Samundr tat

 समुन्द्र तट पर बैठ ,सागर की हलचल करती लहरें !

जीवन के उतार -चढाव दिखलातीं,हिलोरे लेती लहरें !

 सागर कग़ार परआ टकराती फिर लौट जाती लहरें ! 

खुले गगन के,रंगों संग मिल ,अक्श दिखलाती लहरें !


मन की बेचैनी से , मिलती -जुलती कुछ गहरी लहरें !

दिनभर की थकन से,सुकूँ का एहसास दिलाती लहरें !

जीवन सा दिवस, ढल जाना उसे एहसास कराती लहरें !

कभी थकती नहीं, निरंतर चलती रहतीं सागर की लहरें !

'तट' जो उसकी चंचलता को बांधे ,रखता सीमाओं में ,

शांत रहें तो ,कितनी मासूम मर्यादित सी लगतीं लहरें ?

दूर क्षितिज पर कहीं, नील गगन  से मिल आतीं लहरें !

शोले बरसाता' दिनकर', उसकी अग्नि से तपती लहरें !

दिनभर की थकन मिटा,उसको आगोश में लेती लहरें !

'सागर तट', शाम के मिलन,थकन  का संदेश सुनाता ,

 हर जीव , मानव ,दिवाकर , जब सागर तट पर आता। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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