Mysterious nights [part 30]

''बिहानी रात''[विवाह वाली रात ] नज़दीक आ गयी किन्तु तेजस और शिखा की ज़िंदगी में न जाने क्या लिखा है ? उससे एक दिन पहले ही, अचानक तेजस की तबियत बिगड़ने लगी। दमयंती ने घबराते हुए पूछा -तू !कहाँ गया था ? जो ये बीमारी ले आया। तुझे पता है ,कल तेरी शादी है ,हमें बारात लेकर जाना है। 

मुझे कुछ नहीं हुआ है ,बस थोड़ी सी थकान लग रही है ,दवाई खाऊंगा तो ठीक हो जाऊंगा। आप चिंता न करो !मैं ठीक हो जाऊंगा तेजस लापरवाही से बोला। 


तू जा ! जाकर अपने कमरे में आराम कर ले ,तेरी आवश्यकता होगी तो बुला लेंगे ,हल्दी लगने के बाद बाहर नहीं जाते हैं किन्तु तुम लोगों ने तो जैसे कहना न मानने की कसम खाई हुई है ,कहना मानना ही नहीं है।

मेरी माँ ,इन दकियानूसी बातों में कबसे विश्वास करने लगी ?दमयंती को समझाने का प्रयास करते हुए तेजस ने पूछा।

विश्वास तो नहीं करती हूँ ,किन्तु यह बीमारी जो बढ़ती जा रही है ,इससे परेशान होना जरूरी है ,घर में एक को भी हो गयी तो सभी इसकी चपेट में आ जायेंगे। अब जाओ !आराम करो !और उस भगवान से दुआ मांगो !सब ठीक- ठाक और अच्छे से निपट जाये।

तेजस कमरे में पहुंचा ही था ,तभी उसके फोन की घंटी बजी ,उसमें नाम को देखकर, एक पल के लिए उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई ,उसने फोन उठाया -हैलो !

क्या हो रहा है ? उधर से एक मनमोहिनी,सुरीली आवाज कानों में पड़ी। 

कुछ नहीं ,तुम्हें घर लाने की तैयारी चल रही है ,वहां क्या हो रहा है ? हमारी होने वाली रानी,ने क्या -क्या तैयारियां की हैं ?

रानियां तैयारियां कहाँ करती हैं ?वो तो बस इंतजार में रहती हैं ,कब उनका राजकुमार उन्हें लेने आये और वो कब अपने बाबुल का अंगना छोड़,अपने राजकुमार के बग़ीचे में टहले। 

बगीचे में क्यों ?राजकुमार के शयनकक्ष में क्यों नहीं ?

वहां तो वो,अपने राजकुमार के साथ सो जाएगी न..... कहते हुए हंसने लगी। तेजस के कानों में उसकी हंसी किसी छोटी घंटी के मधुर स्वर की तरह बजने लगी। तभी तेजस को खांसी आई ,जिसे सुनकर शिखा बोली -क्या तुम ठीक हो ?

हाँ -हाँ मैं  बिलकुल ठीक हूँ। 

फिर यह खाँसी !!!!!

यह क्या बात हुई ?अब क्या मेरे खांसने पर भी बंदिश होगी ?

नहीं -नहीं खाँसिये ! किन्तु ये खांसी किसी बीमारी का संकेत तो नहीं। 

नहीं ,वो तो तुमसे बातें करते हुए ,मेरा गला सूख रहा था इसीलिए खांसी आई ,अब पानी पी लिया अब ठीक है। दोनों ने खूब बातें की किन्तु तेजस ने कुछ सुनी ,कुछ नहीं ,उसने  दवाई  ली थी, उसे नींद आ गयी थी। तेजस के जबाब जब शिखा को नहीं मिले, तो शिखा ने भी फोन काट दिया। 

अगले दिन ,बारात जाने के लिए ,घुड़चढ़ी इत्यादि रस्मों के लिए जब तेजस को बुलाया गया ,तो पता चला  उसे बुखार हो गया है। हाय ,राम ! यह क्या हो गया ?इसे तो बुखार है ,मैंने पहले ही कहा था ,इतनी लापरवाही ठीक नहीं किंतु मेरी सुनता ही कौन है ?

नहीं ,मम्मी मैं ठीक हो जाऊंगा। 

इस लड़के को देखो !इतनी तबियत बिगड़ रही है और इस पर उस लड़की का भूत सवार है। बीमारी के प्रति लापरवाही ठीक नहीं ,विवाह तो बाद में भी हो जायेगा।

तभी ज्वालासिंह आया और बोला -इसे जल्दी तैयार करो ! हमें जाना भी है। 

आप यह कैसी बातें कर रहे हैं ? आप देख नहीं रहे हैं ? बेटे को बहुत तेज बुखार है, उसकी हालत बिगड़ती जा रही है दमयंती  जगत सिंह से बोली। 

 दवाई खा लेगा, ठीक हो जाएगा, अब क्या कर सकते हैं ? मुहूर्त निकल जाएगा , हो सकता है, इससे भी बुरे हालात हो जाए, इसलिए इस काम को निपटाना है तो निपटा लेते हैं।अभी हल्का बुखार है , इसको दवाई खिलाओ  और तैयार करो !

