Robot

 अच्छा बच्चों !बताओ !कौन -कौन रोबोट पर लेख अथवा कहानी लिखकर लाया है ?सभी बच्चों ने हाथ उठाया। अच्छा ललित तुम सुनाओ !तुम क्या लिखकर लाये हो ?

तब ललित ने सुनाना आरम्भ किया -रोबोट ! इंसानों द्वारा,विभिन्न धातुओं द्वारा  बनाया गया, एक टिन अथवा मेटल का इंसानी रूप है। एक तरह से कह सकते हैं -'यह इंसानी अविष्कार है जो इंसानों ने अपनी सुविधा और अपने को साबित करने के लिए यह विद्युत अथवा सेल से चालित एक'' यांत्रिक मानव'' है।

रोबोट कई प्रकार के होते हैं -उनको उनके कार्यों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है कुछ रोबोट स्वचालित भी होते हैं जिनकी कम्प्यूटर की तरह प्रोग्रमिंग की गयी है। आज भी उन रोबोट को और बेहतर बनाने के लिए उन पर कार्य किया जा रहा है। आने वाले दिनों में ,इंसान को इन रोबोट से बहुत अधिक लाभ होने वाला है। ये इंसानों के बहुत से कार्यों में उनकी सहायता करेंगे और देश की उन्नति में भी सहायक हो  सकते हैं।  घरेलू कार्यों में भी ये रोबोट महिलाओं के कार्यों में भी हाथ बंटाने वाले हैं। इंसानो की व्यस्तता को देखते हुए ,रोबोट उनके लिए बहुत लाभप्रद होंगे। 


ललित ! तुमने बहुत अच्छा निबंध लिखा अब और कौन रोबोट के विषय में लिखकर लाया है। तब एक बच्चा अपनी ही जगह  पर थोड़ा नीचे झुकने लगता है।  अध्यापिका को लगा ,शायद ,यह अपना कार्य करके नहीं  लाया है। प्रणव !तुम खड़े हो जाओ !क्या तुमने अपना गृह कार्य पूर्ण नहीं किया ? 

किया तो है किन्तु..... 

किन्तु क्या सुनाओ !क्या लिखा है ?

तब प्रणव ने सुनाना आरम्भ किया - आज के समय में इंसान भी एक रोबोट ही बनकर रह गया है। सबसे अधिक रोबोट तो उस घर का बड़ा यानि कर्त्ता- धर्ता होता है। वह अपने परिवार के लिए सारा दिन धूप -गर्मी हो या सर्दी या फिर बरसात, काम में लगा रहता है। यह इंसान भगवान द्वारा बनाया गया' रोबोट' है ,जो जब से होश संभालता है ,वह किसी पुतले की तरह ताउम्र अर्थ और अपनी आवश्यकताओं ,इच्छाओं के लिए कार्य करता रहता है और अपने को उत्साहित करता रहता है ताकि वह हताश न हो। अपने को चालित करने के लिए ,वह भोज्य पदार्थों का सेवन करता है। इसके अंदर भावनाएं भी होती हैं।जो  इसे ठेस भी पहुंचाती हैं । यह पत्नी की डांट सुनकर चुपचाप अपने कार्य में व्यस्त रहता है। इस तरह के रोबोट लगभग हर घर में मिल जाते हैं, जिन्हें उनके बच्चे उन्हें पिता के रिश्ते से पुकारते और जानते हैं। 

इस रोबोट में प्रेम भाव भी कूट -कूटकर भरा होता है,उसी प्रेम के लिए ,सब कुछ सहता है। क्योंकि वो अपने परिवार के लिए ही तो इतना परिश्रम कर रहा है। उस परिवार के लिए ,जिसमें आजकल रिश्ते न के बराबर रह गए हैं। पहले समय में इस रोबोट का एक बड़ा परिवार होता था जिसमें कम से कम आठ -दस लोग इकट्ठे रहते थे और यह रोबोट निश्चिन्त भी रहता था। परिश्रम करता था किन्तु उसे आराम का समय भी मिल जाता था। 

