Kyon bhul gye? papa !

पापा..... क्या भूल गए ,अपनी बेटी को ?

अभी तो बहुत कुछ कहना -सुनना था। 

कुछ बातें ,कुछ शिकायतें  करनी थी। 

कुछ उलहाने ,कुछ ताने अभी सुनाने थे।

लड़ते -लड़ते आपकी वो..... मुस्कुराहट ! 

 मुस्कान को अपनी ,क्या खो दिया पापा !


आपकी तो मैं लाड़ली हूँ,व्यथा से व्याकुल ,

अभी, आपको भी, मुझसे और लड़ना था। 

नोक -झोंक चलती, अभी बाप -बेटी की। 

अभी तो कुछ कहानी -किस्से सुनाने थे।

भूल सभी बातों को ,आगे बढ़ना था पापा !

चिढ़ाते -लड़ते क्यों मौन हो गए ? पापा !  

रूठी अपनी बेटी को , मनाना था पापा !

क्या, अपनी ही बेटी से रूठ गए ?पापा !

चलिये  ! उठकर खड़े हो जाइये !

देखिये !आपके लिए स्वादिष्ट व्यंजन बनाये।

कुछ तो कहिये ,क्यों मौन गए ?पापा ! 

 क्षितिज में देखते,क्या?अपनों को भूल गए पापा !

अब अभिनय छोड़ भी दो !आप जीत गए ,पापा !

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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