 एक बार लड़की वालों से तो बात कर लीजिए। 

उनसे पहले भी कहा था, किंतु उन्होंने सुना ही नहीं, उसकी माँ की तबियत बिगड़ने लगी।  कहने लगे- सभी तैयारियां हो चुकी हैं।इसको  करना भी क्या है? इसको गाड़ी में बैठकर जाना है और फेरे लेने हैं ? एक बार विवाह हो जाए,घर पर बैठकर आराम कर लेगा। मेहमान जुड़ चुके हैं,  इसको बुखार है,  किसी को बताना नहीं,कोई पूछे तो कहना -वैसे ही, थका हुआ लग रहा है। कहीं ऐसा न हो, इसके बुखार की बात सुनकर, बाराती और मेहमान भी भाग जाएँ। 

धूम- धड़ाके से तेजस की बारात जा रही थी, किन्तु तेजस की हालत बिगड़ती जा रही थी। वह  अपने को स्वस्थ महसूस कराने का भरसक प्रयास कर रहा था ताकि दूसरों को  स्वस्थ दिखलाई दे। जब घोड़ी पर बैठने की बात आई , तब वह बोला -मेरी हिम्मत जवाब दे रही है। 

क्या तूने, दवाई नहीं खाई है ?

 दवाई तो खाई है किंतु लगता है,' यह  बीमारी मेरी जान लेकर छोड़ेगी।' 

ऐसा क्यों कहता है, शुभ शुभ बोल ! शुभ कार्य के लिए जा रहे हैं सब अच्छा ही होगा अपने आप को ही  समझाते हुए हरिराम जी बोले। 

तेजस की जिंदगी का इतना महत्वपूर्ण दिन, जिसके लिए वह महीनों  से प्रतीक्षा कर रहा था , वही दिन आज उसको शारीरिक कष्ट लेकर आया है। तेजस करता भी तो क्या ? शिखा ने कहा था -तुम एक बार आ जाओ ! और मुझे अपना लो ! मैं तुम्हारी सेवा के लिए वहीं रहूंगी। उसकी ऐसी मीठी बातों को सुनकर,  उसमें साहस  बढ़ जाता है या यूँ कहें ,अच्छे की उम्मीद करके अपनी बीमारी को नकारने का प्रयास कर रहा था।  

''कोरोना'' के समय में बैंड - बाजे की मनाही थी किंतु फिर भी उन्होंने कुछ देर के लिए, ढोल  तो बजवा ही लिया था।

गांव वाले बोले - वाह ! क्या बात है ? बारात आ गई ,सभी ध्यान से रहना, सभी ने अपने चेहरे पर मास्क लगाए हुए थे। अजी, विवाह क्या करना है ? अब तो औपचारिकताएं पूर्ण करनी ही रह गई हैं। अब जब विवाह तय हो गया है , इसे टाला तो  नहीं जा सकता था, इसीलिए सोचा-इससे पहले कि ज्यादा बीमारी बढ़ जाए उससे पहले ही, विवाह करके अपने घर में बैठ जाते हैं।

 सही सोचा -बेटी वाला भी, तैयारी करके रखता है, फिर न जाने कितने महीनों या वर्षों की बात हो जाती है ?

हां यही सोचकर, हम  बारात लेकर आ गए। 

वह तो सही है, बस एक बार अच्छे से कार्य निपट  जाए। कुछ लोग खाने में व्यस्त थे, कुछ लोग दूरी बनाए रखकर नृत्य कर रहे थे। एक तरफ पंडित जी मंत्रोच्चारण कर रहे थे ताकि शीघ्र से शीघ्र विवाह करके वह लोग अपने घर जाएं क्योंकि तेजस के घरवालों को उसकी चिंता थी ,सोच रहे थे -'घर पहुंच कर यह आराम कर लेगा।'' सभी अपने -अपने में व्यस्त थे। 

शीघ्रता से बेटी को बुलवाइए ! तेजस और शिखा के फेरों की तैयारी चल रही थी। जगतसिंह जी कुछ् ज्यादा ही  जल्दबाज़ी दिखला रहे थे। शीघ्र से शीघ्र फेरे हो जाएँ तो घर जाएँ, तेजस की तबियत खराब है ,ये  बात कुछ गिने -चुने लोगों को ही मालूम थी ,उनमें शिखा भी शामिल थी। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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