Shaitani mann [part 71]

आजकल न जाने नितिन, कहां खोया रहता है ? बातें तो हमसे करता है, किंतु ऐसा लगता है, जैसे -वह क्षितिज में कहीं और ही देख रहा है।

हम्म्म्म ! मुझे भी लगता है ,जैसे उसकी भावनाएं हैं भी या नहीं।एकदम शांत सा रहने लगा है किन्तु उसकी शांति में मुझे बहुत बड़ी हलचल महसूस हो रही है। 

  तुम कहना क्या चाहते  हो? मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है, रोहित ने सुमित से पूछा।

 क्या तुम्हें उसके व्यवहार में परिवर्तन नहीं दिख रहे हैं ?हमारे साथ रहकर भी लगता नहीं ,वो हमारे साथ है। 


हो सकता है, वह हमें दिखाना नहीं चाहता हो, लगता तो है, अंदर ही अंदर वह टूट रहा है , वह भी तब, जब सौम्या उसके सामने ही घूमती रहती है। क्या उसकी बातें उसे याद नहीं दिलाती होगीं  कि वह प्यार में ठुकराया इंसान है। हमारे सामनें स्ट्रांग बनने का अभिनय करता है किंतु मुझे लगता है -वह परेशान है। 

अरे ! कविता भी तो है, उसे भी तो दोस्त बना सकता है। 

तू भी क्या बात करता है ?वह हमारी तरह नहीं है,ये नहीं तो ओर सही कहते हुए हंसने लगा। 

 ऐसे थोड़ी ना होता है , जिस पर दिल आ गया आ गया यह नहीं होता कि आज यह नहीं तो दूसरी सही, उसके जख्म भरने में थोड़ा समय तो लगेगा। तभी तो कहते हैं -जैसे भी रहो,उसी में  खुश रहो ! हमारी तरह, हंसते हुए वह बोला -हमारा जिस पर दिल आ गया ,वो हमारी,जो हमारी बनना नहीं चाहती तो तुम अपने रस्ते हम अपने रस्ते ,दिल लगाना हमने नहीं सीखा। 

दिल लगाकर मरना थोड़े ही है ,आजकल वैसे दिल के केस बढ़ रहे हैं। यह बुजुर्गों के लिए है ,हमारे लिए नहीं    

तभी कॉलिज का ही एक लड़का ,उनके पास आया जो बेहद घबराया हुआ था। 

अरे ऋतिक ! तुझे क्या हुआ ,तू इस तरह क्यों घबराया हुआ है ? तुम्हारा वो तीसरा साथी कहाँ है ? उसने इधर -उधर कमरे में झांकते हुए कहा। 

अभी आता ही होगा, लाइब्रेरी तक गया है ,तू इतना परेशान क्यों लग रहा है ?

मुझे लगता है, तुम्हारे दोस्त में कुछ गड़बड़ है। 

क्या मतलब ? कैसी गड़बड़ !

 वो तो मैं भी नहीं जानता किंतु अक्सर मैंने उसे कॉलेज के पिछली वाली दीवार के से चढ़कर बाहर जाते हुए देखा है, जिधर से कोई नहीं जाता। 

 उधर ऐसा क्या है ? वो वहां क्यों जाता है ?दोनों ने हैरत से पूछा। 

मैंने बहुत पहले सुना था, कि उधर कोई तांत्रिक रहता था, उसके पास बहुत सी काली शक्तियां थीं। वह लोगों की सहायता भी करता था किन्तु जिससे चिढ़ गया उसका सर्वनाश कर डालता था। उसमें सम्मोहन की भी बड़ी शक्ति थी, वह अपनी शक्ति से सम्मोहित कर सकता था, मैंने तो  सुना है -कि पास के गांव चिनारा में उसके कारण बहुत सी परेशानियां और झगड़े बढ़ गए थे। तब उस गांव के लोगों को पता चला तो उन्होंने उसे वहां से भगा दिया। 

हमें पूरी बात समझाओ !कुछ समझ नहीं आ रहा। 

तभी ऋतिक को नितिन आता दिखलाई दिया तब वह बोला -अभी मैं जाता हूँ ,तुम लोग भी संभलकर रहना ,कहते हुए ,वहाँ से निकल गया।

ये क्या कहकर गया ?सुमित ने रोहित से पूछा। 

मुझे भी कुछ समझ नहीं आया ,नितिन कैसे इतनी ऊँची दीवार फांद सकता है ?हम भी तो इसके साथ रहते हैं ,हमने तो इसे कहीं जाते हुए नहीं देखा। 

