Surmai sham

हर दिन,आ जाती'ढलती सुरमई शाम !

तुम्हारी याद दिलाती' सुरमई शाम !

दिनभर की थकन से सुकूं दिलाती ,

गहन रात्रि से पूर्व आती 'सुरमई शाम !



ह्रदय को चांदनी सी शीतलता दे जाती,

प्यार के रंगों से  सजाई ,'सुरमई शाम !

थके पथिक ! लौटे, पंछी  अपने नीड़ ! 

सुखद रैन का संदेश लाई सुरमई शाम !


कत्थई रंगों में घुल जाती ,सुरमई शाम !

कल आऊंगा ,दे संदेश सूरज ढ़ल जाता।

थककर ,निशा के आग़ोश में छुप जाता।

सुमधुर प्रेम संदेश सुनाती सुरमई शाम !   

 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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