Shaitani mann [ part 67]

आज कॉलिज में फिर से ,इंस्पेक्टर सुधांशु ,एक मनोचिकित्सक के रूप में ,कॉलिज में प्रवेश करते हैं और उन्हीं छात्रों को वहां बुलाया जाता है ,जो उस 'जंगल वाली ट्रिप' पर गए थे। आज छात्र कम हैं , क्या कारण है ? इंस्पेक्टर सुधांशु ने उस कॉलेज की अध्यापिका गौरी से पूछा। 

जी, कुछ बच्चे तो, होली की छुट्टियों में अपने घर पर भी गए हैं, बाकी जो छात्र हैं आप उनसे जो भी पूछना चाहते हैं, पूछ लीजिए ! दो दिनो के लिए कॉलेज बंद ही रहेगा।

 अभी कुछ बच्चे अभी भी आ रहे हैं उनकी प्रतीक्षा करते हुए ,सुधांशु जी ,मैडम से धीमे स्वर में कहते हैं -मुझे एक 'गुमनाम पत्र 'आया है, जिसमें उसने लिखा है -कि' प्रकाश' ऋचा को बहुत चाहता था,मेरा मतलब है ,वह उसे बहुत पसंद करता था और उसने ऋचा से 'प्रेम का इजहार' भी किया था किन्तु ऋचा ने ,न सिर्फ उसका प्रेम ठुकराया बल्कि अपनी सहेलियों के सामने उसका अपमान भी किया। हो सकता है ,यह कार्य 'प्रकाश' का ही हो।


सर !यह आप कैसे कह सकते हैं ,किसी 'गुमनाम पत्र ''के आधार पर किसी को हम अपराधी तो नहीं ठहरा  सकते। 

आप ठीक कह रहीं हैं  ,यदि मैं स्वयं उनसे बात करता हूँ तो बच्चों को लगेगा, हम पर शक कर रहे हैं किन्तु आप एक अध्यापक की तरह नहीं, एक दोस्त और हितैषी की तरह उनसे बात करिये !और जिन्होंने भी ये सब देखा है ,वो तो आपको बता ही देंगे। 

यह कार्य तो आप भी कर सकते हैं ,फिर मैं ही क्यों ?

आप इस कॉलिज की अध्यापिका हैं ,यदि मैं पूछता हूँ ,तो उन्हें यह जानने की इच्छा होगी कि ये तो कॉलिज के ही नहीं है ,इन्हें यह बात कैसे पता चली ?

 उनकी आपस की मंत्रणा समाप्त होती है ,छात्र भी आपस में बातें कर रहे थे। तब मैडम बोलीं -देखिये ! आप [सुधांशु जी ]की तरफ इशारा करते हुए बोलीं -हमारे कॉलिज की छात्रा ऋचा के कारण आये हैं।  जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं ,हमारे मध्य हमारे कॉलिज की एक छात्रा ऋचा नहीं रही। पुलिस का मानना है कि उसकी हत्या हुई है ,और कुछ सबूत भी मिले हैं कि उसके साथ बलात्कार भी हुआ है। यह घृणित कार्य किसी ने तो किया तो है ,जिसने भी यह कार्य किया है ,सही नहीं किया। यदि आप लोगों को किसी पर शक होता है तो आप हमें बता सकते हैं। 

मैडम !आप ये कैसी बातें कर रहीं हैं ?यदि किसी को पता भी होगा तो वह दुश्मनी क्यों मोल लेना चाहेगा ?ये तो पुलिस को ही पता लगाना चाहिए कि आखिर ऋचा का दुश्मन कौन था ,किसने उसके साथ ऐसा घृणित कार्य किया ?

