Shaitani mann [part 55]

साहब ! क्या करें ?उस टैटू की तस्वीर लिए हम लोग,उस शहर में  घूमते रहे किन्तु कुछ पता नहीं चला। इस शहर में सिर्फ दो टैटू वाले ही हैं ,सिर्फ़ दो !

क्या उनसे दोनों से कोई जानकारी नहीं मिली ?

 एक के यहां ऐसा टैटू बनता है किंतु वह भी इस बात से इनकार कर रहा है ,यह किसने और कब बनवाया था ?

क्यों ?उसके पास कोई, नाम,पता , फोन नंबर कुछ भी नहीं है। तुमने बताया नहीं कि जिसका भी उसने ये टैटू बनाया है ,उनमें से एक की मौत हो चुकी है। 


उसने कहा था -'कि  यहाँ पर सिर्फ चार लड़कियों ने, ऐसा टैटू बनवाया है।वो इसी शहर की हैं ,इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।  

फिर आप लोगों ने, उनका पता नहीं लगवाया, कहां से थीं , कौन थी ? उनमें से कोई गायब तो नहीं है। 

इसकी जानकारी हमने ली थी, चार लड़कियों में से तीन लड़की ही हमें मिली हैं। 

चौथी कहां गई ?

 हमें लगता है, या तो वह इस शहर की ही नहीं थी या फिर किसी रिश्तेदारी में आई थी। उसका जो पता मिला था वहां तो कोई नहीं था, हमने आस- पड़ोस में भी पता लगाया किंतु किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं है।

 कहीं उसने कोई गलत पता तो नहीं दे दिया था, लेकिन गलत एड्रेस देने का उद्देश्य क्या हो सकता है ?कुंवारी लड़की यदि ऐसा टैटू बनवाती तो ,उसके लिए घरवालों के प्रश्न उठ खड़े होते। 

 यह तो उस लड़की से मिलकर ही पता चलेगा, किसी को उसका चेहरा तक याद नहीं है। 

एक सबूत हाथ लग रहा था जिसके माध्यम से हमें लग रहा था कि हम उसे हत्यारे तक पहुंच सकते हैं किंतु वह भी हाथ आते- आते फिसल गया। 

सबसे बड़ी बात तो यह है, कि यहां आस-पास किसी भी लड़की के गायब होने की ऐसी कोई घटना भी नहीं हुई है। कहीं ऐसा तो नहीं, किसी दूसरे शहर से लाकर, उनके अंगों को इधर फेंका गया हो। हो सकता है, उनको टुकड़ों- टुकड़ों में फेंका जा रहा हो। आसपास के थानों से पता तो लगाना ही होगा, कि  ऐसी कुछ लड़कियां गायब हो रही हैं या नहीं जिनकी उम्र 22 से लेकर 25 तक की होगी। 

जी, हमने आसपास के थानों में, पहले ही कह रखा है। पता नहीं, उस हत्यारे का उद्देश्य क्या है ,वो इस तरह लड़कियों को क्यों मार रहा है ?

तिवारी की बात सुनकर कपिल हंसा और बोला -उसका उद्देश्य भी पता चल जाएगा, यदि वह हाथ में आ गया तो...... छोड़ेंगे नहीं , साले ने ,बहुत दौड़ाया  है। 

प्रातः काल उठते ही, नितिन नहाने चला गया और नहाकर अब उसे अच्छा लग रहा था। देखने से तो लग रहा था वह और दिनों की तरह ही ठीक है किंतु उसके चेहरे पर एक कठोरता थी। ऐसा लग रहा था, जैसे वह अपने आप में ही नहीं है तब सुमित ने उससे पूछा -तू ठीक तो है।

हाँ ,मुझे क्या हुआ है ?किन्तु मुझे ऐसा लगता है ,जैसे किसी ने मेरे साथ कुछ तो किया है ,कुछ धुंधली छाया सी नजर आती हैं कुछ समझ नहीं आता।  वैसे मैं, ठीक हूं, मुझे क्या हो सकता है ? कल थोड़ा सिर में दर्द था ,अब ठीक लग रहा है।  

हंसकर सुमित बोला -साले !कहीं तेरा' रेप 'तो नहीं हो गया। तुझे उस जंगल में जाने की जरूरत ही क्या थी ?

