शिखा और तेजस का रिश्ता तय हो जाता है ,जब उनका विवाह तय होता है, तब अचानक न जाने कहाँ से एक बीमारी फैल जाती है। उस बीमारी का नाम है ,'कोरोना 'के चलते शिखा की मां, तेजस और शिखा का विवाह शीघ्र अति शीघ्र कर देना चाहती है। तेजस के परिवार वाले , विवाह को पीछे करना चाहते थे, ताकि यह बीमारी समाप्त हो, तो वह लोग आगे बढ़े ! किंतु शिखा की मां को परेशानी होने लगी। वह चाहती थी शीघ्र से शीघ्र बच्चों का विवाह हो जाए। एक बार बेटी अपने घर बार की हो जाए, तो वह लोग निश्चिंत हो जाए। विवाह की भी सभी तैयारियाँ हो चुकी थीं, इसीलिए सभी ने मिलकर निर्णय लिया। इससे पहले कि इस बीमारी का प्रकोप ज्यादा हो, विवाह करना उचित रहेगा किंतु विवाह से एक दिन पहले ही, अचानक ही तेजस की तबीयत बिगड़ने लगी। जब माता-पिता को यह सब पता चला, तो बहुत ही परेशान हो गए, रिश्तेदारों को और अन्य लोगों को बताना भी नहीं चाहते थे। उन्होंने सोचा, मामूली सा बुखार है, दवाई खाएगा तो ठीक हो जाएगा।
इस बात की जानकारी, धीरे-धीरे शिखा को भी हो गई ,अब समय ऐसा था -कुछ किया भी नहीं जा सकता था। इसलिए शिखा ने तेजस से कहा- मैं जब तुम्हारे घर आ जाऊंगी, तब तुम्हारी खूब सेवा करूंगी और तुम ठीक हो जाओगे। इंसान सोचता कुछ है और हो कुछ और जाता है। देखने से,तेजस इतना अधिक बीमार भी नहीं लग रहा था किंतु जब फेरों का समय आया। उसकी हालत और बिगड़ गयी किन्तु उसने किसी से कुछ नहीं कहा। जैसे ही वह आख़िरी फेरा, पूर्ण करके नीचे बैठने वाला था। तभी वह एक तरफ को लुढ़क गया , एकदम से सभी परेशान हो गए, यह क्या हुआ ? शीघ्र अति शीघ्र डॉक्टर को बुलाया गया, ऐसे समय में डॉक्टर भी आना नहीं चाहते थे।
तब डॉक्टर ने कहा - जैसे तुम हालात बता रहे हो, उन हालातों को देखते हुए तो मुझे लगता है, उसे 'कोरोना' हो गया है , यह सुनते ही, संपूर्ण रिश्तेदारों में, और बारात में खलबली सी मच गई। धीरे-धीरे सभी अपने-अपने घर की तरफ लौटने लगे।
तेजस ,अचेत अवस्था में पड़ा था , डॉक्टर के कोरोना की पुष्टि करने के कारण कोई उसे हाथ लगाने को तैयार नहीं था। शिखा को भी वहां से उठा लिया गया था किन्तु तब भी वह रोये जा रही थी और अपने आपको कोस रही थी - मैं जानती थी ,उसकी तबियत बिगड़ रही है किन्तु उसे मैंने ही कहा था ,जब हम दोनों साथ रहेंगे तो मैं तुम्हारी खूब सेवा करूंगी। मुझे क्या मालूम था ?ऐसा हो जायेगा ,मम्मी !उसने भी तो कहा था -'मैंने दवाई खाई है ,अब आराम है।
मां ने विलाप करती हुई बेटी की बातें सुनी तो रो उठी और बोली -मेरी बच्ची !मुझे भी क्या मालूम था ?ऐसा हो जायेगा ,मैंने तो सोचा था ,अभी तो दूर से फोन पर ही बातें करते हैं ,साथ रहेंगे, तो प्रेम बढ़ेगा ,न जाने तेरी क़िस्मत में क्या लिखा है ?सोचा तो अच्छे के लिए ही था।तब वह अधीर होकर सरपंच जी के पास गयी और बोली - सुनो जी ,एक बार जाकर उस डॉक्टर को तो बुला लाओ ! डॉक्टर ही नहीं देखेगा, तो कैसे चलेगा ?
