Shaitani mann [part 70]

 हालांकि नितिन जब पहली बार कॉलेज में आया था तो वह भी एक आज्ञाकारी और संस्कारी ,शिक्षित परिवार से आया था किंतु उसने भी समय अनुकूल कॉलेज के दोस्तों के साथ, अपने जीवन में बहुत परिवर्तन किया। उसे प्यार भी हुआ, उसका दिल भी टूटा अब वह किस राह पर चल रहा है ?वह स्वयं नहीं जानता है लेकिन उसे लगता है कि वह जो कुछ भी कर रहा है, सब सही है। कई बार उसके साथ कुछ अटपटी सी हरकतें हो जाती हैं , उन्हें ही नहीं समझ पा रहा है।

 कॉलेज में आकर नितिन और उसके दोस्तों को पता चलता है, ऋचा के साथ जो कुछ भी हुआ पुलिस को शक़ है कि वह प्रकाश ने किया है उस पर जांच चल रही है, हालांकि अभी तक यह साबित नहीं हो पाया है कि यह किसने किया है ? क्या प्रकाश का वास्तव में ही, ऋचा के कत्ल और बलात्कार में हाथ था ? सभी के मन में यही प्रश्न उमड़ रहे थे। 



तब  सुमित, नितिन से पूछता है-क्या ऐसा हो सकता है ?कि प्रकाश ऐसा करे। 

  हम तो गहरी नींद में सो गए थे ,उस रात्रि सबसे छुपकर शराब भी पी थी। यह शिकायत भी अध्यापक से किसी ने की है , कहीं ऐसा न हो, हमारा ही नाम ले दे।

 वैसे वह परछाई किसकी हो सकती थी ?

 जब हमने कुछ देखा ही नहीं, तब हम कैसे कह सकते हैं ? कि वह परछाई किसकी थी ? हमें इतना दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है, यह कार्य पुलिस का है वह अपने आप संभाल लेगी नितिन ने जवाब दिया।

अक्सर कविता नितिन को देखकर मुस्कुरा देती, न जाने, उसके मन में क्या चल रहा था ? किंतु नितिन के मन में उसके लिए कुछ भी नहीं था।सौम्या ही उसका पहला प्यार थी। वह सौम्या से ही, प्यार करता था। पहली बार उससे ही प्यार का इजहार भी किया था उसके इनकार करने पर, उसके पश्चात उसने किसी से कुछ नहीं कहा-  उसके इस व्यवहार ने उसके ,दोस्तो को भी सोचने पर मजबूर कर दिया था - कि यह कैसा लड़का है ? उनके लिए आश्चर्य की बात भी थी, जिस लड़की ने उसके प्यार को, ठुकरा दिया,इसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई, नितिन दो-चार दिन ही, उन्हें परेशान दिखलाई दिया और नियमित, ऐसे ही जीवन जी रहा था जैसे पहले से रहता आया है। यह बात सुमित और रोहित को भी खल रही थी किंतु वे इन बातों को छेड़कर, उसके जख्मों को हरा नहीं करना चाहते थे। सोच रहे थे -हो सकता है, सौम्या को भूलाने का उसका यह एक प्रयास हो सकता है।  

आजकल कविता उसके सानिध्य की अपेक्षा रखती है, किसी न किसी बहाने से, उससे बात करने का उसके समीप आने का प्रयास करती है। यह बात नितिन ने महसूस तो की है लेकिन अनदेखा कर जाता है। वह अब इस तरह के किसी भी पचड़े में नहीं पड़ना चाहता है। 

