कपिल यह सब क्या हो रहा है ? यह क़ातिल कौन है ? जो लड़कियों की हत्या कर रहा है ,आज तक पकड़ा नहीं गया है। कैसा सरफिरा इंसान है ?लड़कियों के साथ संबंध बनाता है और फिर उन्हें मार देता है। वह ये सब क्यों कर रहा है ?
सर !मैं ये कैसे बता सकता हूँ ,कि उसके मन में क्या चल रहा है ?किन्तु एक बार वो मिल तो जाये आपके और अपने सभी सवालों के जबाब उससे मांगूंगा,'दाँत पीसते हुए ''कपिल बोला ,उसे पहले से ही इस अनजान क़ातिल पर, पहले से ही बहुत क्रोध आ रहा है। अब तो मिडिया और लोगों के प्रश्नों का जबाब देना भी मुश्किल हो रहा है। इसमें सभी को लगता है ,कि पुलिस नकारा है ,लड़कियों के उस हत्यारे को आज तक न पकड़ सकी।
जबाब तो तभी मिलेंगे ,जब वो हमें मिलेगा,एस.पी. धीरेन्द्र प्रताप सिंह जी बोले।
सर !क्या करें ?वो इतना चालाक है ,कुछ कह नहीं सकते,लड़की के अंग कहीं मिलते हैं और उसका तन कहीं ओर मिलता है। कई केस में तो ,हाथ ही मिले हैं किन्तु उनके बाकी के हिस्से कहाँ है ?कुछ पता नहीं है। न जाने वो कौन है ? उन लड़कियों के वे हिस्से भी ऐसे सार्वजनिक स्थानों पर मिलते हैं ,जहाँ किसी एक पर शक़ नहीं किया जा सकता। हमने सीसीटीवी ,कैमरे के माध्यम से भी उसे ढूंढने का प्रयास किया ,जिन पर शक गया ,हमने उनसे पूछताछ की किन्तु कुछ भी हासिल न हुआ। जो भी ये कार्य कर रहा है ,बड़ी ही सफाई से कर रहा है।
तब तुम लोग क्या कर रहे हो ?हमारे महकमें की बहुत बदनामी हो रही है। अपनी पूछताछ का ,पता लगाने का तरीका बदलो, कुछ भी करो !वो क़ातिल पकड़ा जाना चाहिए।
जी सर !हम कोशिश करेंगे।
कोशिश नहीं करनी है ,सफलता हासिल करनी है।
जी सर !जय हिन्द सर !कहकर कपिल बाहर आ जाता है।
तभी कपिल को एक कॉल आती है ,उसे बहुत आश्चर्य होता है और वह अपनी मोटरसाइकिल पर बैठकर चल देता है।उसके ह्रदय की धड़कनें तीव्र गति से बढ़ रहीं थीं और उसका मन वायु गति से अपने गंतव्य तक पहुंच चु का है। ऐसा तो उसने कुछ भी नहीं कहा था, आज अचानक कैसे ?उसका ये ह्रदयपरिवर्तन हुआ। कुछ ही देर में अपने घर पहुंच जाता है। जैसे ही उसने दरवाजे की घंटी बजाई, सामने मुस्कुराती हुई स्वरा खड़ी दिखलाई दी। गंभीर बनने का अभिनय करते हुए बोला -तुम आज अचानक कैसे ?
पहले अंदर तो आइये !आप ही का घर है ,साथ ही ,ये मेरा भी घर है ,क्या मैं अपने घर नहीं आ सकती ?कपिल की बाजू पकड़कर बोली।
तुम्हें किसने रोका है ,तुमसे जाने के लिए भी किसने कहा था ,तुम अपनी इच्छा से ही ,यहाँ से गयीं थीं।
और अपनी इच्छा से ही आ भी गयी ,स्वरा ने कपिल का वाक्य, अपने शब्दों में पूर्ण किया। तब स्वयं ही अधिकार से बोली - अब तुम ही बताओ !क्या ये मेरी बात उचित है ?इतने दिनों से एक स्याने लड़के को मैंने इस तरह अकेले छोड़ रखा है ,महिलाओं की ऐसी ही लापरवाही, उन्हें ही नहीं, पूरे घर को बर्बाद कर सकती है ,कहते हुए वह कपिल के लिए ठंडा गुलाब का शर्बत बनाकर ले आई। वह जानती है , कपिल को 'गुलाब का शर्बत' बहुत पसंद है।
शर्बत पीते हुए वह मन ही मन सोच रहा था -इन औरतों को कोई नहीं समझ सकता। तब बोला -तुम ये सब काम क्यों कर रही हो ?साहु कहाँ गया है ?