देख !तू ज्यादा मत बोल !एकाएक नितिन क्रोधित हो गया।  

रोहित और सुमित ने एक दूसरे को देखा,तब रोहित बोला -यह तो मज़ाक कर रहा है इसकी मज़ाक करने की आदत जाएगी नहीं, कहते हुए ,उसने सुमित की तरफ इशारा किया और नितिन की तरफ देखा।  उन्हें लगा -अब सब ठीक है। 

रास्ते में नितिन से अलग हो, सुमित ने रोहित को अपने करीब बुलाया और बोला - मुझे लगता है ,इसके साथ अवश्य ही कुछ हुआ है किन्तु इसे याद नहीं है,तूने देखा नहीं ,तेरे मज़ाक करने पर अचानक इसका व्यवहार कितना बदल गया था ?

अरे !कुछ नहीं है ,हो सकता है ,हमें ड़राने के लिए ये सब कर  रहा हो। 

तू पागल है ,क्या ? इसे हमारे साथ रहते हुए लगभग डेढ़ वर्ष हो गया ,आज तक तो इसने ऐसा कुछ भी नहीं किया ,तूने देखा नहीं ,अब इसके चेहरे पर सौम्या के धोखा देने का दर्द भी नजर नहीं आ रहा। 

छुट्टी के समय, अचानक ही  क्लास में, अपने दोस्तों के करीब आकर नितिन बोला -बहुत दिन हो गए ,हमें कहीं घूमने जाना चाहिए।  

बात तो तू, ठीक कह रहा है।क्या अब तेरी पढ़ाई नहीं है ,पिछले वर्ष तो तूने मना कर दिया था और अबकी बार स्वयं ही जाने की बात कर रहा है।  

 अरे, यार ! एक ही तो जिंदगी है, अब मौज- मस्ती नहीं करेंगे, तो कब करेंगे ? किन्हीं अनजान राहों पर, अनजान जगह पर, अनजान लोगों के बीच, घूमने का अलग ही मजा होता है। नितिन, इन दिनों बहुत ही खुश नजर आ रहा था। वे उसे देखकर आश्चर्यचकित थे। अब उन्हें लग नहीं रहा था कि वह परेशान या चिंतित है। बेहद खुश नजर आ रहा था। रात को भी उसने, खूब शराब पी थी। नशे के लिए, अब तक वह शराब ही पीता था किंतु अब तो कार्तिक भैया ! जो सामान देकर जाते थे , उनका सेवन भी करने लगा।

 जब से सौम्या और नितिन के बीच बात हुई है, तब से सौम्या यही प्रयास करती है उसका सामना नितिन से न हो। नितिन भी उसे देखकर भी ,अनदेखा कर देता था, किंतु अकेले में अचानक ही उसकी आंखें लाल हो जाती थी , उसे क्रोध भी आता था फिर न जाने कैसी अजीब सी मस्ती में खो जाता था। कभी-कभी तो लगता कि वह अपने आप में ही नहीं है , कभी लगता है, वह बहुत ही परेशान है , और कभी लगता है, कि वह जिंदगी जीना चाहता है, बेहद प्रसन्न है।

 नितिन के इस बदले व्यवहार को देखकर ,सुमित और रोहित महसूस कर रहे थे ,कहीं कुछ तो गड़बड़ है किन्तु समझ नहीं पा रहे थे।क्या उसका ये व्यवहार सौम्या को भुलाने का एक प्रयास है ?कभी लगता ,उसे बहुत गुस्सा है। अब उसके चेहरे पर दर्द तो नहीं ,वहशीपन अवश्य नजर आता है। इसके लिए हमें इससे सहानुभूति होनी चाहिए या दुःख ! कुछ समझ नहीं आ रहा।  


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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