Shaitani mann [part 133]

'डॉ चंद्रकांत त्रिपाठी' के, लॉकअप से भाग जाने के पश्चात , इंस्पेक्टर सुधांशु, दो सिपाही उसे पकड़ने के लिए उसकी तलाश में भेजता है और स्वयं विकास से कहता है -उसके भांजे को लेकर यहाँ आओ ! मुझे लगता है, हम लोग सही जगह जा रहे हैं। हमारी तलाश, सही दिशा में है। जब रचित यहां आ जाए तो उसे यह नहीं बताना है, उसका मामा यहां से भाग गया है वरना जो भी सच्चाई उसके मुंह से उगलवानी होगी वह नहीं उगलवा पाएंगे। 

कुछ देर पश्चात विकास वहां पर रचित को लेकर आ जाता है, क्या हुआ ?सर! आपने मुझे इस तरह यहाँ क्यों रखा है ?जब मैं संपूर्ण सच्चाई बतलाने के लिए तैयार था, मैंने कुछ भी नहीं किया है , आखिर आप..... मुझसे क्या चाहते हैं ?


तुमने कुछ नहीं किया तो क्या तुम्हारे मामा ने किया है ?मुझे तो लगता है ,तुम्हारा मामा ही ये सब कर रहा था। 

नहीं ,सर !मामा जी ने कुछ नहीं किया। 

क्यों ? क्या मामा ने उस प्रोफेसर को अपने वश में करके उससे, उसी की पत्नी का क़त्ल नहीं करवाया। कोई भला इंसान, वो भी डॉक्टर, जिसे लोग भगवान का दर्जा देते हैं ,क्या ऐसी हरकतें कर सकता है किन्तु तुम्हारे मामा ने कीं। अब इसे तुम क्या कहोगे ?मामा ने तुम्हें घर वापस भेजने की बजाय ,तुम्हारा साथ देना ज्यादा  उचित समझा। 

सर !वहां क्या हुआ था ?हाथ के इशारे से दूसरी तरफ इशारा करके चिराग ने पूछा ,जिस कारण आप लोगों ने मुझे इस तरह बंद कर दिया।

सुधांशु ने महसूस किया इसका ध्यान मेरी बातों में नहीं है ,ये जानता है कि इसका मामा,इधर ही था , सुधांशु बोला -यहाँ क्या हो रहा है , क्या नहीं ?ये हम पर छोड़ दो !था ,कोई अपराधी, भागने का प्रयास कर रहा था। देखो ! जब तुमने कोई गलत काम नहीं किया है तो भागने की आवश्यकता ही नहीं है। 

नहीं, सर !यह बात उस परिस्थिति पर लागू होती है ,कई बार ऐसा हो जाता है, अपराधी कोई और होता है और पकड़ा और कोई जाता है। 

तुम ,काफी जानकारी रखते हो ,यही तो हम नहीं चाहते हैं,कोई निर्दोष पकड़ा जाये, असली मुज़रिम को ही पकड़ना चाहते हैं। 

वही तो मैं आप लोगों से कह रहा हूं, असली मुजरिम नितिन ही है , आप उसे पकड़ कर जेल में क्यों नहीं डालते हैं ?

तुम कौन होते हो ?किसी को दोषी साबित करने वाले ,किसे जेल जाना है ,किसे नहीं ?ये अदालत निर्णय लेगी ,उससे पहले हमें ,हमारी कार्यवाही करनी होगी। जब तक किसी के भी विरुद्ध ठोस सबूत नहीं  मिल जाता है ,हमारी दृष्टि में सभी दोषी हैं ,तुम भी ,हमारी दृष्टि उस[नितिन ] पर भी है किंतु एक बार तुम्हारे मुख से,तुम्हारी कहानी सुनना चाहते हैं ,अचानक क्रोधित होते हुए शेखर बोला।  

घबराकर अचानक ही रचित बोल उठा -सच्चाई कोई विशेष नहीं है, जब वह दो महीने के लिए शिमला गया था, वहीं पर उसने, एक लड़की की हत्या की थी।

तुम्हें कैसे मालूम ?वो कहाँ और कितने दिनों के लिए जा रहा है ,तुम तो उससे मिले भी नहीं थे,विकास की इस बात पर रचित चुप हो गया अपनी बात को जारी रखते हुए ,उसने पूछा - यह बात तुम कैसे कह सकते हो ? कि हत्या उसने की है ,तुम तो वहां थे ही नहीं। 

हां वह तो है, किंतु मेरे मामा ने मुझे बताया, कि नितिन किसी लड़की से मिलता हैऔर उसकी हत्या भी उसने की है।

ये मामा -भांजे नितिन के पीछे थे ,ये तो उससे बदला लेना चाहता था ,अब दोनों ने तरक़ीब लड़ाई ,एक उसके पीछे जायेगा और दूसरा यहीं रहकर नजर रखेगा ,क्यों मैं सही कह रहा हूँ ,न.... सुधांशु ने उसके चेहरे पर नजरें गड़ाते हुए पूछा। 

सर !ये तो आप हम पर सरासर इल्ज़ाम लगा रहे हैं ,मुँह बनाते हुए रचित ने कहा। 

ये तो शुक्र मनाओ !अभी इल्ज़ाम ही लगा रहे हैं ,साबित हो गया तो सीधे जेल जाओगे !समझे! विकास का रवैया अब रचित के प्रति सख़्त हो गया था।   

अच्छा, ये बताओ !तुम्हारे पास, उसके विरुद्ध कोई सबूत है , हाँ सर! उस होटल में उसका रहना, फिर किसी से मिलने जाना और कुछ दिनों पश्चात उसकी हत्या की खबर सुनना।

 यह भी तो हो सकता है, यह हत्या किसी और ने की हो। 

और कोई क्यों करेगा ? और किसी को उस लड़की से क्या दुश्मनी हो सकती है ?

