Shaitani mann [part 54]

नितिन ,को जब होश आता है ,वह अपने को, अपने हॉस्टल के कमरे में पाता है ,इससे पहले भी जब वो, उस घर में गया था ,तब वहां कोई सन्यासी था किन्तु अबकि बार तो कोई भी नहीं था फिर उस पर किसने वार किया ?लगता है ,वो जो कोई भी था ,उसे अपने स्थान से देख पा रहा था। उस कच्चे घर में ऐसा क्या है ? वो जो कोई भी है ,उस घर को किस उपयोग में ला रहा है ? अनेक बातें उसके मन में चल रहीं थीं ,तब नितिन ने अपने दोस्तों से पूछा - मैं यहाँ कैसे आया ? 

 तुम जिस हालत में, कॉलेज के बगीचे में थे , उसको देखते हुए तो लगता है - तुम अपने पैरों पर चलकर तो नहीं आए होंगे। 

मुझे यहां लेकर कौन आया ?परेशान होते हुए नितिन ने पूछा। 



हमें भी  किसी ने बताया था, कि' तुम कॉलेज के पीछे वाले बगीचे में, बेहोश पड़े हुए थे।'

तब सुमित झुंझलाते हुए बोला - यार !मेरी एक बात समझ में नहीं आ रही आखिर तुम चाहते क्या हो ? तुमसे उस लड़की ने, स्पष्ट रूप से मना कर दिया और तब भी तुम, उसके पीछे बावरे हुए, फिर रहे हो। तुम्हारी यह हालत एक लड़की ने कर दी, आगे तो इतना बड़ा जीवन है ,उस जीवन से  लड़ने का साहस तो अब लगता है ,तुम में रहा ही नहीं है।मुझे ,ये बताओ ! तुम पीछे बगीचे में क्या करने गए थे ?

 बिस्तर से उठने का प्रयास करते हुए नितिन कहता है -मैं तो बगीचे में गया ही नहीं। 

फिर तुम कहां थे ?

मन ही मन नितिन सोच रहा था - मेरे साथ यह क्या हो रहा है ? उस दिन मैं उस घर में गया था, तो वह साधु मिला था और जब आगे की जानकारी लेने के लिए मैं उस गोदाम तक गया तो मेरे सिर पर किसी ने वार किया। इस बात को यकीन में बदलने के लिए, नितिन अपने सिर पर हाथ फेरता है जहां उसे चोट लगी हुई थी। हां, यह तो झूठ नहीं हो सकती। अपने दोस्तों की तरफ देखता है ,वे उसी की तरफ देख रहे थे। तब वह अपने दोस्तों से कहता है -जो बात मैं तुमसे कहूंगा , तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं होगा। तभी उसे महसूस हुआ जैसे उसके कानों में घंटी सी बज रही है, वो अपना सिर पकड़ लेता है। 

हम भी यहीं है और तू भी यहीं है ,तू अभी आराम कर..... उसे कुछ धुंधला सा एहसास महसूस होता है ,जैसे कोई उसके सामने था और उससे कुछ कह रहा था ,समझ नहीं आ रहा कि वह आदमी कौन है ?उसकी छवि भी स्पष्ट नहीं हो रही। वह सोचने का प्रयास करता है किन्तु कुछ भी स्पष्ट नहीं होता। उसकी चोट में भी दर्द था। शायद, मुझे थोड़ी आराम की आवश्यकता है। 

तू आराम ही कर... यही तेरे लिए सही होगा। मेरे बच्चे  खाने -खेलने के दिन हैं ,और ये दिल लगाए बैठा है ,अपना सर्वनाश करके छोड़ेगा ,देखना जी, मेरे बच्चे की क्या हालत हो गयी है ?आज तेरी माताजी यहाँ होती तो अपने बच्चे के लिए कितनी चिंतित होतीं ? अब मैं कह रहा हूँ ,मेरे लाल !थोड़ा पैग लगा ले और निश्चिन्त होकर सो जा !एक जाएगी तो दूसरी आ जाएगी ,तू क्यों चिंता करता है ?इस दुनिया में कोई तो होगी जो तेरी परवाह करेगी ,तुझसे प्यार करेगी कहते हुए रोहित ने उसे एक पैग बनाकर दिया और बोला -इसे पी और सो जा !