वही तो मैं भी सोच रहा हूँ ,किन्तु मैंने महसूस किया है ,ये कई बार यहाँ से गायब हुआ है किन्तु हमें पता नहीं चला ,अब तो उन्हें लगने लगा ,उसकी हरकतें तो कई बार से संदेहात्मक रहीं हैं किन्तु हमने ही ध्यान नहीं दिया ,तूने देखा नहीं जब  वो कॉलिज के पीछे के बगीचे में बेहोश था। 

अक्सर हमसे कहता तो रहता है, कि मैं कॉलेज के पीछे के घर में गया था। वहां उसके साथ क्या हुआ ? कभी उसने कुछ बताया नहीं,अरे !हमने भी तो उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। 

 एक रात नहीं,वरन वह कई बार गया है। अवश्य ही, वहीं से इस बात का कोई रहस्य है। 

क्या हमें वहां जाकर देखना चाहिए ?या नितिन से ही इस विषय पर बातचीत करनी चाहिए। 

उससे सीधे बात करने पर हो सकता है ,वह बता भी दे या फिर सतर्क हो जाये। नहीं, मैं उसके पीछे तो कतई नहीं जाऊंगा , पता चला, हमारे साथ भी कुछ हो गया। 

अरे जाकर देखते हैं, पता तो चले , कि यह किसी ने झूठा भ्रम बना रखा है या सच में ही कुछ है।यदि नितिन फंस भी गया है तो दोस्ती के नाते हमें उसके चंगुल से उसे बचाना होगा।  

सबसे पहले इसी से ही पूछ लेते हैं , यह वहां क्यों गया था और इसने वहां क्या देखा ? क्या अब भी वह अक्सर वहां जाता रहता है ?

यदि वह हमसे यह बात छुपा रहा है, तो फिर सच्चाई क्यों बतायेगा ?

तुम सही कह रहे हो, हमें इसका ध्यान रखना होगा , कहीं ऐसा तो नहीं प्रकाश मुफ्त में ही फंस गया , सब कुछ इसका ही किया धरा हो। 

बिना देखे तो किसी को कुछ नहीं कहा जा सकता, प्रकाश पर भी पुलिस को शंका है लेकिन उसका जुर्म सभी साबित नहीं हुआ है। 

अबकी बार तुम ध्यान रखना, देखते हैं यह कहां जाता है, किससे मिलता है ? तब ही कुछ आगे बढ़ सकते हैं।

 तुम लोग किसकी बातें कर रहे हो ? नितिन वहां आकर बोला। 

हम तो पढ़ाई के विषय में ही सोच रहे थे, काश ! कि इस साल पास हो जाएं ? तो कुछ जीवन में आगे करके  खा कमा लेंगे। 

तुमने क्या सोचा है ?

सोचना क्या है ? जब पढ़ाई इंजीनियरिंग की कर रहे हैं तो इंजीनियर ही बनेंगे, बाक़ी  समय कहां ले जाता है ? यह तो समय ही बताएगा। हम भी इस हॉस्टल में, कई साल से पड़े हैं ,सोच रहे हैं इंजीनियर बन गए तो कुछ हम भी कमा खा लेंगे कब तक ऐसे ही जिंदगी काटेंगे ?

 यार! हमने तो, जिंदगी मौज मस्ती के लिए, होती है यही सोचा था, लेकिन ऐसा नहीं है , हमारे जीवन के भी कुछ उसूल होने चाहिए कुछ आदर्श होने चाहिए। अंत में जाकर हम किसी से क्या कहेंगे ? कि हमने जीवन में क्या किया ? कभी घरवालों का कहा नहीं माना। हम अपना ही पेट भर सकें, अभी इतने सक्षम भी नहीं हुए। 

सच्चे दोस्त वही होते हैं ,जो दोस्त की परेशानी को समझे या फिर उसे सही राह दिखाने का प्रयास करें हालाँकि रोहित और सुमित दोनों ही शरारती बच्चे रहे हैं किन्तु उन्होंने देखा है -नितिन एक अच्छे परिवार से है ,उसके परिवारवालों को उससे बहुत अपेक्षाएं हैं ,उन्हें संदेह है ,शायद उनका मित्र किसी ओर ही राह पर चल रहा है इसीलिए उसे अपने तरीक़े से समझाने और पूछने का प्रयास करते हैं। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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