Shaitani mann [part 73]

नितिन का'' शैतानी मन'' अब पहले से और अधिक शैतान होता जा रहा था। न जाने ,कब क्या कर बैठे ? हालाँकि कविता उसके विषय में जानती थी,' कि नितिन अच्छे घर का लड़का है ,सौम्या ने उसका दिल तोडा है ,शायद थोड़ा परेशान रहता है। उसके दोस्त भी तो अच्छे नहीं हैं ,जिनकी सोहबत में रहकर,वह अपनी अच्छाई को भूलता जा रहा है किन्तु मेरा प्यार उसे फिर जीवन जीना सिखा देगा। इसी सोच के साथ वो मन ही मन उसे चाहने लगी थी। किन्तु कभी उससे कहा नहीं, किन्तु कहते हैं ,न.... इश्क़ और मुश्क़ छुपाये नहीं छुपते ,इसी तरह नितिन को भी पता चला और जब उसे पता चला ,वो लापरवाही से मुस्कुराया और बोला -ये लड़कियाँ ,कभी,किसी की सगी नहीं होतीं ,उसके शब्दों में उसके ह्रदय की कड़वाहट घुल सी गयी। 

ये तो तेरे लिए अच्छा है ,एक गयी और दूसरी आ गयी ,भई !तेरे जैसा बढ़िया नसीब किसका होगा ?यहां तो एक के ही लाले पड़ रहे हैं। ''


नितिन को यह सुनकर अच्छा नहीं लगा ,उसके व्यवहार से लग रहा था जैसे उसे इन सब बातों में कोई रूचि नहीं रह गयी है। 

एक दिन न जाने क्या हुआ ?कविता उधर से गुजर रही थी ,उसने मुस्कुराकर नितिन की तरफ देखा ,नितिन के 'शैतानी मन 'ने तुरंत ही आँखों से भद्दा सा इशारा किया ,जिसे देखकर कविता घबरा गयी और वहां से चली गयी।वह सोच रही थी -आज नितिन ने मुझे ये कैसा इशारा किया ?क्या वो मेरे प्रेम को समझ पायेगा? या मेरे प्रेम की तपिश उस तक पहुंच गयी है। यदि ऐसा है,तो उसने मुझे ऐसा इशारा क्यों किया ?आखिर वो क्या चाहता है ?कहते हैं -प्रेम ! समर्पण और विश्वास चाहता है ,तो क्या नितिन मेरे प्रेम की परीक्षा ले रहा है ?मुझे उस पर विश्वास है या नहीं।

 न जाने क्यों ?नितिन पर उसका दिल आ गया ,आता भी क्यों नहीं ?आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक होने के साथ -साथ,जब वो देखती, कॉलिज में उसका कितना रुआब है ?सभी उसका सम्मान करते हैं ,तो कविता को बहुत अच्छा लगा। 

यह बात तब की है जब वो कॉलिज में नई -नई आई थी। उसे कुछ फॉर्म भरने को दिए गए थे ,जब वो उन्हें भरकर ले गयी तब वो क्लर्क कहता -अभी यह जमा नहीं हो सकता ,अभी रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर बाकि हैं।कविता तीन दिनों से कॉलिज के दफ्तर के चक्कर लगा रही थी किन्तु कोई न कोई कमी रह ही जाती,तब वह क्लर्क से लड़ रही थी - आप पहले ही सब बातें क्यों नहीं बताते हैं ?बार -बार परेशान कर रहे हैं ,अब ये करवा कर लाओ !अब वो करवाकर लाओ !

तभी पीछे से एक हाथ उभरा और उसने कविता के हाथ से वो फॉर्म ले लिया और उससे बोला -तुम जाओ !तुम्हारा काम हो जायेगा।

जब कविता ने मुड़कर उधर देखा, तो देखती ही रह गयी ,उसकी एक -एक अदा ,अधिकार से उससे फॉर्म लेकर कहना -'तुम जाओ ! काम हो जायेगा। 'सम्पूर्ण बातें ,वह दृश्य उसके ह्रदय में छप गया था। जब कविता ने पता लगाया ,ये लड़का कौन है ?तब उसे पता चला ,उसका नाम' नितिन' है उसका कॉलिज में यह तीसरा साल है। शाम को उसे सभी कागज़ तैयार मिल गए। 

