खेड़ा गांव के सरपंच जी के यहां, विवाह की तैयारियाँ चल रही हैं। कुछ खरीदारी हो चुकी है, और कुछ अभी होनी बाकी है। जिस दिन शिखा और तेजस मिले थे, उसके पश्चात उनका मिलना तो नहीं हो पाया किंतु तेजस ने अपने मित्र के हाथ, शिखा के लिए एक फोन अवश्य भेज दिया था ताकि वे अब मिल तो नहीं सकते किन्तु फोन पर एक दूसरे से बातें तो कर सकें। यह बात घर में किसी को भी पता नहीं थी किंतु जब एक दिन फोन की घंटी बज रही थी, तब उसकी मम्मी ने देख और सुन भी लिया और उससे पूछा - यह फोन तुम्हें किसने दिया है ?
पहले तो शिखा घबरा गई और फिर सोचा झूठ बोलने से कोई लाभ नहीं ,तब वो बोली - तेजस में भिजवाया है।
उसकी यह बात सुनकर उसकी मम्मी हंसने लगी और बोली -सही है , दामाद जी अच्छे हैं , तेरे बिना उनका मन नहीं लग रहा होगा इसीलिए तुझसे बात करके ही दिल बहला लेते होंगे। बात करने में कोई बुराई नहीं है, बात करो ! इससे एक दूसरे की पसंद और नापसंद का भी पता चल जाएगा। देखा !तुझसे कितना प्रेम करने लगे हैं ?किन्तु अब तू उनका नाम मत लिया कर ,तेरा उनसे विवाह होने वाला है।
शिखा तो घबराई हुई थी मां की बात सुनकर अचंभित रह गई।तब वो बोली -आजकल तो पति का सभी नाम लेते हैं ,नाम लेने से क्या हो जायेगा ?
तब उसकी माँ ने उसकी तरफ देखा और बोली -वैसे तो हम जो भी किस्मत में लिखाकर आते हैं ,वो तय होता है किन्तु कहते हैं -यदि पत्नी पति का नाम ले तो उसकी उम्र कम हो जाती है।
माँ की बात सुन ,शिखा को धक्का सा लगा और उसने मन ही मन निश्चय कर लिया ,अब आगे से मैं उनका नाम नहीं लूंगी। तेजस से बिछुड़ने की बात सोचकर ही उसकी रूह काँप गयी थी । माँ से बात करके अब तो उसे लग रहा था,तेजस से बातचीत के लिए उसे हरी झंडी मिल गई।वह शाम को छत पर चली जाती और देर तक तेजस से बातें करती रहती।
बस ,अब कुछ दिन ही रह गए हैं, हमारे मिलन में , तब तो तुम हमारे घर ही आ जाओगी। दिल पर तो तुम पहले ही राज कर चुकी हो,घर पर भी कब्जा हो जाएगा कहते हुए हंसने लगा।
मुझे घर की कोई परवाह नहीं है किंतु बस मैं इतना चाहती हूं तुम्हारे दिल पर कब्जा सदैव बना रहे उसी की रानी बनी रहूँ ।
वह तो तुम पहले से ही हो , अच्छा बताओ! घूमने के लिए कहां जाओगी ?
जहां तुम ले चलोगे, मैंने तो इस गांव से बाहर निकलकर देखा ही नहीं, तुम जहां घुमाओगे घूम लूंगीं।
रोेब मारते हुए तेजस बोला -कहीं पहाड़ों पर चलते हैं, तुम्हारी भी तो कुछ इच्छा होगी ,क्या तुमने पहाड़ देखे हैं ?
अभी तो तुम्हें बताया था, गांव से बाहर कभी गई ही नहीं, अब तो सारी दुनिया मैं तुम्हारे साथ ही देखूंगी।
मेरी तो सारी दुनिया, अब तुम ही हो। हनीमून मनाने के लिए, दूर कहीं निकल जाएंगे,वो तो जानती हो।
धत.... ऐसी बातें थोड़े ही ना करते हैं। अच्छा बताओ ! तुमने अपने विवाह के लिए किस रंग की शेरवानी सिलवाई है ? पलंग पर पेट के बल लेटते हुए, शिखा, तेजस से पूछ रही थी। मेरा लहंगा भी, उसी रंग का लेना।
तभी शिखा की मम्मी की आवाज आई - शिखा! ओ शिखा ! क्या कर रही है ? घर में कितना काम है? और तू यहां बतिया रही है। अब मैंने तुझे बात करने की छूट दे दी,तू तो सारा दिन फोन पर ही लगी रहती है।
वह मम्मी, तेजस..... कहते -कहते रुक गयी , फोन आया था, वो पूछ रहा था -लहंगा किस रंग का खरीदें ?