किन्तु आज का इंसानी रोबोट,आज अकेला ही नहीं उसकी पत्नी भी उसके कंधे से कंधा मिलाकर उस परिवार को चलाने में सहायता करती है क्योकिं इस रोबोट की भूख दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है -जैसे -उन्नति की भूख ,सुख -सुविधाओं की भूख ,''अर्थ'' की भूख ,वैसे यह रोबोट अब पहले से ज्यादा पढ़ -लिख गया है किन्तु इसकी यह भूख सभी रिश्ते को भी निगलती जा रही है। अब परिवार और रिश्तों के नाम पर स्वयं पति -पत्नी अथवा उनके एक या दो बच्चे !या फिर जबरन ही सिर पर आन पड़े माता -पिता का उत्तरदायित्व ,इस उम्मीद से उसे पूर्ण करते नजर आते हैं ,न जाने कब इनका समय आएगा ?

 ताऊ -चाचा ,बुआ इत्यादि रिश्ते तो जैसे समाप्त होने की कगार पर हैं।हाँ ,यह अवश्य है ',मातृपक्ष 'के रिश्ते जिन्दा रहते हैं क्योंकि वो दूसरे के घर आकर भी अपने रिश्तों से मुँह नहीं मोड़ती और पिता पर उसकी सत्ता होती है ,जिसकी सत्ता उसका राज्य ! 

यह इंसानी रोबोट सुख -सुविधाओं का इतना आदि होता जा रहा है ,ये उन्नति के नाम पर अपने लिए बीमारी ,आलस्य इत्यादि साधन जुटा रहा है। ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले भविष्य में ,उसके कलपुर्जें  कमजोर होते चले जायेंगे। शारीरिक श्रम तो कम ही हो जायेगा क्योकि काटने -पीसने इत्यादि कार्य मशीनें ही करेंगी। बस इंसान तो साफ -सुथरे कपड़े पहनकर ,कुर्सी पर  बैठकर कार्य करेगा।

 वैसे तो अब इंसान को ,इंसानी रोबोट पैदा करने में कोई रूचि नहीं रह गयी है इसका एक कारण तो उसके देरी से विवाह है। यदि मोहवश उसने यह कार्य कर भी लिया तो एक रोबोट बनाएगा और उसको भी अपना जीवन संवारने के लिए पैदा होते ही ,भविष्य की चिंता का बोझ डाल देगा। उसकी योग्यता को नकार उस पर अधिक नंबर लाने का दबाब बनाएगा जिसके कारण बचपन में कैसे खेलते हैं ? परिवार क्या होता है ? इन सबसे अनजान वह कम उम्र में ही आँखों में चश्मा चढ़ाये ,मोटी -मोटी किताबों, भारी -भारी शब्दों से जूझता नजर आएगा क्योंकि यदि उसे जीवित रहना है तो पैसा कमाना होगा ,जिसके लिए उसे पढ़ -लिखकर किसी बड़ी कम्पनी का गुलाम बनना होगा। वैसे तो वह अपने को आजाद समझता होगा किन्तु सच्चाई से कोसों दूर वह गुलामी की जिंदगी जी रहा होगा।वह समय का भी गुलाम है ,एक उम्र तक ही उसका तन कार्य करता है।  

इंसानी रोबोट  यानि इंसानों द्वारा बनाये गए रोबोट ! घर -घर होंगे और समय के साथ धीरे -धीरे ईश्वर द्वारा बनाये गए रोबोट कम होते चले जायेंगे। वैसे तो रिश्ते कम होते जा रहे हैं किन्तु न जाने आबादी कहाँ से बढ़ती जा रही है ?यह भी चिंता का एक विषय है। 

मैडम !ने जब यह निबंध सुना तो हँसते हुए बोली -नहीं ,भगवान के बनाये रोबोट तो कम नहीं होंगे ,वे अपने जीवन के लिए कोई न कोई साधन ढूँढ ही लेंगे। ईश्वर का बनाया रोबोट लालची तो है किन्तु सभी ऐसे भी नहीं है। वो बुद्धिमान है ,मेहनती है किन्तु तुमने जो भी बात लिखी उनमें बहुत बड़ी गहराई है। यह निबंध तुम्हें किसने लिखवाया ?

दादी ने ,उसके इतना कहते ही सबने जोरों से ताली बजाई। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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