कुछ लोग जब कुछ बात छुपाना चाहते हैं, तो यही बहाना बताते हैं, वैसे यह बहाने  पुराने हो गए हैं, तुम मुझसे कुछ छुपा तो नहीं रहे हो , यदि तुम कुछ जानते हो तो मुझे बता सकते हो। 

नहीं, कर ऐसी कोई बात नहीं है, हम लोग यहां पर चार साल से हैं। एक साल हमारा खराब चला गया था। बाकी आखिरी साल है ,हमें किसी से कोई लेना- देना नहीं है। 

अभी, जब तक तुम  यहां हो, तब तक तो तुम्हें मेरे कुछ सवालों का जवाब देना ही होगा और यदि लगता है कि तुम्हें ऋचा के केस में अथवा कविता के केस में किसी भी विषय में कोई जानकारी है। तो मैं तुम्हारे घर भी तुमसे पूछने आ सकता हूं, इंस्पेक्टर ने उसे चेतावनी देते हुए कहा। 

कुछ देर पश्चात ही रोहित भी आता है और उससे भी इसी तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं किंतु रोहित भी लगभग ऐसे ही, सवालों के जवाब देता है। सुधांशु रोहित से पूछता है, तुम भी नितिन को जानते हो , वह यहां क्यों नहीं आया ?

उसकी थोड़ी तबीयत बिगड़ी हुई है, नज़रें चुराते हुए वह बोला। 

क्यों, उसकी तबीयत को क्या हुआ है ?उसे बुखार है। 

नहीं ,सर ,पता नहीं,उसे क्या परेशानी है ?

तुम तो उसके दोस्त हो ,तुम्हें तो बताया होगा। 

अभी वह सो रहा है। 

इस समय कौन सोता है ?क्या कोई और बात तो नहीं ,जो तुम मुझसे छुपा रहे हो। 

नहीं सर !हम आपसे क्यों छुपायेंगे ?

यह लड़का केेसा है ?यानि कि  उसका व्यवहार...... उसकी आदतें !

सब ठीक है ,अब मैं चलूँ। जैसे ही वो जा रहा था ,तभी सुधांशु ने उसे रोका, रोहित घबरा गया और मुडकर पूछा -क्या हुआ ?सर !

तुम लोग, उस दिन 'जंगल ट्रिप ' पर भी गए थे ,वहां तुमने कुछ अजीब सा देखा था । ऋचा का किसी से झगड़ा या उसकी किसी से दोस्ती ,मेरा मतलब है उसका कोई ''बॉय फ्रेंड ''

सोचते हुए ,रोहित कहता है -वैसे तो उसकी किसी से दुश्मनी नहीं थी और प्रकाश !उससे दोस्ती करना चाहता था किन्तु ऋचा ने उससे, उस रिश्ते से इंकार कर दिया। ट्रिप पर भी दोनों थे किन्तु उनके व्यवहार से ऐसा तो नहीं लगा कि उनकी दुश्मनी है बल्कि सुनंदा के लिए परेशान लग रहा था। 

वो भला क्यों ?

सुनंदा और प्रकाश बचपन से एक ही शहर से हैं ,अब भी साथ हैं ,थोड़ा ज्यादा ही अधिकार जमाता है। ऐसे तो वह कविता के लिए भी ऐसा ही कुछ व्यवहार दिखला रहा था। जैसे उसने ही इस ट्रिप सभी लड़कियों का उत्तरदायित्व संभाला है। 

अच्छा !क्या तुम लोगों ने ऐसा नहीं सोचा। 

हमें ऐसा क्यों सोचना था ,हम कोई उसके घरवाले या उससे बड़े नहीं ,हम सभी साथ के थे,हमारे साथ हमारे अध्यापक और अध्यापिका थे ,यह उनका कार्य था। 

अब तुम जा सकते हो। 

तब तक इंस्पेक्टर सुधांशु के पास उनकी टीम के सदस्य आ पहुंचे थे। सर !क्या आज आप थाने नहीं गए। 

हाँ ,गाजियाबाद जिले से इंस्पेक्टर कपिल आये थे ,उनको लेकर इधर ही आ गया ,तब सोचा ,जब यहां आ ही गया हूँ तो अपना कार्य पूर्ण करके चलता हूँ। उससे आगे की कार्यवाही थाने में कर लेंगे।अब तुम बताओ !तुमने रोहित की बात सुनी , तुम्हें क्या लगता है ?क्या इसने सब सही बतलाया है ?

कह तो, सही रहा है किन्तु लगता है ,बहुत कुछ छुपा भी रहा है ,शेखर ने जबाब दिया। 

हम्म्म्म मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है ,इंस्पेक्टर सुधांशु अपने अनुभव के आधार पर बोला।अच्छा देखो जरा,क्या बाहर 'प्रकाश' नाम का लड़का भी आया है या नहीं। 

कुछ ही देर में प्रकाश अंदर आता है। 

तुम्हारा क्या नाम है ?

प्रकाश !

 पूरा नाम बताइए !

प्रकाश रस्तोगी !

अभी यह जो कविता का मर्डर केस हुआ, इसके विषय में तुम्हारा क्या कहना है ?

मैं क्या कह सकता हूं ? आप पुलिस वाले हैं आप पता लगाइए !

हम पता तो लगा ही रहे हैं, किंतु तुमसे भी सुनना चाहते हैं, मैंने तो सुना है तुम्हें कविता पसंद थी। 

हाँ  पसंद थी, इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं उसकी हत्या कर दूंगा। 

यह तो मैंने कहा ही नहीं, यह तुम कह रहे हो। 

तुम्हें क्या लगता है, उसकी हत्या के पीछे क्या कारण हो सकता है ?

जरूर से ज्यादा किसी पर विश्वास कर लेना, हालांकि ऐसा इंसान वह होता नहीं है ,जैसा वह दिखलाता है। 

उसने किस पर जरूर से ज्यादा विश्वास किया ? ऐसा तुम्हें क्यों लगता है ?

वह मन ही मन नितिन को पसंद करती थी , हालांकि नितिन कि उसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी किंतु जैसे ही सौम्या से नितिन का रिश्ता टूटा , उसे लगा उसके लिए रास्ता खाली हो गया है। 

यह सौम्या कौन है ?

 हमारे ही कॉलेज में पढ़ती है, पहले तो और नितिन और सौम्या की अच्छी दोस्ती थी किंतु अचानक ही सौम्या छुट्टियों में गई और वहां उसका रिश्ता पक्का हो गया कॉलेज में सभी लोग यही सोचते थे कि नितिन और सौम्या एक दूसरे से प्रेम करते हैं। 

यह देखकर तो, नितिन को भी बहुत धक्का लगा होगा। 

हां, लगा तो था किंतु उसने जाहिर नहीं होने दिया और वह अचानक गायब हो गया। 

मतलब ! कहां गायब हो गया, कैसे गायब हुआ ?

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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