ऐसा नहीं ,नितिन ने कविता का ही यह कार्य करवाया ,वो तो सीनियर होने के नाते, हर परेशान छात्र की सहायता करता,ताकि नए छात्रों में अपनी एक अलग और अच्छी छवि बना सकें  ताकि जब कॉलिज में'' छात्र नेता ''की वोट पड़े तो ज़्यादा से ज्यादा उसको समर्थन मिले या वह जिसका समर्थन वह कर रहा है ,वो जीते।इसी कारण नए छात्रों के छोटे -मोटे कार्य करवाकर अपना दबाब बनाये रखना चाहते हैं ,ताकि समय आने पर उनकी वोट उन्हें मिले। किसी की वोट मिले या न मिले किन्तु कविता की वोट तो अब पक्की हो गयी थी।

जब कॉलिज में ''छात्र नेता ''के चुनाव हुए , कविता ने भी  बढ़ -चढ़कर  अन्य छात्रों को नितिन के समूह को वोट देने के लिए प्रोत्साहित भी किया हालाँकि कॉलिज में बहुत झगड़े और मारपीट भी हुई किन्तु वहीं नेता चुना गया ,जिसका नाम  नितिन और उसके समूह ने सुझाया था।कविता के कार्य को भी सराहना मिली ,इससे उसे लग रहा था ,वह नितिन के करीब आती जा रही है। तभी उसे मालूम हुआ -नितिन, सौम्या से प्यार करता है।

 उस रात्रि कविता बहुत रोइ थी,मन ही मन सोच रही थी ,-मैंने उसके लिए कितनी मेहनत की ?ताकि उसके करीब जा सकूँ ,उसकी नजरों में आ सकूँ  किन्तु उसने प्यार किया तो उस नई लड़की से ,जो अभी ही आई है। 

एक दिन नितिन से पूछा -मैंने सुना है ,तुम सौम्या से..... 

हाँ ,ठीक ही सुना है ,कहते हुए उसने कविता को एक कार्य दिया। यह सुनकर उसे लगा, जैसे वो आसमान से नीचे आ गिरी है। उसका दिल किया,कल की आई उस सौम्या को मार दे किन्तु दूसरे ही पल उसने विवेक से काम लिया ,यदि मैं सौम्या को कुछ करती हूँ ,तो नितिन का ध्यान उसकी ओर अधिक होगा। नितिन उससे प्यार करता है ,मुझसे नहीं ,जबरदस्ती किसी का प्यार नहीं पाया जा सकता,मेरी क़िस्मत में उसका प्यार होता तो वह सौम्या से पहले मुझसे ही प्यार का इज़हार करता। 

 अब कविता ने ,नितिन से दूरी बना ली थी। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए कुछ दिनों के लिए छुट्टी लेकर चली गयी थी। उस समय उसके कमरे में नव्या रहती थी जिसका आख़िरी साल था ,उसी ने टूटती कविता को संभाला था,उसी ने कविता को समझाया था ,वही कविता के उस प्रेम की साक्षी थी, उसके सिवा कविता की इस  ''अधूरी  प्रेम कहानी''की जानकारी किसी को भी नहीं थी  

इन बातों को ज्यादा समय नहीं हुआ ,कविता को भी ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी,कुछ ही दिनों में सभी को पता चल गया -सौम्या !नितिन से प्रेम नहीं करती बल्कि उसका रिश्ता ' दीपक' नाम के किसी लड़के से तय हो गया है।     

ऐसे समय में कविता, टूटते नितिन को संभालने का प्रयास करने का सोच रही थी ,ये उसके लिए अच्छा मौका था। जब वो शराब पीता ,पागलों की तरह भटकता वो उसके आस पास हो, उसे देखती  किन्तु अब एक झिझक उसे उसके करीब जाने से रोकती थी। अब तक उसके व्यवहार के विषय में बहुत कुछ जान भी  चुकी थी किन्तु तब भी नितिन से अपना मुख न मोड़ सकी। उसके व्यवहार से कुछ न कुछ लग ही जाता कि कविता नितिन को पसंद करती है।

जब नितिन के दोस्तों ने कविता के विषय में उससे बात की ,तब नितिन मन ही मन  बुदबुदाया -ये करेगी ,प्यार ! तभी उसके मन में न जाने क्या विचार आया? और वह तिरछी मुस्कान से कुछ सोचने लगा ,मन ही मन मुस्कुराया। 

न जाने नितिन के मन में अब क्या खुराफ़ात चल रही है ?क्या वो कविता के प्रेम को समझेगा ?चलिए आगे बढ़ते हैं। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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