अपने कॉलिज की प्रतिष्ठा को बनाये रखने के लिए,प्रधानाचार्य जी,चाहते हैं -कि जिसने भी ऋचा के साथ ऐसा कुछ भी किया है ,उससे ,उसकी जानकारी लेकर हम स्वयं उस छात्र को पुलिस के हवाले कर देंगे किन्तु इस बात के लिए हमें उन बच्चों को अपने विश्वास में लेना होगा ताकि वहां क्या हुआ और किसने यह कार्य किया होगा ?इसकी जानकारी मिल सके, इसके लिए वे ''डॉक्टर सुधांशु'' जी को बुलाते हैं ,जो एक मनोचिकित्सक हैं किन्तु छात्रों को उनके कॉलिज में आने से ही आपत्ति थी।
तब वो कहते हैं - मुझे तो आप लोगों से कुछ बातें करनी हैं ,तब उन्होंने उन अध्यापिका की तरफ इशारा किया और वो वहां से उठकर चलीं गयीं। उनके जाने के पश्चात ,डॉक्टर सुधांशु जी बताते हैं -क्या आप लोग जानते हैं ?अभी कुछ दिनों पहले आपके कॉलिज की एक लड़की के साथ,किसी ने गलत कार्य किया और उस हादसे में उसकी मौत भी हो गयी ,जो आप लोगों के साथ ही ,घूमने गयी थी। आप लोग, उसका नाम भी जानते ही होंगे -ऋचा ! किन्तु आप लोग ये नहीं जानते कि वो मरी नहीं ,वरन उसे मारा गया है। क्या तुम लोगो में से किसी की ये हरकत है ?तो हमें बता सकते हैं क्योकि पुलिस को संदेह है, ऋचा के साथ, किसी ने गलत हरक़त यानि उसका बलात्कार किया और अपना गुनाह छुपाने के लिए उसे मार दिया।
'डॉक्टर सुधांशु' की बातें सुनकर सभी सकते में आ गए और एक -दूसरे की तरफ देखने लगे जैसे आपस में ही ,उन लड़कों में ऋचा के कातिल को ढूंढ रहे हो। अच्छा बताओ ! यह किसकी हरकत हो सकती है ? नितिन ने पूछा।
यह हम कैसे कह सकते हैं ? जब हमने किसी को देखा ही नहीं।तुम भी तो हमारे साथ ही थे फिर हमसे क्यों पूछ रहे हो ?प्रणव बोला।
उनकी बातें डॉक्टर सुधांशु सुन रहे थे और बोले -तुम 10 लड़के हो , 8 लड़कियां तुम लोगों के साथ गई थीं । लड़कियों को हटाने की पश्चात, बाकी 10 लड़के बचे, इनमें से ही, किसी ने तो ऐसी हरकत की होगी।
सर ! लड़कियों में से भी तो कोई हो सकता है , और आप हम पर ही इल्ज़ाम लगा रहे हैं ? क्या मालूम ? उससे किसी ने बदला लिया हो, विनीत ने संभावना व्यक्त की।
मैं तुम्हारी बात समझ सकता हूं , किंतु तुमने मेरी बात को शायद , ध्यान से नहीं सुना , मैंने कहा था -उस लड़की का बलात्कार हुआ है।
ऐसा आप कैसे कह सकते हैं ?
ये मैं नहीं कह रहा ,ये पुलिस की छानबीन से पता चला है ,मैं ये जानना चाहता हूँ कि क्या किसी ने बदला लिया है ?या बेचारी बच्ची को, अपने क्षणिक सुख के लिए मार डाला। मैं इल्ज़ाम नहीं लगा रहा हूँ , मैं सच्चाई की तह तक जाना चाहता हूं।
जिसने यह कार्य किया भी होगा ,तब आपको क्या लगता है ?वो अपनी गलती स्वीकार करके चुपचाप ,अपना अपमान करवाकर ,जेल चला जायेगा,पीछे बैठे एक छात्र ने अपना विचार बतलाया।
तुम सही कह रहे हो किन्तु यदि वह बच्चा अपनी गलती स्वीकार कर भी लेता है ,तो कॉलिज वाले ,क्या उसे बचाने का प्रयास करेंगे ?