अचानक ही, अर्धरात्रि में सुमित की आंख खुल गई , उसने कोई बुरा सपना देखा था, तब उसने अपने आसपास देखा तो वहां पर नितिन नहीं था। सोचा,शौचालय में गया होगा इसीलिए वह अपने स्वप्न के बारे में सोचते हुए लेटा रहा काफी देर तक जब नितिन नहीं आया तो वह स्वयं उठकर, उसे देखने के लिए गया तो वहां भी नितिन नहीं था। सुमित अपने कमरे से बाहर आया , चहुं ओर अंधकार था दूर कहीं लाइट जल रही थी उसकी रोशनी किन्हीं स्थान पर आ रही थी। अर्धरात्रि में उसे आवाज भी तो नहीं लगा सकता था। सोचा-वापस चलता हूं अपने आप आ जाएगा। इधर-उधर देखा, बाहर गया शायद उसे नींद न आई हो इसीलिए घूम रहा हो किंतु नितिन उसे वहां भी नहीं दिखलाई दिया।

 मन ही मन सोचने लगा, कहीं यह भी तो अन्य लड़कों की तरह दीवार फांदकर बाहर तो नहीं जाने लगा। किंतु उसका भी एक निश्चित समय है वह वापस अपने कमरे में आ गया। नींद नहीं आ रही थी, खिड़की से बाहर झांक कर देखा , दूर उसे एक परछाई दिखलाई दी। 

यही नितिन हो सकता है,यह इतनी रात्रि में ,और कौन हो सकता है ? वह चुपचाप जाकर अपने बिस्तर पर लेट गया। सोच रहा था -जब अंदर आ जाएगा तब उससे पूछूंगा कि वह कहां गया था ?

प्रातः काल जब सुमित की आंख खुली, तो काफी दिन निकल चुका था। तभी उसे रात्रि की बात स्मरण हो आई और उसने तुरंत ही नितिन के बिस्तर की तरफ देखा ,अभी भी नितिन वहां नहीं था,तब उसने रोहित से पूछा -नितिन कहां है ?

वह तो नहाने गया है, तुम्हारा क्या इरादा है ? आज सोते ही रहना है ,कॉलेज नहीं जाना है कुछ दिन पश्चात ही परीक्षाएं आरंभ हो जाएंगी। 

जब नितिन तैयार हो रहा था, तब सुमित ने पूछा -कल रात तुम कहां थे ?

कहां होगा ? यहीं तो सो रहा था नितिन ने जवाब दिया। सुमित उसका चेहरा देख रहा था और सोच रहा था यह मुझसे क्या छुपा रहा है, यह झूठ क्यों बोल रहा है ? अनेक प्रश्न उसके मन में आए किंतु नितिन तो सामान्य रूप से अपना कार्य कर रहा था। उसके व्यवहार से ऐसा लग ही नहीं रहा था -कि उसने कुछ गलत  किया है या कुछ छुपा रहा है। 

नितिन के जाने के पश्चात, सुमित ने रोहित को बताया -कल रात्रि यह अपने बिस्तर पर नहीं था। 

बिस्तर पर नहीं था, तो बाहर टहलने चला गया होगा या' वॉशरूम' गया होगा। 

मैंने भी यही सोचा था, उसे ढूंढा भी था किंतु मुझे कहीं भी दिखलाई नहीं दिया। 

ऐसा कैसे हो सकता है ? जब मैं उठा तो वह यही सो रहा था , तुमने कोई बुरा सपना तो नहीं देखा। 

बुरा स्वप्न तो देखा था, उसी के कारण डरकर उठ गया था ,किंतु उठने के पश्चात मैंने नितिन को अपने बिस्तर पर नहीं देखा। तब उसे स्मरण हुआ और बोला -एक बार पहले भी ऐसा हुआ था किंतु उस समय मैंने  ध्यान नहीं दिया था। मेरी समझ में नहीं आ रहा, यह अक्सर जाता कहां है ?कहीं ऐसा तो नहीं, यह हमसे छुपाकर कविता से मिलने जाता हो। 

मुझे तो नहीं लगता, उसे कविता में कोई दिलचस्पी है। 

किंतु अवश्य ही कोई बात तो है, तुमने देखा नहीं, जिस लड़के का दिल टूटता है वह स्वयं भी कितना टूट जाता है ? किंतु इसे देखकर तो लगता है ,जैसे कुछ हुआ ही नहीं, अपने आप में ही रहता है। लगता तो यह है कि हमारे साथ कार्य कर रहा है किंतु होता कहीं और है। 

 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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