उसे बुलवाया तो था किन्तु आना ही नहीं चाहता ,दूर से ही कह दिया।
अब आप जाइये ! बेटी घर में बैठी रो रही है ,उसका विवाह भी पूर्ण नहीं हुआ ,हो सकता है ,दामाद जी, होश में आ जाएँ ,हो सकता है ,'कोरोना ' न हुआ हो ,कल ही तबियत बिगड़ी थी।
क्या कह रही हो ?क्या इस बात को तुम, जानती थीं ,सरपंच जी ने आश्चर्य से पूछा।
नहीं, अपनी शिखा को मालूम था,उसने ही बताया।
अच्छा ! मैं जाकर देखता हूँ ,कहकर वो डॉक्टर को बुलाने चले गए ,डॉक्टर साहब !ये क्या हो रहा है ?कम से कम एक बार तो आपको मरीज़ को देखने आना चाहिए था।
सरपंच जी! आपके आदमियों ने जैसे लक्षण बताये हैं ,उस आधार पर मुझे कोरोना लग रहा है ,उसे शहर ले जाइये !
आपकी बात ठीक है, किन्तु अभी लड़का अचेत है ,कम से कम उसे देखकर ऐसी कोई दवाई तो दीजिये ,ताकि उसे होश आ जाये,शहर ले जाकर उसकी जॉंच भी करवा लेंगे।
डॉक्टर जाना तो नहीं चाहता था, किंतु सरपंच जी के कहने पर, वह भी मास्क पहनकर आ गया, उसने दस्ताने पहनकर जैसे ही तेजस की जाँच की तो बोला - यह तो मर चुका है।
आप ये क्या कह रहे हैं ?
सही, कह रहा हूँ। अब आप इसे घर ले जाइये !और इसका अंतिम संस्कार कीजिये और आप लोग भी सावधान रहिये !यह कहकर डॉक्टर चला गया। किन्तु घर के अंदर से चीख -चीखकर रोने की आवाजें आने लगीं शिखा तो यह सुनते ही बेहोश हो गयी।
जिसने भी सुना ,दुःख और शोक में कुछ कहते न बना। उस बेचारी बच्ची का सोच,' कलेजा मुँह को आ जाता ' न रोते बन रहा था ,उसके घरवालों को कैसे सांत्वना दें ,क्या कहें ? सरपंच जी की लड़की, जिसने अभी थोड़ी देर पहले ही फेरे लिए थे, ''अधूरी दुल्हन'' बनी रह गयी।
इतनी देर से दीवार के कोने से सटी रो रही थी। मन ही मन उसे पछतावा था, न जाने कितने सपने उसकी आँखों के माध्यम से बह रहे थे ,जिसके साथ के सपने देखे वो तो बाहर पडा है जो अब कभी नहीं उठेगा।
अब तो शिखा की मां भी पछता रही थी, हमने इतनी जल्दबाजी क्यों कर दी , सोचा था- बेटी अपने घर की हो जाएगी किंतु यह क्या हो गया ? दुल्हन लेने आए थे , अब बेटे की लाश लेकर जाएंगे। उसे अपनी बेटी के लिए ही नहीं , उनके बेटे के लिए भी दुःख था।
शोक में सभी, वहीं बैठे रहे, किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, क्या करें ? परिवार का पहला बेटा था, पहली शादी थी, उसमें ही अपशगुन हो गया। धीरे-धीरे सभी मेहमान जा चुके थे, अब उन लोगों ने भी ,ठहरना उचित नहीं समझा। दमयंती के पास भी यह सूचना पहुंच गई।
यह सुनकर उस पर तो जैसे ''बिजली गिर पड़ी ''वो तो बहु के स्वागत की तैयारी कर रही थी किन्तु बेटे की मौत की सूचना मिलते ही वह अपने कमरे में बंद हो गई किसी से कुछ नहीं कहा ,कुछ देर पश्चात '' जगत सिंह'' के पास एक फोन पहुंचा - बहु को विदा कराके ले आओ !
अचानक लड़के की माँ को क्या हुआ ?जिसका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा ,उसे ,उसका दुःख मनाने की बजाय ,बहु की विदाई 'की बात सूझ रही है। क्या शिखा के घरवाले उसे विदा करेंगे ?जानने के लिए ,चलिए !आगे बढ़ते है।