Mysterious nights [part 28]

परी और प्रखर  लड़ने में व्यस्त थे, इतने में तेजस को एक पेड़ के पीछे से ,एक हिलता हुआ दुपट्टा दिख जाता है। यह जानने के लिए कि वहां क्या है ?वह वहीँ पहुंच जाता है और देखता है वहां पर, पहले से ही शिखा छुपी हुई थी। उसका  तेजस के सामने जाने का साहस नहीं हो रहा था ,अथवा दोनों सखियों की चा ल थी,इसीलिए शिखा वहां छुप गई थी। थोड़ी मन में घबराहट भी थी। किसी ने देख लिया तो क्या होगा ? तेजस का सोचकर वह, इतनी दोपहर में आ भी गई थी,यही बहुत था।  उसे लग रहा था, उसके न आने पर कहीं तेजस को बुरा न लगे।


 परी और प्रखर उन्हें ढूंढते हुए वहीं पर आ पहुंचे और प्रखर, शिखा से बोला - हम लोग, तुम लोगों को मिलवाने के लिए इतना परिश्रम कर रहे हैं और हमें वहां ,लड़ते हुए छोड़कर, तुम लोग यहां मजे कर रहे हो। 

ये यहां कहां आई थी ?इन्हें  तो मैंने जादू से बुलाया। परी की तरफ देखकर व्यंग्य से तेजस बोला -वह तो मुझे पेड़ के पीछे लगा, जैसे कोई छुपा हुआ है इसलिए इस दुपट्टे के सहारे मैं यहां पहुंच गया।

 अब तुम्हें जो बात करनी है, वह तुम कर सकते हो, कहते हुए प्रखर वही नजदीक में खड़ा रहा। 

शिखा ने तेजस की तरफ देखा, और मुस्कुराकर नजरें नीची कर लीं। तब परी ,प्रखर से बोली -चलो आओ !मैं तुम्हें खेत दिखलाता हूं। 

खेत कोई देखने वाली चीज है, हमारे गांव में भी बहुत खेत हैं। परी उसकी नादानी पर मुस्कुराई और उसके हाथ पर हाथ मारते हुए बोली -यह दोनों हमारे सामने कैसे बात करेंगे ? आओ चलो गन्ना  खाते हैं।तुम्हें पता है ,गन्ना खाने में मेरा रिकॉर्ड है। 

वो कैसे ?

आओ बताती हूँ कहते हुए उसका हाथ पकड़कर आगे बढ़ गयी।  

उसकी बात को समझ कर प्रखर उसके पीछे हो लिया, तब तेजस शिखा से बोला -तुम खुश तो हो ना। 

शिखा ने हाँ में गर्दन हिलाई, लेकिन उस दिन तो कुछ नहीं बोली -तेजस को भी कोई बात सूझ नहीं रही थी, वह कैसे, किसी बात की शुरुआत करें ?तब वह बोला -तुम उस दिन उठकर क्यों चली गई थी ? क्या तुम सबके सामने यह नहीं कह सकती थीं -'कि तेजस मुझे पसंद है।' 

धत...... ऐसे कोई बड़ों के सामने कहा जाता है , तुम शहर में घूमते होंगे, शहर में लोग ऐसा बोलते होंगे किंतु हमारे यहां ऐसा नहीं बोलते हैं। इसमें बुरा मानने वाली बात क्या है  ? बाद में तो पता चल ही गया कि हां ,हमें रिश्ता मंजूर है। 

बड़ी मेहरबानी की वरना मैं तो परेशान ही रहता, न जाने क्यों, मुझे ठुकरा दिया ?जबसे तुम्हें देखा है ,तुमसे प्यार हो गया है, उसकी आँखों में झाँकते हुए बोला। 

सिर झुकाकर,शिखा बोली - ठुकराने का तो प्रश्न ही नहीं उठता, मुझे तो तुम, तभी देखते ही, पसंद आ गए थे। 

अच्छा ! आश्चर्य चकित होने का अभिनय करते हुए तेजस ने पूछा -क्या तुम्हारा मुझसे मिलने का मन नहीं करता ?

तेजस की बात से, शिखा शर्मा गई और बोली -विवाह के बाद तो मिलना होगा ही। 

वह अलग बात है, इस तरह मिलने में अपना अलग ही मजा है। छुप -छुपकर मुलाकातें करना और भी न जाने एक ही पल में वो, कितनी बातें सोच गया ? तभी खेतों की तरफ आते हुए एक आदमी को देखकर परी घबरा गई और बोली -शिखा जल्दी आओ ! अब हमें जाना होगा। 

परी की बात सुनकर, तेजस परेशान हो गया और बोला -अभी तो हमने कुछ बात की ही नहीं, इतनी जल्दी अभी कैसे ? शिखा को भी लग रहा था, जब यह लेकर आई है, तो अब इतनी जल्दी क्यों कर रही है ? अब उसे परी का बुलाना अच्छा नहीं लग रहा था तब पेड़ की ओट से, झांक कर बोली -क्या बात है ?

