Shaitani mann [part 63]

 नितिन, अपनी ही उलझनों में उलझा हुआ था, उसे समझ नहीं आ रहा था, कि वह क्या करें? उसके साथ यह सब क्या हो रहा है? किंतु कर भी क्या सकता है ? वह अपनी उलझनों को सुलझाना चाहता है ,वह अपने दोस्तों से बात करके अपनी समस्याओं निदान चाहता है। तभी उसकी मम्मी का फोन आ जाता है और वे अपने बेटे से शिकायत करती हैं - इतने दिन हो गए, तूने बहुत दिनों से फोन भी नहीं किया। 

नितिन ,अब  अपनी मां से क्या कहे ? कि वह किन परेशानियों में उलझा हुआ है ?जब इस कॉलिज में आया था तो उसका मन कितना शांत था ? पढ़ाई भी अच्छे से हो जाती थी ,''बुराइयां ''उसके आस -पास मंडराकर उसकी परीक्षा ले रहीं थीं। उसने ,उनसे बहुत ही बचने का प्रयास भी किया किन्तु'' शैतानी मन ''उस पर अपने पाश फेंकता रहा। पहले उसने, उसे धन के लालच में फंसाया ताकि उसके मन की दबी लालसाएं वह पूरी कर सके ,जो अब तक मन के किसी कोने में समय की प्रतीक्षा में सिमटी हुई बैठी थीं। 


उसकी इन  लालसाओं, को' कार्तिक चौहान ''हवा देता है.''और उन्हें पूर्ण करने का रास्ता भी सुझाता है। शैतान का यह पहला पाश था जिसमें नितिन लगभग फंस चुका था। नितिन की आकाँक्षाओं को बल मिला ,साथ ही बुराई भी उसके अंदर प्रवेश करने लगी। जिसका नितिन को पता ही नहीं चला। धनोपार्जन के लिए ,उसने नशीले पदार्थ बेचे ही नहीं बल्कि उनका सेवन भी करने लगा। उसके अंदर की शांति अब बेचैनी में बदल गयी थी। उसके अंदर का अहंकार उससे कुछ भी, हासिल करने का साहस देता था ,जिसके कारण वह सौम्या से उम्मीद लगा बैठा। 

तू मेरी बात सुन भी रहा है ,मैं तुझसे क्या कह रही हूँ ?उधर से पद्मिनी जी ने पूछा। 

माँ का स्वर सुनकर जैसे, उसकी तंद्रा टूटी  उसे तो पता ही नहीं चला कि उसकी मम्मी ने, कब उसे फोन किया था। मम्मी की शिकायतों का जवाब, उसके पास एक ही था - कार्य में व्यस्त था या फिर पढ़ाई में व्यस्त था। घर गए हुए भी उसे बहुत दिन हो गए थे, तब उसकी मम्मी उससे कहती हैं  -कम से कम एक बार तो घर आजा ! बहुत दिन हो गए ,तुझसे  मिलने का बहुत मन कर रहा है ,क्या तुझे हमारी याद नहीं आती ,अपने माता -पिता से मिलने का दिल नहीं करता।

 अब वो अपनी माँ से कैसे कहे ?उनके बेटे का मन अब ''शैतानी मन ''हो गया है ,जो बुराइयों में फंसा है।  इन सबसे  नितिन भी बहुत ही परेशान है, वह उन परेशानियों में उलझता ही जा रहा है ,तब वह सोचता है- हो सकता है, शायद , घर जाकर ही मन बदल जाए,थोड़ा सुकून मिले।  कुछ दिन के लिए घर हो ही आता हूं यह सोचकर वह अपनी मम्मी से कहता है -मैं कुछ दिनों के लिए घर आ रहा हूं ,कहकर वह फोन काट देता है।  

नितिन,के दोस्तों को आश्चर्य होता है।  यार! यह तूने क्या कह दिया -तेरे घर में शराब और  मांसाहार कोई नहीं करता है , तब क्या तू वहां रह पाएगा ? उन्हें पता चल गया तो क्या होगा ?

क्या होगा ?कुछ दिनों के लिए, अपने पर नियंत्रण रखना होगा ,कह तो वो यही रहा था किन्तु उसके ''शैतानी मन'' में  कुछ और ही चल रहा था। 

हमें तो नहीं लगता कि तू अपने पर नियंत्रण कर पाएगा , किंतु अभी कैसे जा रहा है ? तुझे पता नहीं है कि परीक्षाएं सिर पर हैं। 

मैं जानता हूं ,किन्तु उनसे पहले तो होली है ,एक बार त्यौहार घरवालों के साथ मनाकर आ जाता हूँ वरना पचास सवाल खड़े हो जायेंगे। तुम्हारे घरवालों को तो तुम्हारी फ़िक्र नहीं है किन्तु मेरे घरवालों को तो है ,उन्हें ताना मारते हुए वह कहता है। उनके लटके हुए चेहरे देखकर ,नितिन हँसते हुए बोला -सॉरी यार सॉरी !