इठलाते हुए स्वरा उसके करीब आई और बोली - अपने पति के लिए काम करना कोई गलत है ,देखा ! मुझसे कितनी बड़ी गलती हो गयी ?आपको मेरी नहीं साहू की आदत बन गयी है। आज मैं इतने दिनों के पश्चात अपने पति के पास आई हूँ ,उन्होंने एक बार भी मुझसे यह नहीं पूछा ,स्वरा !कैसी हो ? इस तरह अचानक मेरे दिल की बगिया को रौशन करने आई हो ,रूठते हुए बोली -आते ही, गले भी नहीं लगाया और पूछ रहें हैं -साहू कहाँ है ?और कोई होता तो वो साहू को बाहर भेजने का प्रयास करता और एक ये हैं,कहते हुए ,कपिल के करीब आई और पीछे से अपनी बाँहों का हार उसके गले में डाल दिया।
इतने दिनों से उसकी प्रतीक्षा कर रहा था ,कब आएगी ?किन्तु आज जैसे खुशियां उस पर मेहरबान हो गयीं। स्वरा का स्पर्श मिलते ही ,कुर्सी पर बैठे कपिल का रोम -रोम पुलकित हो उठा ,वह रोमांच से भर उठा। अब तक गंभीर होने का ,जो भी अभिनय कर रहा था ,सब भूल गया। उसने अपने हाथों को उठाया और स्वरा के चेहरे को आगे की ओर किया ,साथ ही स्वरा भी उसकी गोद में आ गिरी। तब कपिल ने स्वरा की आँखों में आँखें डालते हुए पूछा -कैसी हो ? अभी तक तो स्वरा कपिल से शरारत कर रही थी किन्तु उसकी गोद में आते ही ,जैसे ही उसकी नजरें कपिल से टकराईं शर्माकर लाल हो गयी किन्तु अब कपिल के पंजे में आ चुकी थी। कपिल ने बिना देरी किये ही,उसके कांपते अधरों पर अपने प्यार की मुहर लगा दी।
एकाएक स्वरा ने उसकी गोद से उठने का प्रयास किया और बोली -आते ही शुरू हो गए ,साहु आ गया तो......
आ गया तो क्या होगा ? आने दो ! देखेगा साहब !अपनी पत्नी से उनका हालचाल पूछ रहे हैं ,तो अपने काम में व्यस्त हो जायेगा मुस्कुराते हुए कपिल बोला
नहीं अभी दिन है ,मुझे शर्म आ रही है।
तुमने ही तो, इस सोये हुए शेर को उकसाया है ,अब उसके 'मुँह खून लग गया है'अब तो अपनी भूख मिटाकर ही शांत होगा। कहते हुए कपिल ने स्वरा को अपनी गोद में उठाया और उसे लेकर अपने कमरे की तरफ बढ़ गया। वैसे अब तो बता दो !साहु को कहाँ भेजा है ?
वो भोजन के लिए तरकारी लेने गया है।
फिर तो कोई' गल' नहीं जी ,दो घंटे से पहले आने वाला नहीं है ,अब तो ठीक से हालचाल पूछना होगा। स्वरा शर्माकर कपिल की बाँहों में सिमट गयी। जब दोनों बाहर आये ,तो देखा, साहु आ चुका था ,उसे देखकर स्वरा थोड़ा झेंप गयी और बोली -तुम कब आये ?
अब साहु क्या कहता ?जब साहब, आपको कमरे में ले जा रहे थे ,तभी आया ,किन्तु साहु बोला -अभी -अभी तो आया ,क्या साहब आ गए ?
हाँ आ गए ,चलो !जल्दी से कुछ बनाते हैं ,खाना खाकर चले जायेंगे ,रात्रि में आने में न जाने कितनी देर हो जाये ?
अब तो साहब समय पर ही आएंगे, साहु बुदबुदाया।
क्या तुम कुछ कह रहे हो ?
नहीं ,वो तो मैं सोच रहा था ,अब आप आ ही गयीं हैं तो साहब, समय से ही आ जाया करेंगे।
खुश होते हुए स्वरा ने पूछा -क्या तुम्हारे साहब को मेरी याद सताती थी ?
बहुत दिन ,नहीं बल्कि कई वर्षों से कपिल और स्वरा के विचारों में अंतर् आ रहा था। स्वरा के कहने पर ही उसकी ख़ुशी के लिए ही तो उसने पुलिस की नौकरी की किन्तु अब स्वरा कह रही थी -मेरे अपने भी कुछ सपने हैं ,घरवालों के प्रति उत्तरदायित्व है इसीलिए आ नहीं रही थी किन्तु आज अचानक आ गयी। कपिल को तो जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था उससे रूठने का प्रयास तो करता है किन्तु अधिक देर तक रूठ नहीं पाता। चलिए !आगे बढ़ते हैं -
