Shaitani mann [part 72]

सुमित और रोहित को शंका है कि उनका मित्र अवश्य ही कहीं फँस रहा है , सीधे-सीधे वे उससे पूछना भी नहीं चाहते थे ,कहीं उसे बुरा ना लगे, हो सकता है, वह सच्चाई बताएं भी ना..... इसलिए वे दोनों  पहले से ही भूमिका बांध रहे थे,ताकि बातों ही बातों में उन्हें सच्चाई का कुछ तो पता चले।कहीं ऋतिक सही तो नहीं कह रहा ,या हम गलत हैं।  आपस में ही चर्चा करते हैं ,अब इस जीवन को सही राह पर कैसे लाना है ?

तब रोहित कहता है -मान लो !हम गलत राह पर चल भी रहे थे, तो हमें समझाने वाला कोई नहीं था, यार !कोई समझाने वाला भी तो होना चाहिए था। 



कोई समझाता भी तो क्या हो जाता ? जब हमें सुधरना ही नहीं था, अब हम स्वयं ही सुधरना चाहते हैं , तो कोई समझाने वाला न भी होगा तो भी हम सीधी राह पर ही चलेंगे,हम शिक्षित हैं ,अपना भला -बुरा समझ सकते हैं ,अब यह निर्णय हमारा होना चाहिए कि हमें किस राह चलना है ? माता -पिता भी,डंडा लिए  कब तक पीछे -पीछे भागते डोलेंगे।  

नितिन उनकी बातें सुनता है ,जिन्हें सुनकर नितिन को उन पर विश्वास नहीं होता ,नितिन को उनकी बातें झूठी लग रहीं थीं ''सोे चूहे खाकर, बिल्ली हज को चली,'' उन पर व्यंग्य करते हुए नितिन बोला। 

यह बात सुनकर वे लोग नाराज नहीं हुए ,बल्कि सुमित उससे बोला -हां भाई, तेरे साथ रहकर हमें घर -परिवार की अहमियत का पता चला है । हमारे परिवार में माता-पिता सारा दिन पैसा कमाने में लगे रहते हैं ,पैसा बहुत है, नौकर -चाकर हैं  किसी चीज की कोई कमी नहीं है।  कमी है,तो  समय की, जो हम एक- दूसरे को नहीं दे पाते हैं। अब इस जिंदगी से हमने यही सीखा है, हमें भी पैसा कमाना है किंतु अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए, न कि जरूरत को अपने ऊपर हावी  होने देना है। 

आज तो तुम लोग बड़ी ज्ञान की बातें कर रहे हो। 

 जब एक उम्र हो जाती है, तो इंसान को समझ आने लगती है कि वह यह सब क्यों कर रहा है ? यदि कोई बुरा व्यक्ति है तो वह भी एक बार बैठकर यही सोचेगा- वह जो भी कर रहा है ,क्यों और किस लिए कर रहा है ?उनका इशारा नितिन की तरफ ही था। 

तुम यह अपना ज्ञान आपस में बाँटते रहो ! मुझे बहुत नींद आ रही है, मैं सोने जा रहा हूं। 

अभी तो रात्रि भी नहीं हुई, आजकल तुम दिन में भी सोने लगे हो, क्या रात्रि में जागते हो ?

पता नहीं क्यों? मुझे अक्सर, सुबह उठकर बहुत थकान महसूस होती है आलस भी आता रहता है ऐसा लगता है, जैसे मैं रात भर जागा हूं। मैंने बहुत काम किया है किंतु क्या ?वह मैं नहीं जानता। यह  मेरा सपना है या भ्रम वह भी नहीं जानता।

तुम बुरा मत मानना,! अच्छा तुम एक बात बताओगे ! क्या तुम रात्रि में कहीं जाते हो ?

यह क्या बकवास है ? रात्रि सोने के लिए बनी है मैं भला क्यों कहीं जाने लगा ? समीर और रोहित ने एक दूसरे की तरफ देखा और चुप हो गए।

अच्छा !एक बात बताओ ! तुम कॉलेज के पीछे कब गए थे ? 