क्या तुम लोग जानते हो ?उस घर में कुछ तो है। 

कौन से घर में ?तू कहाँ और किसके घर पहुंच गया ?कहते हुए दोनों हंसने लगे। 

हमारे हॉस्टल के पीछे जो है। 

क्या तू फिर से उधर गया था ?रोहित ने पूछा। 

हाँ,क्या तू कभी उधर गया है ?तुम लोग तो मुझसे पहले से यहां रहे रहे हो। 

नहीं ,हमने किसी से दिल लगाया ही नहीं और टूटे हुए दिल को लेकर उधर जाना ही नहीं हुआ, कहते हुए हंसने लगे। 

तुम मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो ,तुमने किसी से प्यार ही नहीं किया ,प्यार करते तो उस दर्द को समझते ,तभी न जाने नितिन को क्या हुआ ?उसका चेहरा कठोर हो गया और अपने गिलास में शराब उड़ेलते हुए बोला -हर इंसान को उसके किये की सज़ा मिलती है ,उसने गलती की है तो उसे भी सज़ा मिलेगी ,कहते हुए ,बड़े डरावने तरीक़े से वो मुस्कुराया। नितिन की उस मुस्कुराहट को देखकर ,दोनों की सिट्टी -पिट्टी गुम हो गयी और बोले -तू ठीक तो है ,न..... 

हाँ ,मैं ठीक हूँ ,गिलास से काम नहीं चला तो ,उसने शराब की बोतल अपने मुँह से लगाई और पी गया,तब वह बोला -अब मैं सो रहा हूँ ,कल कॉलिज जाना है ,मुझे जगा देना !

रोहित और सुमित अचानक नितिन के व्यवहार में, इस तरह का बदलाव देख चौंक गए ,अब तक जो वो अपना दर्द उन्हें बता रहा था ,न जाने कहाँ उड़नछू हो गया ? पूरी बोतल पी गया ,सुमित बोला -आज तक तो उसने ऐसा नहीं किया था। तभी वह उठता है और उसके सिर की तरफ जाकर देखता  है ,वास्तव में उसके सिर में चोट लगी थी। वहां से रक्त बहकर उसके बालों में सूख गया था। तब वह धीरे -धीरे चलते हुए वापस रोहित के समीप गया और धीरे से उसके कान में फुसफुसाया ,इसके सिर पर चोट तो लगी है। अवश्य ही कुछ तो हुआ है। 

रोहित अभी भी, नितिन के व्यवहार को लेकर गंभीर नहीं था ,हंसकर बोला -मुझे लगता है ,साले की, वहीं बुद्धि खिसक गयी होगी ,हो सकता है ,हमें ड़राने के लिए अभिनय कर रहा हो।  

सुबह सोकर उठेगा ,तो पता चलेगा कि अब वो कैसा है ? यार !एक बार को तो मैं उसके व्यवहार को और उसकी आँखों को देखकर डर ही गया था। अचानक  से उसका ये बदला रूप पहली बार जो देखा है। 

मुझे लगता है ,सौम्या के प्यार में कुछ ज्यादा ही गंभीर  हो गया। 

हॉस्टल से दूर कहीं दूसरे शहर में ,कुछ समझ नहीं आ रहा ,ये सब कौन कर रहा है ,कपिल इतने दिनों से उस केस की छानबीन में लगा हुआ था किन्तु वह कातिल तक पहुंच पाने में असमर्थ रहा। आज उसको ऊपर से आदेश आया है ,ये जो भी हत्याएं हो रहीं हैं ,उनका शीघ्र से शीघ्र पता लगाओ !आख़िर इन सबके पीछे कौन है ?

तिवारी जी !अब तक हमें तीन हत्याओं के विषय में पता चला है ,कुछ समझ नहीं आ रहा ,कैसे केस की शुरुआत करें ?हमारे पास दो मृत शरीर हैं और उनमें से एक ही जानकारी मिली है कि वो किसका है ?किन्तु उसकी हत्या का क्या कारण रहा ?वो अभी तक पता नहीं चल पाया और अब तो हाथ ही मिल रहें हैं। उनके मृत शरीर कहाँ हैं ?उनका कुछ भी मालूम नहीं है, सिर्फ इन हाथों के आधार पर ही हमें हत्यारे का पता लगाना है।  


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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