हर दिन,आ जाती'ढलती सुरमई शाम !
तुम्हारी याद दिलाती' सुरमई शाम !
दिनभर की थकन से सुकूं दिलाती ,
गहन रात्रि से पूर्व आती 'सुरमई शाम !
ह्रदय को चांदनी सी शीतलता दे जाती,
प्यार के रंगों से सजाई ,'सुरमई शाम !
थके पथिक ! लौटे, पंछी अपने नीड़ !
सुखद रैन का संदेश लाई सुरमई शाम !
कत्थई रंगों में घुल जाती ,सुरमई शाम !
कल आऊंगा ,दे संदेश सूरज ढ़ल जाता।
थककर ,निशा के आग़ोश में छुप जाता।
सुमधुर प्रेम संदेश सुनाती सुरमई शाम !