कुछ चीजें, जब जीवन में अचानक हो जाती हैं ,वो आश्चर्यचकित तो करती ही हैं किन्तु अच्छी बातें एक तरह से देखा जाये तो जीवन का वो पल 'बोनस 'के रूप में सामने आ जाता है और जीवन का वो पल ''बोनस चैप्टर ''की तरह ज़िंदगी की उस किताब के पन्नो में शामिल हो जाता है। आज तो कुछ ऐसा ही इंस्पेक्टर कपिल के साथ हुआ। जहाँ एक तरफ वो एक केस में उलझा हुआ था ,वहीं दूसरी तरफ स्वरा ने उसकी ज़िंदगी में फिर से आकर,उसकी वीरान होती ज़िंदगी को ,जैसे फिर से बरसात की फुहारों ने भिगो दिया।आज वह खुश था ,स्वरा का ये ह्रदय परिवर्तन कैसे ? तब अपने आपको समझाता है ,जैसे भी हुआ ,मेरे आंगन में बहार तो आई।
भोजन बनाते हुए ,स्वरा, साहु से पूछती है -क्या तुम्हारे साहब मुझे याद करते थे ?
आप भी कैसी बातें कर रहीं हैं ? कोई दिन ही जाता होगा ,जब साहब ने आपको स्मरण नहीं किया होगा ।
साहु ने स्वरा का मन रखने के लिए यह सब कह तो दिया किन्तु ये नहीं कहा, साहब !आते ही कितनी देर के लिए थे ? जब भी आते परेशान रहते ,जब भी आपका फोन आ जाता तब और परेशान होते ,आज बहुत दिनों पश्चात, उनके चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान देखी है।
भोजन परोसते हुए स्वरा,कपिल से बोली -अच्छा ,एक बात बताइये !आजकल क्या सुनने में आ रहा है ?
क्या सुनने में आ रहा है ?कपिल ने ,कुछ भी न समझते हुए स्वरा से पूछता है।
वही केस,जो आजकल चर्चा में बना हुआ है, न जाने वो कौन है, जो लड़कियों को मार रहा है इसके पीछे उसकी क्या सोच हो सकती है ?
यदि वो उन लड़कियों को मार रहा है तो इसका अर्थ है ,उसके अंदर 'बदले की भावना है' ,वो यह बदला लड़कियों से ही ले रहा है ,हो सकता है, उसने धोखा खाया हो।किसी लड़की ने उसका दिल तोडा हो ,आजकल यही सब तो चलता है।
तब वो उसका हाथ क्यों काटता है और उसके हाथ में अंगूठी किस बात की ओर इशारा करती है ?वैसे आपकी छानबीन कहाँ तक पहुंची ?
इस केस के विषय में तुम कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी ले रही हो ,काफी जानकारी भी हो गयी है।
हो भी क्यों न..... पुलिसवाले की पत्नी हूँ ,प्रतिदिन इस केस के विषय में, समाचार पत्रों में कुछ न कुछ छपता ही रहता है। मैं इसे तबसे ही पढ़ रही हूँ,जबसे ये केस दुनिया की नजर में आया।
चावल में दाल मिलाते हुए कपिल बोला -तुम ये सब छोडो !तुम बताओ !तुम्हें इस गरीब की याद कैसे हो आई ?वो केस सुलझे या न सुलझे किन्तु मेरी ज़िंदगी का यह बहुत बड़ा केस ,आज तुमने सुलझा दिया है तो लगता है ,वो केस भी सुलझ जाएगा।तुम्हारे सपने ,तुम्हारी नौकरी...... उनका क्या ?
वो सब अब तुम्हारे साथ...... मुस्कुराते हुए स्वरा बोली -जीवन के महत्वपूर्ण पल तो हम यूँ ही गंवा रहे हैं,तुम यहां, मैं वहां ,कभी -कभी मन बहुत उचट जाता था किन्तु अब भी देख लो ! मुझे केस बता रहे हैं ,ख़ैर छोडो !लड़ते नहीं हैं। बताइये !रात्रि के भोजन में क्या बनाऊं ?
