अब तक दूरदर्शन पर रामायण ,महाभारत और' विक्रम- वेताल 'चित्रहार' इत्यादि मनोरंजन के कार्यक्रम दूरदर्शन पर आते रहते थे। कुछ दिनों पश्चात, एक नया डी. डी. चैनल आया,उसे देखकर ख़ुशी हुई, अब चैनल बदल -बदलकर कार्यक्रम देखने को मिलेंगे, किन्तु कुछ ही वर्षों में मनोरंजन की दुनिया में नया सैलाब आया और अब केबिल लगवाने पर एक नहीं कई चैनल आने लगे।सभी कार्यक्रम परिवार के साथ बैठकर उन कहानियों का मजा लेते थे। 'चड्डी पहनकर फूल खिला है ''मोगली का ये गाना ,हर गली -मौहल्ले में गूंजता सुनाई देता। केबिल पर मनोरंजन के कई चैनल आ गए और अब टेलीविजन के एंटीने लोगों की छतों से भी हट गए, लेकिन ये सब यहीं नहीं रुका। आगे और चैनल आ गए ,कुछ लोगों की छतों पर छतरी दिखाई देने लगी। कुछ समय पश्चात ,वाई -फाई का चलन आ गया और अब चैनलों की भरमार हो गयी ।तरकारी - भाजी की तरह ,जो चाहो चुन लो !
अब पारिवारिक धारावहिकों से हटकर कुछ नई चीजें आने लगीं किन्तु अभी उनकी ओर हमारा ध्यान नहीं था। तब अन्य लोगों से सुना ,यार !अब तो सीरीज़ का जमाना है ,आजकल धारावाहिक कौन देखता है ?वो सीरीज़ बहुत अच्छी है ,उस समय ' गुल्लक ''चल रही थी। किन्तु अभी भी हम अपने उन्हीं धारावाहिकों से संतुष्ट रहे क्योंकि कुछ लोग तो सीरीज़ के विषय में ऐसे बताते जैसे उन्होंने सीरीज़ देखकर कौन सा बड़ा कार्य कर लिया है। सीरीज़ देखकर,जैसे उनका स्तर बढ़ गया है।वे आधुनिकता की दौड़ में शामिल हो गयीं हैं और हम पीछे ही रह गए। कुछ ने बताया- सीरीज़ आ तो रही हैं किन्तु परिवार में बैठकर देखने लायक नहीं है।
कुछ धारावाहिक ऐसे थे ,जैसे -'' सास भी कभी बहु थी ,कहानी घर -घर की ''हर घर में चल रही थी ,हम उन्हीं में उलझे रहे किन्तु कभी -कभी जिज्ञासा तो होती हमें भी''वेब सीरीज़ ''देखनी है। वे कैसी होती हैं ,जब हमारे घर भी 'स्मार्ट टेलीविजन का आगमन हुआ ,सबसे पहले 'वेब सीरीज; की इच्छा बलवती हुई। उन्हें देखकर तो लग तरह था इतने लोगों को काम मिल रहा है ,जिन कलाकारों को बहुत दिनों तक नहीं देखा वे भी दिखलाई दे रहे थे।बहुत की कहानियां बहुत अच्छी थीं ,उन्हें देखकर आश्चर्य होता ,क्या ऐसा भी होता है ?किन्तु धीरे -धीरे एहसास होने लगा ये परिवार और बच्चों के साथ बैठकर देखने योग्य नहीं है। इतनी हद तक गाली -गलौच ,अश्लीलता ,शराब ,नशा उन्हें देखकर लगा यदि ये सब बच्चे देखेंगे तो उन पर क्या असर होगा ?
मान लीजिये !हमने बच्चों के सामने सीरीज नहीं देखी ,तो क्या बच्चों ने भी नहीं देखी ,आजकल तो हर बच्चे पर फोन और नेट भी होता है। उसे सोचकर लगता ,मनोरंजन के नाम पर ,ये क्या परोसा जा रहा है ? रिश्तों में कड़वाहट ,दोस्तों में अविश्वास ,इंसान की जिंदगी की कोई कीमत नहीं ,उसके लालच के कारण उसकी ज़िंदगी की कीमत मात्र एक गोली !कुछ समय पहले फिल्मों पर और अभिनेताओं पर दोषारोपण किया जाता था। कि इनमें नग्नता ,अश्लीलता के सिवा क्या है ?बच्चे बिगड़ रहे हैं किन्तु क्या इन सीरीज़ में वही सब नहीं है ?जो आज घर -घर में चल रहे हैं। चलचित्र को दो या तीन घंटे में देखकर,व्यक्ति अपने घर आ जाता और जीवन की व्यस्तता के चलते भूल भी जाता किन्तु ये तो धारावाहिक की तरह ही चलती रहती है। जिनमें बच्चा माँ को'' बिच '' कहता है और माँ स्वयं शराब सिगरेट पीती है और ग़ैरकानूनी कार्य करती है।
इन्हें देखकर तो लगता है ,क्या हमारे समाज में ये सब चल रहा है ?सास -बहु नशे का धंधा करती हैं ,अश्लीलता की तो हद ही पार हो गयी। ताज्जुब होता ,अभिनेत्री या अभिनेता ऐसे दृश्यों के लिए मान कैसे गए ?क्या ये कहानी की मांग थी ?क्योंकि फिल्मों में यही कारण बताया जाता रहा है किन्तु मुझे लगता है ,अब इनसे कोई पूछता भी नहीं। जब ये दिखाया जाता है कि सबकी अपनी -अपनी ज़िंदगी है ,बेटा, बाप की नहीं सुनता ,बेटी अपने ''बॉय फ्रेंड'' के साथ घूम रही है।बिखरे परिवार ,हर इंसान शक के घेरे में है ,न जाने कब ,कौन बाजी पलट दे ?''गाली -गलौच तो शराब की तरह बंट रही है और अश्लीलता चखने की तरह परोसी जा रही है।'' अधिकतर'' वेब सीरीज ''में यही सब परोसा जा रहा है। जिन रिश्तों की [समलैंगिगता ]बहुत से लोगों को जानकारी ही नहीं थी ,अथवा उस विषय पर बात करना भी उचित नहीं समझते थे ,वे रिश्ते अब धड़ल्ले से दिखाए जा रहे हैं ,आजकल के बच्चे ,उन पर चर्चा करते हैं। अपने माता -पिता की भावनाओं को बच्चे समझे या न समझें किन्तु ऐसे लोगों की भावनाओं को समझने का प्रयास करते हैं।
अब और इससे अधिक क्या कहूं ?सबके सोचने का अपना नजरिया है जिंदगी से जुडी कुछ प्यारी सी कहानियां दिनभर की थकान को कम करती हैं ,अच्छा मनोरंजन देती हैं किन्तु अब ये सब चीजें भी ,लोगों को काम दे रहीं हैं। मनोरंजन भी अब व्यापार बन गया है, ऐसी भड़कती हुई कहानियाँ देखकर इंसान उनमें खोकर रह जाता है किन्तु जब उनसे बाहर आता है तो उस मारकाट की सीरीज को देखकर उसके दिल -दिमाग को शांति का एहसास तो नहीं होगा।