मैं कब कॉलेज के पीछे गया था ? नितिन ने पूछा। 

वाह !क्या बात है? तुम्हारी तो याददाश्त भी कमजोर हो गई है , एक बार तुम ही ने तो बतलाया था कि तुम कॉलेज के पीछे गए थे जहां पर एक 'मडहाउस' बना हुआ है। 

हाँ हां,याद आया  गया था, तब तुमने वहां क्या देखा था ?

तुम लोगों को बताया तो था, लगता है तुम दोनों की याददाश्त मुझसे  भी ज्यादा कमजोर हो गई है। वहां एक साधु था जो हवन कर रहा था उसने मुझे अपने आसन पर बिठाया और कुछ पूजा पाठ करने लगा। यह कहकर वह चुप हो गया। 

आगे क्या हुआ ?

पता नहीं, क्योंकि उसके आगे मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे साथ क्या हुआ ? मैंने अपने को यहीं  बिस्तर पर पाया तब तो मुझे भी आश्चर्य हुआ था किंतु उसके बाद मुझे लगा शायद, वह मेरा स्वप्न था। 

क्या उसके पश्चात भी, तुम उस घर में गए हो ? 

हां ,गया हूं किंतु यह सब मैं तुम्हें क्यों बता रहा हूं ? तुम्हें तो मेरी बात पर विश्वास ही नहीं होगा। 

नहीं, हम तुम्हारी बात पर विश्वास करेंगे तुम बताओ !वहां तुमने क्या देखा ?

वहां एक गुप्त रास्ता था। 

क्या कह रहे हो ? आश्चर्य से दोनों बोले। 

सही बोल रहा हूं , और मैं उसे रास्ते पर गया भी था हालांकि मुझे पहले बहुत डर लग रहा था फिर मैंने सोचा जाऊंगा नहीं तो पता कैसे चलेगा कि यह कहां का रास्ता है ?

तब क्या हुआ ? 

मैं सीढ़ियों से नीचे उतरता हुआ चला गया , वहां घुप्प अंधेरा था ,अभी मैं यही जानने का प्रयास कर रहा था कि तभी मेरे पीछे से  किसी ने, मेरे सिर पर वार किया और मैं बेहोश हो गया। तुमने उस दिन जो बगीचे में मुझे देखा था, मैं वहीं बेहोश हुआ था लेकिन बगीचे में कैसे पहुंचा ? यह बात भी समझ नहीं आई। 

इसका मतलब जो कुछ भी तुम्हारे साथ हो रहा था तुम सच में कह रहे थे। 

हां मैं झूठ क्यों बोलूंगा ? लेकिन मैं पता लगाना चाहता हूं कि मेरे सिर पर किसने वार किया और मैं यहां कैसे आया ? क्या तुम लोगों ने नहीं देखा कि मुझे यहां छोड़कर कौन गया था ?

नहीं, इसका मतलब तो यही है कि उस घर से कॉलेज का कोई आदमी जुड़ा हुआ है और बिना किसी की नजर में आए वह अपने कार्य को अंजाम दे रहा है और कुछ ऐसी बात हो, जो तुम हमें बताना चाहते हो या तुम्हारे लिए अलग हो। 

हां, मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरे कानों में कोई घंटी बजा रहा है और उसके पश्चात मुझे पता नहीं चलता कि मैं कहां हूं और क्या कर रहा हूं ?

यह तुम्हें कब से हुआ ? जब मेरे सिर पर चोट लगी थी। 

कहीं ऐसा तो नहीं ,तुम्हारे कान में ही कोई खराबी आ गयी हो। 

मुझे भी ऐसा ही लगा था डाक्टर को भी दिखाया किन्तु उसे मेरे कानों में कोई दिक्कत नजर नहीं आई। 

चल !ये सब छोड़ ! मुझे लगता है -अवश्य ही वहां कुछ है ,हम दोनों तेरे साथ हैं ,हम भी तेरे साथ वहां जायेंगे। 

नहीं मैं नहीं जाऊंगा ,वो लोग ख़तरनाक हो सकते हैं ,जब ये उस जगह गया ,तब किसी ने उस पर वार किया इसका अर्थ है कोई तो है ,जो इस पर नजर रखे हुए है ,हो सकता है ,उसकी नजर में हम भी हों घबराते हुए सुमित ने जबाब दिया।  

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post