पुलिस भी अपना कार्य कर रही है किन्तु मैं ये जानना चाहती हूँ ,किसी का  ऋचा से कभी कोई झगड़ा हुआ था या कोई भी ऐसी छोटी -से छोटी बात ,जो हमको उस केस को सुलझाने में सहायक हो सकती है। आपको क्या लगता है ? बस में जाते समय किसी ने कुछ कहा हो, या उसका किसी से झगड़ा हुआ हो या फिर उससे बहुत पहले कुछ हुआ हो और उस लड़के को, जो मौक़े की तलाश में था ,मौका मिलते ही ,उसने अपना बदला ले लिया, कहते हुए ,गौरी जी और सुधांशु जी की नजरें प्रकाश पर जाकर टिक गयीं। प्रकाश !तुम बताओ !तुम्हारे सामने ऋचा से किसी का झगड़ा हुआ हो अथवा ऋचा ने किसी का दिल दुखाया हो। 

मैं नहीं जानता ,मेरी तो उससे कोई विशेष जान -पहचान भी नहीं थी। यदि आपको यही सब पूछना है ,तो इस सबकी मुझे कोई जानकारी नहीं है। वो कब, किससे मिलती थी ?किससे उसकी दोस्ती थी ?कहाँ जाती थी ?मैं नहीं जानता ,मेरा विचार है ,अब मुझे चलना चाहिए ,मेरी क्लास भी है, चलते समय वापस मुड़ा और बोला -वैसे मैं आपको ये बता दूँ ,इस कॉलिज में और भी लड़के हैं ,जो बहुत कुछ करते हैं और उन्हें कोई नहीं देखता और न ही किसी का उस ओर ध्यान जाता है। 

तुम अपनी जगह सही हो किन्तु तुम हो या कोई ओर ,हमें किसी न किसी से तो शुरुआत करनी ही होगी। किसी से तो पूछना ही होगा,अब उन्हें लग रहा था ,इस तरह पहचान छुपाने से कोई लाभ नहीं होगा।  तब सुधांशु जी ने अपना सही परिचय देते हुए कहा-' मैं कोई मनोचिकित्सक नहीं ,वरन पुलिस में ही हूँ और ये केस मेरे ही हाथों में है किन्तु मैं देख रहा हूँ ,आप लोगों को सीधे  तरीक़े से कोई बात समझ में नहीं आती। मैं डराकर नहीं प्यार से पूछना चाहता था। जिस किसी के कारण या जिसने भी ये क़त्ल किया है, वो बचेगा नहीं ,लगभग हम उसके करीब ही हैं किन्तु किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले हमें बातचीत तो करनी ही होगी कहीं हम गलत दिशा में तो नहीं जा रहे और तुम प्रकाश !तुमसे हमें ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी। ऋचा तुम्हारे कॉलिज ,तुम्हारी कक्षा की छात्रा थी। तुम्हें तो हमारा सहयोग करना चाहिए और तुम ही इस तरह का व्यवहार करोगे तो अन्य छात्रों से हम क्या उम्मीद लगा सकते हैं ?

सॉरी सर !मुझे लगा आप लोग मुझ पर ही शक़ कर रहे हैं। 

शक़ करना एक अलग बात है ,शक़ तो अभी हमें कॉलिज में लगभग जितने भी लड़के हैं ,सभी पर है किन्तु यह घटना 'तुम लोगों के' ट्रिप 'पर जाने के पश्चात हुई है इसीलिए उन लड़कों पर पहले ध्यान जायेगा। अभी तुम यहाँ कुछ ही लड़के हो ,इसीलिए उनसे ही पूछताछ हो रही है। अच्छा ये बताओ !उस रात्रि को क्या कोई विशेष घटना हुई थी ? जो तुम्हें याद न हो, बाद में याद आई हो।

कुछ का कहना है, कि रात्रि में किसी की परछाई को बाहर देखा तो था,किन्तु अभी पता नहीं चल पाया ,वो किसकी परछाई हो सकती है ?क्या  तुमने भी ऐसा कुछ देखा। 

प्रकाश ! उनके सवालों से जैसे उक्ता गया था या फिर इस विषय में कुछ कहना ही नहीं चाहता। अच्छा !तुम अभी जा सकते हो ,दूसरे लड़के को भेजो !

प्रातःकाल उठते ही ,नितिन ने अपने दोस्तों के मुँह पर अच्छे से रंगों के डिजाइन बनाये ,मन ही मन खुश हो रहा था। घरवाले देखेंगे तो हँसते -हँसते लोटपोट हो जायेंगे। उन्हें भी तो पता चले ,हमारे यहाँ की होली कैसी होती है और कैसे मनाई जाती है ?बाहर आकर बोला -दादाजी ! पापा जी ! होली की बहुत -बहुत शुभकामनायें !

सबने उसकी तरफ देखा और हंसने लगे।  

 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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