''चोर ''की पहचान हम कैसे कर सकते हैं ?चोर के चेहरे पर तो लिखा नहीं होता कि वह 'चोर' है। चोर फिर हमें क्यों बताएगा वह 'चोर' है किन्तु अब सोचने वाला विषय तो यही है कि हमें भी तो यही टास्क मिला है कि यदि तुम्हारे सामने कोई चोर आ जाये तो तुम उसकी पहचान कैसे करोगे ?
अब ये बात चोर पर भी तो निर्भर करती है कि उसकी नियत किस चीज पर डोल रही है ? कोई साधारण सा दिखने वाला व्यक्ति भी चोर हो सकता है ,या फिर बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक भी चोर हो सकता है। जिसकी नियत चोरी की हो ,वो अमीर हो या गरीब चोरी करता ही है। पैसा तो ऐसी चीज है ,कितना भी बड़ा' सफ़ेदपोश' हो ,उसकी नियत डोलनी तो निश्चित है ? कहते हैं ,न..... पैसा! पैसे को खींचता है जो जितना भी अधिक पैसे वाला होगा ,उसकी इच्छायें ,अपेक्षाएं भी उतनी ही बढ़ती जाती हैं। तब वो कोई छोटा -मोटा चोर नहीं रह जाता है। वह बन जाता है,-'बड़ा चोर !
हो सकता है ,उस बड़े चोर की नियत चोरी की न हो किन्तु उसका आकर्षक व्यक्तित्व ही चोरी का अथवा ईर्ष्या का कारण भी बन सकता है।
कुछ छोटे -मोटे चोर भी होते हैं,जिसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार नहीं होते बल्कि परिस्थितियां या फिर उनकी गरीबी ,उनकी आवश्यकताएं उन्हें 'चोर' बनाती हैं। जो एक रोटी के टुकड़े की भी चोरी करते हैं और चोरों की श्रेणी में आ जाते हैं। बात भी सही है ,रोटी तो मेहनत करके भी कमाई जा सकती है किन्तु कोई करना तो चाहे ,इससे ज्यादा तो एक भिखारी भी कमा लेता है किन्तु फ़िल्मकार को तो कहानी बनानी ही होती है। किन्तु सबसे बड़ा ख़लनायक तो वो व्यक्ति जिसकी नियत एक रोटी देने की भी नहीं होती। लोग, इतने दान -पुण्य करते हैं ,प्याऊ लगवाते हैं ,किन्तु उस एक गरीब बच्चे को रोटी के लिए चोरी करनी पड़ती है क्योंकि उसकी माँ मजदूरी पर गयी है ,पिता शराब पीता है ,उसका छोटा भाई रोटी के लिए रो रहा है अब उस दस साल के बच्चे की भगवान भी परीक्षा लेता है और वह बन जाता है -एक चोर !
बड़े चोर जो हीरों की ,लक्ष्मी यानि धन की चोरी करते हैं ,अरबों ,खरबों की चोरी कर जाते हैं किन्तु पकड़े नहीं जाते।
इनमें ही कुछ 'चिन्दी चोर' ऐसे भी होते है जिनकी नियत सब्जीवाले के ठेले पर भी डोल जाती है ,सब्जी तुलवाते हुए भी वह एक दो मटर या फिर गाजर उठाकर वहीं खाने लगता है जैसे ठेला उसके किसी रिश्तेदार का है। इतना ही नहीं ,उसके पश्चात भी धनिया और मिर्च मुफ़्त चाहिए ,इनमें महिलायें भी शामिल हैं। किन्तु सब्जीवाला भी समझ जाता है कि इस घर के लोग कैसे हैं ?उसी हिसाब से बात करता है।
बिजली चोर ,डाटा चोर ,शब्द चोर 'ये भी चोरों की श्रेणी में आते तो हैं किन्तु ये ''आम चोर'' हैं, नहीं ,आप गलत समझे ये आम नहीं चुराते बल्कि ''आम लोगों ''में आते हैं ,जैसे आम आदमी पार्टी !
कुछ आशिक़मिजाज चोर भी होते हैं ,जो अपने नयनों से ,अपनी बातों से ,अपनी भावभंगिमाओं से अपनी शायरियों से ,शब्द रचना से किसी के भी दिल तक पहुंच जाते हैं ,कभी -कभी तो अपनी इतनी गहरी पैठ जमा लेते हैं कि दिल गया ही गया।
अब तक ये मैंने चोरों की कुछ श्रेणियां बतलाईं किन्तु पहचानना आपको है ,क्योँकि कुछ तो शक़्ल से ही चोर नजर आते हैं किन्तु होते नहीं ,कुछ के चेहरे बड़े की रुतबे वाले होते हैं किन्तु आप पहचान नहीं पायेंगे कि वह एक' चोर' था।
