'कुलदीप' अपने घर का कुलदीपक ही था ,बहुत वर्षों पश्चात, उसका जन्म हुआ था उसके जन्म पर सबने बहुत खुशियां मनाई थीं । अब वह दस वर्ष का हो गया है ,आज उसका जन्मदिन है ,अपने जन्मदिन को मनाने के लिए अपने दादी -बाबा के पास उनके गांव में जा रहा है। उसके दादी -बाबा बहुत दूर गांव में रहते हैं पहाड़ी इलाकों से होते हुए ,सुंदर प्रकृति का आनंद उठाते हुए, वे लोग आगे बढ़ रहे थे। प्रकृति के सुंदर नजारों का आनंद लेते हुए, उनकी गाड़ी आगे बढ़ रही थी कुलदीप बहुत खुश था आज वह पूरे परिवार के साथ अपना जन्मदिन मनाएगा।
उसने फोन करके सुबह ही अपने बाबा से कह दिया था -कि हम लोग आ रहे हैं। पहाड़ी इलाका आरंभ हो गया था, चारों तरफ हरियाली नजर आ रही थी, सुहावना मौसम था। तभी एकदम से तेज गति से चलती हुई गाड़ी आई ,उसके बचाव के चक्कर में, उनकी गाड़ी खाई में जा गिरी।
कुलदीप को तो कुछ पता ही नहीं चला,वह बेहोश हो गया। जब उसकी आंख खुली, तो वह किसी गांव में था। वहां अजनबी चेहरों को देखकर वह रोने लगा। तब उसे ध्यान आया, कि हम लोगों के साथ एक दुर्घटना हो गई थी। वहां एक महिला उससे पूछती है - तुम लोग कहां जा रहे थे ?
तब वह बताता है - मैं अपने मम्मी -पापा के साथ उनके गांव जा रहा था। आज मेरा जन्मदिन है।
वह महिला बोली यह तो बहुत अच्छी बात है, आज तुम्हारा जन्मदिन है , हम लोग तुम्हारा जन्मदिन बहुत अच्छे से मनाएंगे।
मेरे मम्मी- पापा कहां है ? वह कहीं नहीं दिख रहे कुलदीप ने पूछा।
तब वह महिला बोली -यहीं आसपास हीहोंगे , यहां बहुत बड़ी-बड़ी झाड़ियां और पहाड़ हैं इसलिए तुमसे बिछड़ गए होंगे। तुम यहां आराम से रहो ! हम उन्हें ढूंढ लेंगे। उस महिला ने कुलदीप को सांत्वना दिया और अपने पति से बोली -हमें इस बच्चे के माता-पिता को ढूंढना है, बेचारे! न जाने कहां, भटक रहे होंगे ? न जाने किसी ने उनकी सहायता की भी होगी या नहीं, या हमारी तरह ही, वे भी यहीं आकर बस जाएंगे।
यह गांव, हम लोगों के कारण ही तो बसा है वरना यहां कौन रहता ?आजकल कौन किसकी सहायता करता है ? वह अपनी पत्नी से बोला।
अब इस बच्चे का क्या करना है ?
करना क्या है? इसके मां-बाप मिल जाते हैं तो उनके साथ, इसका जन्मदिन भी मानना होगा। मोहल्ले में दो-चार लोगों से कह देना, कोई नया बच्चा आया है ,अभी उसके मां-बाप खो गए हैं , ढूंढने में सहायता करें। शाम तक उस बच्चे के माता-पिता मिल जाते हैं , वह उनसे घर जाने की जिद करता है। तब उसके माता-पिता कहते हैं -ये कितने अच्छे लोग हैं ? इन्होंने हमें तुमसे मिलवा दिया वरना आजकल कौन किसी के लिए कुछ करता है। तुम्हारा जन्मदिन भी मना रहे हैं। कल सुबह होते ही, तुम यहां से चले जाना।
क्यों आप लोग नहीं जाएंगे ? कुलदीप ने पूछा।
हम डॉक्टर के जाएंगे, थोड़ी चोट भी लगी है, तुम अपने दादी- बाबा का ध्यान रखना, उनका कहना मानना। अभी हम कुछ दिन इसी गांव में रहेंगे। रात्रि में सब ने उसका जन्मदिन बहुत अच्छे तरीके से मनाया और वह सो गया। नींद में उसने देखा -उनकी गाड़ी बहुत तेज आती गाड़ी से टकराई है और उनकी गाड़ी लुढ़कते लुढ़कते ,खाई की तरफ जा रही है। उसने देखा, उसके माता-पिता एक पेड़ के नीचे बेहोशी की अवस्था में पड़े हैं, वह रो रहा है और उन्हें पुकार रहा है।
तभी उसने दूर से देखा, गांव के कुछ लोग दौड़े चले आ रहे हैं और उनकी सहायता करने की बजाय , वे लोग, उनकी गाड़ी में से सामान निकाल रहे हैं। उसकी मम्मी के गहने उतार रहे हैं, उसके पापा की जेब से उनका पर्स टटोल रहे हैं। किसी ने कहा -उनके साथ एक बच्चा भी तो था।