 अब छुट्टी न भी ली तो क्या कर सकते हैं ?पूरी साल तो पढ़े नहीं , अभी कुछ दिनों में क्या उखाड़ लेंगे ?चिंतित होते हुए सुमित कहता है। 

 पहले की तरह ही, तरीका अपनाना होगा। न जाने, पूरी साल कैसे निकल जाती है ? पढ़ने को समय ही नहीं मिलता ,हमारे साथ तो लड़की का चक्कर भी नहीं रहा। 

यार ! अबकी बार बहुत सख्ताई होगी ,अबकि बार' त्रिपाठी सर' भी नहीं हैं। 

क्यों ?उन्हें क्या हुआ ? नितिन ने आश्चर्य से पूछा। 

क्या तू भूल गया ? पिछली बार उन्होंने पेपर लीक कर दिया था तो सारे कॉलिज में यह बात फैल गयी थी।   किसी ने उनकी शिकायत कर दी थी।  

हाँ ,यार ! हम जैसों के लिए उन्होंने यह कदम उठाया जिसका दंड उनको मिला ,इसका हमें बहुत अफ़सोस है किन्तु एक गया तो दूसरा आएगा ,महान आदमियों की इस दुनिया में कमी थोड़े ही है,कहते हुए हंसने लगा। 

महान नहीं ,लालची कहो !लालची ! ऐसे लालचियों के कारण ही तो ,हमारे देश में अंग्रेज  घुस सके ,बेचारा पोरस अपनी जान देकर भी, वो कुछ न कर सका जो आम्भिक के लालच ने कर दिखाया। 

यार !तू कहाँ की बात लेकर ,कहाँ इतिहास में घुस गया ? यहाँ हमारे भविष्य का सवाल है।

कौन सा भविष्य ?जिसकी चिंता न ही हमें है और न ही, हमारे घरवालों को ,मन में एक टीस सी उभरी और वहीं दबा दी गयी। 

तुम लोग बेकार की बातें मत करो! ये समझो ,शिकायत त्रिपाठी सर की नहीं,बल्कि  हमारी शिकायत की गयी ये समझो ! हमसे जलने वाले भी कम नहीं हैं किसी को हमें आगे बढ़ते देखना अच्छा नहीं लगता, सब यही चाहते हैं, हम फेल होते रहें और इसी कॉलेज की आमदनी बढ़ाते रहे। हम जीवन में सफल न हो जाए हंसते हुए सुमित बोला। 

तू सही कह रहा है, यदि हम लोग यहां से पास होकर चले गए, तो कॉलेज वालों की आमदनी बंद हो जाएगी हमारी फीस से ही तो कॉलेज चलता है।

 फीस से ही नहीं हमारे, इन धंधों से भी कॉलेज चलता है। कार्तिक भैया, न जाने किस-किसकी मुट्ठी गर्म करते हैं। तब हमें काम करने को मिलता है, और यदि नितिन पिछले वर्ष पेपर न निकलवाता , तो हमारा काम कैसे चलता ? पास तो हो ही गए, आगे की आगे देखेंगे किंतु अब तक तो हमारे हितैषी'' त्रिपाठी सर'' ही नहीं रहे हैं किंतु अबकी बार यह कार्य कौन करेगा ? चिंतित स्वर में रोहित ने पूछा। 

उनके बदले में जो सर आए हैं, वही अपना कार्य करेंगे नितिन पूरे आत्मविश्वास के साथ बोला -पैसा किसको बुरा लगता है ? आजकल महंगाई और खर्चे इतने हो गए हैं सब खुलकर जीना चाहते हैं , उनके भी तो बाल- बच्चे होंगे ,कहते हुए नितिन ने उन्हें आँख मारी।  

यार ! तेरे मुंह से ऐसी अच्छी-अच्छी बातें सुनकर, अच्छा लगता है, सुमित उसके करीब आते हुए बोला -पहले जो भी तू बातें करता था मेहनत की, पढ़ने की वह मुझे कतई भी अच्छी नहीं लगती थीं  किंतु अब तो तू हमारा मित्र हो गया है। जब तूने ठान ही लिया है कि हमें क्या करना है ?तो तू बेफिक्र होकर अपने घर जा सकता है। भाई, घर वालों का भी तो अधिकार बनता है कि अपने बच्चों से साल में एक बार मिलने का , मुस्कुराते हुए सुमित बोला। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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