वही तो..... कॉलिज वाले चाहते हैं कि यहाँ पुलिस न आये और आप लोगों को,उनकी मार और पूछताछ से न जूझना पडे, उनके शक के घेरे में तुम सभी हो। डॉक्टर सुधांशु की नजर एक -एक बच्चे पर थी ताकि उनके व्यवहार से कुछ तो पता सके,तब वो बोले - पुलिस को वहां एक सुराग भी मिला है।
कैसा सुराग़ ?सभी एक साथ बोल उठे।
ये मैं कैसे बता सकता हूँ ? वो तो पुलिस के पास है ,तभी हम लोग पहले से ही, प्रयास कर रहे हैं ताकि हमें कुछ सच्चाई तो मालूम हो। यह उन्होंने अँधेरे में तीर मारा था किन्तु वो तीर किसी न किसी की तरफ तो गया ही है,तब वे आगे बोले -उन्हें झाड़ियों में ऐसा कुछ तो मिला है जिसके कारण उस क़ातिल को पकड़ा जा सकता है। अब आप लोग जा सकते हैं ,मैं आज चार बजे तक यहीं उपस्थित रहूंगा ,आप चाहें तो, कोई भी आकर मुझे ये बता सकता है कि उसने ऐसा क्या देखा ?अथवा उसका संदेह किस पर जाता है ?
सभी छात्र ,उठकर बाहर चले गए ,तब विनीत बोला -भला ऋचा से किसी को क्या दुश्मनी हो सकती है ?मेरी नजर में तो कोई भी ऐसा नहीं है ,कहकर आगे बढ़ गया और बोला -मैं जा रहा हूँ ,न ही मैंने किसी को देखा और न ही किया है।
मैंने तो सुना है ,किसी ने एक परछाई देखी है ,डॉक्टर सुधांशु ने कहा।
अचानक प्रकाश ने पूछा -ये कौन कह रहा था ?
ये तो ध्यान नहीं ,किन्तु क्या परछाई से क़ातिल का पता लगाया जा सकता है ?मुझे तो ये डॉक्टर भी कोई डॉक्टर नजर नहीं आ रहे ,ये पुलिस केस है ,उसको एक मनोचिकित्सक संभाल रहा है। क्या बेतुकी बात हो रही है ?कबीर बोला -अब मैं भी चलता हूँ। सभी छात्र कोई न कोई बहाना बनाकर वहां से चले जाते हैं।
लगभग तीन बजे के करीब डॉक्टर सुधांशु के समीप एक कागज़ की पर्ची आती है ,जिसमें लिखा था -श्रीमान !मैं पूर्ण विश्वास के साथ तो नहीं कह सकता किन्तु जहाँ तक मुझे लगता है -नितिन अथवा उसके दोस्त ऋचा के गुनहगार हो सकते हैं ,मैंने ऋचा के टेंट के पास एक परछाई देखी थी जो नितिन से मेल खाती है और इन लोगों ने वहां रात्रि में शराब भी पी थी। मैं यह नहीं चाहता कि इन सबमें मेरा नाम आये ,मेरा संदेह जिस पर था, मैंने आपको बता दिया बाक़ी आप अपने तरीक़े से जानकारी प्राप्त करें।
यह तुम्हें किसने दिया ?उस पर्ची को उलट -पुलटकर देखते हुए ,सुधांशु जी ने उस व्यक्ति से पूछा।
पता नहीं सर !वहीँ फाइलों के पास इस पर्ची के साथ रखी थी ,कहते हुए उसने एक और पर्ची उनके सामने रख दी जिसमें लिखा था -दूसरी पर्ची डॉक्टर सुधांशु जी को दे देना।
लगता है ,यह बड़ा ही शातिर लड़का है ,अपना कोई नाम भी नहीं लिखा ,पता नहीं, यह पर्ची किसने लिखी होगी ?
दयाराम !तो चला गया और सुधांशु जी प्रधानाचार्य जी के कक्ष की तरफ चल दिए और उनके सामने वह पर्ची लेजाकर रख दी।