आओ ! चलते हैं, शायद कोई इधर आ रहा है। 

यह बात सुनकर शिखा भी घबरा गई और तेजस से बोली -अच्छा, अब मुझे जाना होगा। 

व्याकुल हृदय, तेजस को जैसे किसी ने घायल कर दिया हो वह बोला -अभी इतनी जल्दी, थोड़ी देर और बैठ जातीं। 

घबराते हुए शिखा बोली -कोई आ रहा है, देख लेगा तो..... 

 तेजस ने उसका दुपट्टा पकड़ लिया और बोला -और कहीं जा रहा होगा, तभी एकाएक बोला - देखता है तो देखने दो ! तुम मेरी होने वाली पत्नी हो,किसी पराई स्त्री से मिलने नहीं आया हूँ।  किंतु इस समय तेजस की बातों का कोई भी प्रभाव शिखा पर नहीं पड़ा क्योंकि वह बुरी तरह घबरा गई थी किसी ने देख लिया तो क्या होगा ? यही ख्याल उसके मन में था। 

दुपट्टा छोड़ो ! तुम्हें इस तरह आना ही नहीं चाहिए था उसका चेहरा शर्म और घबराहट से लाल  पड़ गया था. इसलिए तो मैं मिलना भी नहीं चाहती थी , देखो ! कितनी घबराहट हो रही है ? विवाह के पश्चात तो हम मिलते ही, कहते हुए जल्दी से दौड़कर परी के पास पहुंच गई और पूछा -कौन आ रहा है ? क्या कोई इधर ही आ रहा है ?

समय यूं ही व्यतीत हो जाता है, अब हमें चलना चाहिए वरना मुझे भी जवाब देना पड़ जाएगा। 

तभी प्रखर बोला -हमारे दोस्त का तो मन भरा ही नहीं, ''अधूरी प्यास छोड़कर ,अधूरी आस छोड़कर , इस तरह जो तुम जाओगे, तो कैसे निभाओगे ? अभी तो कुछ कहा नहीं ,अभी तो कुछ सुना नहीं'' गाने लगा। 

अचानक ही तेजस का मन उचट गया और प्रखर से बोला  -चलो, अब चलते हैं। 

क्या हुआ? भाई ! थोड़ी देर और मिल लेते।

 नहीं, जब उसे ही कोई रुचि नहीं है, तो क्या कर सकते हैं ? उसका इशारा शिखा की तरफ था। 

तब परी बोली -यदि उसे रुचि भी होगी तो, क्या कर सकती है ? घर परिवार के मान- सम्मान की बात भी तो है। सरपंच की बेटी है, चार लोगों को जवाब देना पड़ जाएगा। तुम तो लड़के हो , भाग जाओगे किंतु इस गांव में तो, हमें रहना है। हमने इतना सहयोग किया, वही बहुत है। विवाह भी ज्यादा दूर नहीं है, एक महीने पश्चात बारात लेकरआ जाना। 

सभी प्रखर बोला -क्या मैं भी बारात ले आऊं ?

तुम क्यों बारात लाने लगे ?तुम इसकी बारात में आना। 

यदि तुम तैयार हो, तो मैं सारी जिंदगी तुमसे लड़ने के लिए तैयार हूँ ,तुम्हारी ये कठोर वाणी सुनने के लिए भी तैयार हूँ।  कहो तो..... अपने घर भी बारात की बात कर लूं। उसकी बात पर परी मुस्कुरा दी और बोली -पहले एक को लेकर तो लेकर जाओ ! और उसे खुश रखोगे, तब मैं सोचूंगी, कह कर दोनों सखी मुस्कुराते हुए तीव्र गति से, पगडंडी के रास्ते से, जल्दी-जल्दी आगे बढ़ने लगीं। 

तब प्रखर, तेजस को समझाते हुए बोला -उन्होंने काफी साहस का कार्य किया है, मना भी कर सकती थीं । गांव का मामला है, बात बढ़ने में समय नहीं लगता हमें भी यहां से शीघ्र निकल जाना चाहिए।

जैसे-जैसे विवाह के दिन नजदीक आते जा रहे थे, तेजस और शिखा के दिल की धड़कनें की बढ़ती जा रही थीं। घर में शादी की तैयारी चल रही थीं , नए वस्त्रों की खरीददारी हो रही थी। दहेज के सामान भी जुटाए जा रहे थे। सरपंच जी अपनी बेटी के विवाह में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते थे। नामी -ग्रामी ठाकुरों के परिवार से उनका रिश्ता जुड़ रहा था। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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