तूने उससे क्या कहा ? उसे बता दिया।
बात ही तो कर रही थी किंतु आपने बुला लिया।
अच्छा, इतनी देर से बात कर रही थी तब तो बताया नहीं गया और जब मैंने बुलाया, तो कह रही है -बताने जा रही थी इस लड़की से एक काम भी ढंग से नहीं होता। जो जरूरी काम था, उसकी बात हुई ही नहीं।
तभी शिखा बोली - मैं दोबारा उसको फोन कर लूं।
तुझे तो फोन का बहाना चाहिए , अब बाद में फोन कर लेना। तब तक सोच ले किस रंग का लहंगा लेना है ?
शिखा मन महसोस कर चुपचाप बैठ गई।
विवाह में एक सप्ताह बाकी है, और सुनने में आ रहा है, कोई बीमारी फैल रही है किशोरीलाल जी चिंतित स्वर में बोले।
हे भगवान !यह बीमारी भी अभी फैलनी थी। दुआ करती हूं, विवाह ठीक से और सही सलामत हो जाए।बेटी अपने घर सुरक्षित पहुंच जाये।
एक दिन किशोरीलाल जी को जगत सिंह का फोन आता है, और वह कहता है -समधी जी , बड़ी परेशानी आन पड़ी है। यह बीमारी तो बढ़ती ही जा रही है, ऐसे में क्या करना है ?
देखिए विवाह तो पीछे नहीं हटा सकते क्योंकि सभी तैयारियां हो चुकी हैं चिंतित स्वर में सरपंच किशोरी लाल जी बोले।
सुना है ,यह ''कोरोना ''की बीमारी, छुआछूत की बीमारी है।
वहां तो सब ठीक है, न......
हां जी, ठीक तो हैं।
फिर हमें क्या करना है ? आप बारात लेकर आ जाइए और बेटी को विदा करके ले जाइए। एक बार बेटी आपके घर की हो गई तो हमारी चिंता भी दूर हो जाएगी। थोड़ा बचाव रखियेगा।
मैंने तो इसीलिए फोन किया था कि क्या हम कुछ महीनो के लिए इस विवाह को पीछे नहीं कर सकते हैं। जब तक इस बीमारी का प्रभाव है , बीमारी के समाप्त होते ही , विवाह हो जाएगा।
परेशान होते हुए, किशोरी लाल जी बोले -यह आप क्या कह रहे हैं ? सभी तैयारियां हो चुकी हैं हम इतना तो जानते ही हैं कि सबसे बचकर रहना है एक बार शिखा की मां से भी पूछ लेता हूं।
शिखा की मां ने जब सुना, तो उसकी हालत खराब होने लगी। जवान बिटिया घर में बैठी है, विवाह तय हो गया है, अचानक विवाह का पीछे चले जाना। उन्हें लग रहा था- न जाने, क्या विपत्ति आ जाएगी ? विपदा तो आई हुई है किन्तु न जाने कब तक यह विपदा रहेगी ?तब तक क्या बेटी को घर में ही बिठाये रखेंगे ? हो सकता है, लड़के वालों का ही मन बदल जाए ,मन को अनेक आशंकाओं ने घेर लिया।
बाद में ,उन्होंने विवाह से इंकार कर दिया तो क्या होगा ? अब तो बिटिया दामाद जी से भी बहुत घूल- मिल गई है। अनेक विचारों ने उन्हें घेर लिया परेशान होते हुए बोलीं -देखो जी ! एक सप्ताह की बात है , विवाह हो जाएगा बिटिया अपने घर चली जाएगी। उसके पश्चात, उसका आना-जाना भी बाद में कर लेंगे किंतु अभी विवाह होना जरूरी है।
किशोरीलाल जी ने ,जगतसिंह जी को फोन किया और बोले -समधी जी ,शिखा की माँ नहीं मान रही है ,कहती है -एक सप्ताह की ही तो बात है, सभी तैयारियां हो चुकी हैं।
ठीक है ,आपको जैसा उचित लगे ,कहकर उन्होंने फोन रख दिया। और तय हो गया कि विवाह निश्चित तिथि पर ही होगा।