  नितिन की भी उस लड़की से क्या दुश्मनी थी ?

यह तो वही बता सकता है। 

वह बता ही नहीं सकता क्योंकि वह कहता है -कि मुझे कुछ भी याद नहीं है, हां इतना याद आता है कि वह शिमला गया था वह भी अपनी मानसिक परेशानी को कम करने के लिए। 

तब उसने वहां जाकर क्या किया ?

क्या किया ?

किसी लड़की से संबंध बनाये और उसे मार डाला।

तुम इस बात पर अधिक जोर क्यों दे रहे हो ? यह हत्यारा कोई और भी तो हो सकता है, क्योंकि इतनी हत्याएं वह कर ही नहीं सकता , एक दो नहीं, कई हत्याएं हुई हैं।  यह केस इंस्पेक्टर कपिल के पास था मेरे पास ये केस तब आया जब कविता और ऋचा की हत्या हुई थी।फिर तो तुम ये भी जानते होंगे ,ऋचा और कविता की हत्या किसने की होगी ?

हो सकता है,इनमें नितिन का ही हाथ हो रचित ने अंदाजा लगाया। 

तुम शिमला और आस -पास हुई हत्याओं को लेकर विश्वास के साथ कह रहे हो ,ये हत्याएं नितिन ने कीं ,तब तुम इन दो लड़कियों के साथ इतने श्योर क्यों नहीं हो ?क्या तुम जानते हो , उन हत्याओं में, क्या बात एक जैसी थी ? अपराधी हत्या करके उस लड़की का हाथ काट देता था। भला ! वह ऐसा क्यों करता होगा ? क्यों उसे अंगूठी पहनाता  होगा ?

 क्योंकि वह सौम्या का बदला अन्य लड़कियों से ले रहा था। सौम्या ने उससे सगाई न करके किसी अन्य लड़के से सगाई की इसीलिए उसे ऐसा लगता होगा कि यह सौम्या का हाथ है , और उसका हाथ काट देता होगा। 

अच्छा, तुम कह रहे हो तो मान लेते हैं, किंतु नवीन हमें ऐसा सनकी तो नजर नहीं आता।तुम तो अभी छह महीने पहले इस कॉलिज में आये और उनकी प्रेम कहानी तो दस महीने पहले ही समाप्त हो गयी थी। 

 सर ! आप भी कैसी बातें करते हैं ?कॉलिज में चर्चा तो होती ही रहती है। 

अच्छा !हमें मालूम नहीं था ,नितिन को इतने लोग जानते है ,जैसे वो कोई प्रसिद्ध व्यक्ति हो। 

वही तो मैं कहना चाहता हूं , अवश्य ही यह कार्य किसी सनकी का हो सकता है। गहरी सांस लेते हुए उन्होंने रचित से पूछा- तब वो उसके बाल क्यों काटता होगा ? क्या उसे लंबे बाल वाली लड़कियां पसंद नहीं हैं। 

यह सब मैं कैसे कह सकता हूं ? आप उसे बुलाएं और उससे पूछताछ कीजिए और उसे गिरफ्तार भी कर लीजिए और मुझे जाने दीजिये। 

ठीक है ,किन्तु हमने तो सुना है ,तुम तो उसके बहुत अच्छे मित्र थे, क्या अब  मित्रता नहीं रही या फिर उस हादसे के कारण अब उससे बदला लेना ही चाहते हो। 

नहीं सर !ऐसा तो कुछ भी नहीं है। 

तुम्हारी बातों से तो ऐसा ही लगता है ,अच्छा एक बात बताओ !क्या नवीन नींद में चलता है ?उसे यह बीमारी है। 

नहीं सर !उसे ऐसी कोई बीमारी नहीं है ,यदि वो ऐसी बात कर रहा है ,तो वह झूठ बोल रहा है। 

ऐसा भी तो हो सकता है ,कोई उसे सम्मोहित कर रहा हो ,इस बात से रचित एकदम चुप  हो गया। उसके दोस्त भी कह रहे  थे -कि वह नींद में चलता है और न जाने कहां पहुंच जाता है ? ऐसे समय में वह किसी को पहचान भी नहीं पाता है ऐसा लगता है, वह किसी के वश में है। 

यह सब उसके ड्रामे हैं , एकदम से उत्तेजित होते हुए रचित बोला। 

कहीं ऐसा तो नहीं, तुम्हारे मामा ने ही , उसके साथ ऐसा कुछ किया है जैसा उन्होंने प्रोफेसर के साथ किया। रचित को चुप देखकर वह बोले -भूल गए या अभी याद दिलाना बाकी है,तुमने ही  बताया था। 

वो तो मामा जी से इलाज़ करा रहे थे ,सफाई देते हुए रचित बोला। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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