तब एक व्यक्ति बोला-मुझे लगता है, वह गहरी खाई में चला गया, मर गया होगा। उसके पास तो कुछ भी नहीं होगा।
सभी लोग सामान इकट्ठा करके चल देते हैं, तब कुलदीप देखता है इनमें से कोई भी, इस गांव का व्यक्ति नहीं है। उसके मम्मी- पापा भी उसी गांव में रह गए हैं और कह रहे थे -बेटा !तुमने देखा , यह लोग कैसे स्वार्थी हो गए हैं ? उधर हम मर रहे थे, इन्होंने हमें अस्पताल पहुंचाने तक की ज़हमत नहीं उठाई, तुम्हें ढूंढने का प्रयास भी नहीं किया और दूसरी तरफ यह लोग हैं। जिन्होंने हमारे बच्चे का जन्मदिन मनाया, हमारा स्वागत किया और ये लोग, यहां आने वाले हर व्यक्ति का स्वागत करते हैं इसीलिए तो यह गांव धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। इस गांव का नाम क्या है ? कुलदीप ने पूछा।
कुलदीप को लगा जैसे कोई उसे हिला- हिला कर जगा रहा है। जब उसकी आंख खुलती है तो वह अपने को गाड़ी के नजदीक ही पाता है , उसे वहां आदमियों को देखकर आश्चर्य होता है, कि यह वे लोग नहीं हैं. वह तो किसी गांव में था जहां उसके मम्मी- पापा भी थे। वह यहां कैसे आया ? तब उसने देखा पुलिस और कुछ लोग, आए हुए हैं। एक पेड़ के नीचे उसके मम्मी- पापा मृत अवस्था में पड़े थे। कुलदीप को आश्चर्य होता है , ऐसा कैसे हो सकता है ? मेरे मम्मी- पापा तो जिंदा है और वह गांव में है।
तब इंस्पेक्टर साहब ने पूछा -यह सब कैसे हुआ ? तब कुलदीप में बताया कि तेज आती हुई गाड़ी से हम टकरा गए थे किंतु हम लोग सारी रात नीचे गांव में थे। मैं यहां कैसे आया ?मैं नहीं जानता। मेरे मम्मी- पापा भी जिंदा है वह नीचे गांव में ही रह गए।
तभी एक बुजुर्ग ने आकर पूछा-क्या तुम नीचे गांव में गए थे ? हां, वहीं पर तो था वही सो रहा था किंतु पता नहीं मैं ऊपर कैसे आ गया ? मेरे मम्मी- पापा जिंदा है वह नीचे गांव में ही रह गए हैं, मुझे उनके पास जाना है नीचे जाते हुए कुलदीप बोला। पुलिस वाले अपनी कार्यवाही कर रहे थे, और कुलदीप को उसके घर पहुंचाने का प्रबंध कर रहे थे और कुलदीप बार-बार झांक कर नीचे देख रहा था, और कह रहा था -मेरे मम्मी -पापा नीचे गांव में है , रात भर मैं भी वहीं था।
तब वह बुजुर्ग पुलिस वालों से बताते हैं - साहब ! इस जगह पर बहुत दुर्घटनाएं होती हैं , और कुछ लाशें हमें मिल जाती है और कुछ नहीं मिलती हैं , हमारे बड़े बुजुर्ग कहा करते थे , कि वहां पर एक ''भूतों का गांव'' है। जो मरे हुए लोगों को अपने गांव में शामिल कर लेता है उनकी सहायता करता है क्योंकि ऐसे ही दुर्घटना में, उनकी मृत्यु भी हुई थी इसीलिए वह लोग सहायता करते हैं किंतु जो लोग बचते नहीं हैं वे वही गांव में बस जाते हैं और जो बच जाते हैं जिस तरह यह बच्चा बच गया। उसे स्वयं ऊपर छोड़ जाते हैं, कल यह उसी गांव में था। यह बात सुनकर इंस्पेक्टर आश्चर्य से देखता रह गया।
मन ही मन सोच रहा था- क्या यह बात सही है ? कुलदीप ने भी, जब इंस्पेक्टर को बताया- कि हमारी गाड़ी और मेरे मम्मी -पापा का सामान कुछ लोगों ने लूट लिया वह उन्हें जानता भी है। शायद उसे सपना लगा था किंतु उसके मम्मी- पापा ने उसे इंसानों की हकीकत दिखलाई थी यह इंसान होकर भी, भूतों जैसे ही कार्य कर रहे हैं, इनमें इंसानियत नहीं बची है, लोगों मौत का भी लाभ उठा रहें हैं ।
अब कुलदीप बहुत बड़ा हो गया है, किंतु जब कभी भी उस रास्ते से जाता है, तो एक बार वहां ठहर कर उस गांव के लोगों का धन्यवाद करता है जिनको वह जानता नहीं, और उसे लगता है -वहां मेरे मम्मी -पापा रहते हैं , उस गांव को ''भूतों का गांव'' कहते हैं।