Hosalon ki udaan

तू !''हौसलों की उड़ान'' भरता जा !

अपने आपसे तू लड़, आगे बढ़ता  जा !

खुली आँखों से देख, तू स्वप्न !

मंजिल की तलाश में आगे बढ़ता जा !

न घबराना तू कभी, कठिनाइयों से,

हर मुश्किल का सामना ,तू करता जा !



साहस का साथ न छोड़ना,

मंजिल की 'पैड़ी' पर कदम रखता जा !

तू !'' हौसलों की उड़ान ''भरता  जा !

मुश्किलों की' खरपतवार' काट,

राह के कंटक छाँट, पुष्पों को चुनता जा !

जिन्होने मंजिल पाने की, ली है ,ठान !

उनके लिए उड़ान का विस्तृत आसमान !

भले ही तेरे पंख नहीं,हौसलों की उड़ान भरता जा !

लक्ष्य साध ! नजर तेरी मीन पर होगी,

भले ही तूफां आएं ,उम्मीदों के दिए जला बढ़ता जा !

तू चाहत लिए मन में ,उड़ान भरता जा ! 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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