जो तुम्हारी इच्छा हो ,अच्छा अब मैं चलता हूँ ,आज उसी केस के सिलसिले में मुझे एसपी. साहब से बहुत डांट पड़ी किन्तु अच्छा भी हुआ ,तुम आ गयीं।
स्वरा कपिल के करीब आई और उसने पूछा -मेरे आने से आप खुश हैं।
कपिल ने उसकी आँखों में झाँका और बोला -जब तन में आत्मा प्रवेश कर जाती है,तो शरीर जीवित हो उठता है ,उसी तरह कपिल भी जी उठा है ,मुस्कुराकर अपनी मोटरसाइकिल पर बैठा और चल दिया। स्वरा उसे दूर तक जाते देखती रही। कपिल सोच रहा था -अचानक इसका ह्रदयपरिवर्तन कैसे हुआ ?पांच वर्षों से मैं इसी इंतजार में था कि वो वापस मेरे, अपने घर आये और इस घर को घर बना दे। कपिल की ख़ुशी ने उसे जैसे नए उत्साह से भर दिया।
आज फिर से नितिन उठकर चल देता है ,अचानक ही सुमित की आँख खुलती है ,उसने देखा नितिन बाहर जा रहा है ,तब वह उसे आवाज देता है -नितिन कहाँ जा रहा है ?किन्तु उसने तो जैसे सुना ही नहीं ,और चलता गया। तब सुमित उसका पीछा करने लगा। सुमित ने देखा ,नितिन चुपचाप आगे बढ़ता जा रहा है ,जैसे उसे अपनी मंजिल पता है उसे कहाँ जाना है ? सुमित ने सोचा -शायद इसे नींद में चलने की बिमारी हो गयी है। इतनी रात्रि में सुमित से जोर से बात नहीं कर सकता था। तब वह वापिस अपने कमरे में आया और रोहित को उठाया ,रोहित !रोहित !उठ देख !नितिन कहाँ गया ?
नीद में अलसाते हुए रोहित ने पूछा -कहाँ गया ? यहीं होगा ,तुम सो जाओ !
अरे !तू समझता क्यों नहीं ? वो उस दिन बात हुई थी न... कोई सन्यासी !सम्मोहन !कुछ याद आया। उसे मैंने अभी बाहर जाते हुए देखा,
किसको ?सन्यासी को !
तू पागल है ,साले !नींद में बौरा गया है ,आ चल !आज उसका पीछा करते हैं।
रोहित मुस्कुराया और बोला -मैं तो तेरी टाँग खींच रहा था।
उसे बाद में खींच लेना ,आज देखें तो सही ,वह कहाँ जा रहा है ?
सुमित और रोहित दोनों ही सतर्क हो गए, और दोनों ही कमरे से बाहर आए , रोहित ने पूछा- वह किधर गया है ?
वह अभी यहीं इसी गलियारे में था, तभी तो मैं कह रहा था -जल्दी उठ ! किंतु तुझे तो मेरी टांग खींचने की लगी थी। आ, चल! देखते हैं, किधर गया होगा ?
किधर क्या गया होगा ? वह पीछे की तरफ ही गया होगा, उधर ही तो वह खाली खेत हैं। बड़े ही धीरे-धीरे सधे कदमों से वह आगे बढ़ रहे थे किंतु नितिन उन्हें कहीं भी दिखलाई नहीं दिया। इतनी जल्दी कहां गायब हो गया ?
मुझे तो लगता है , उसे नींद में चलने की बीमारी हो गई है।
ऐसा तुम कैसे कह सकते हो ?
मैंने उसे आवाज लगाई थी, किंतु उसने मेरी एक नहीं सुनी तब मुझे लगा -शायद, वह नींद में है।
नींद में होता तो इतनी जल्दी, गायब नहीं हो जाता। चलो !आगे बढ़ते हैं।
कहां ,आगे जाना है ? यही तो पता नहीं चल रहा है, न जाने किधर चला गया ? वार्डन , ने हमें इस समय घूमते हुए देख लिया तो हम पर फाइन लग जाएगा। दोनों दोस्त बात करते हुए जा रहे थे, तभी सुमित ने देखा , दीवार पर एक परछाई थी। अरे यार ,रोहित ! देख तो सही , वह कौन है ? कहीं नितिन ही तो नहीं।
वह कैसे, इतनी ऊंची दीवार पर चढ़ सकता है ?
तब कौन हो सकता है ? थोड़ा नजदीक जाकर देखते हैं। उनके देखते ही देखते वो परछाई दीवार से कूदी और ओझल हो गयी।
