नितिन ,यह सब क्यों कर रहा है ?ये सब अपनी इच्छा से से कर रहा है या फिर उसका ''शैतानी मन ''उससे ये सब करवा रहा है। जो भी है ,वो उस मार्गदर्शक का अनुसरण नहीं करना चाहता ,उसके पहाड़ी की तरफ जाने से मना करने पर भी वह कहता है -उधर जाकर एकबार तो देखना चाहिए।
तब वह मार्गदर्शक सभी बच्चों से कहता है - चलिए आगे बढ़िये ! अभी यह काफी बड़ा है उसको देखने में भी बहुत समय लग जाएगा और वहां भी एक स्थान ऐसा बना हुआ है जहां पर आप लोग बैठकर कुछ आराम कर सकते हैं और भोजन भी कर सकते हैं। सब लोग, आगे बढ़ गए किंतु नितिन बार-बार उस रास्ते की तरफ ही देख रहा था उसकी ऊंचाइयों को देख रहा था मन ही मन सोच रहा था -ये लोग भी तो वहां जाकर वापस आए हैं फिर वे लोग कहां रह गए ?जो आज तक नहीं मिले, हो सकता है ,वह लोग गए ही न हो या उनके साथ कुछ हादसा हुआ हो। किसी ने जानने का प्रयास भी नहीं किया।
ए लड़के ! तुम किधर देख रहे हो ? उधर जाने का प्रयास भी मत करना, वहां पर बहुत सारे जानवर भी हैं।
वह जानवर इधर भी तो आ सकते हैं , नितिन ने अपना संदेह व्यक्त किया।
नहीं, हम लोगों ने, उसका भी इंतजाम किया हुआ है , एक सीमा के पश्चात वह इधर नहीं आ सकते। दोपहर का एक बज चुका था। सबने मिलकर भोजन किया और सावधानी से , सभी सामान उठाकर आगे बढ़ गए।
नितिन को, इस तरह शांत आज्ञाकारी बच्चों की तरह घूमने में,मजा नहीं आ रहा था। अपने दोस्तों से बोला - अब हम कॉलेज में हैं ,स्कूल में नहीं है। मुझे मालूम नहीं था, कि यहां घूमना इतना बोरिंग हो जाएगा।अब उसका ''शैतानी मन '' कुछ और चाहता था।
तुम सही कह रहे हो, कविता बोली -इस तरह घूमने में कोई मजा नहीं है और न ही, कोई रोमांच !
तो तुम क्या चाहते हो ? तुम्हें शेर के आगे डाल दें ! शेर तुमसे कुश्ती करेगा तब मजा आएगा हंसते हुए सुमित बोला, उसकी बात सुनकर सभी हंसने लगे।
तभी नितिन को सौम्या भी आती दिखलाई दी , उसके साथ अध्यापक और अध्यापिका भी थे। नितिन को उसकी बातें स्मरण हुआ है जिन्हें सोच कर उसे बड़ा ही क्रोध आया ,तब उसने रोहित से पूछा -क्या यह भी आई है ?
हां, यह पीछे की सीट पर थी, देरी से आई थी। नितिन के चेहरे के भाव बदलने लगे उसे बड़ा ही क्रोध आया किंतु अपने दोस्तों के सामने कुछ कह नहीं सकता था। वह चुपचाप उठा और आगे बढ़ गया।
अरे नितिन सुन !किधर जा रहा है ?
यहीं पर हूँ ,इस जंगल से बाहर नहीं जा रहा कहते हुए आगे बढ़ गया उसके पीछे और भी कई लड़के -लड़कियां चल दिए। सफर बड़ा ही थकावट वाला था।
तभी गोपी बोला -कोई भी अपनी मर्जी से इधर-उधर नहीं जाएगा , यदि कोई इधर-उधर चला भी जाता है, तो जंगल में , वह रास्ता भटक सकता है।
करीब ही एक झरना बह रहा था ,उसकी आवाज आ रही थी ,क्या यहाँ कोई झरना भी है ?तब रोहित ने पूछा।
हाँ ,करीब ही एक झरना है ,चलिए !आपको उधर लेकर चलता हूँ ?
आप लोग तो ,इन चीजों को देख -देखकर इनके आदी हो गए होंगे ,कुछ भी अलग नहीं लगता होगा ,सुनंदा ने पूछा।
सही कह रहीं हैं ,हमारे न जाने न कितने चक्कर लग जाते हैं ?
क्या यह जल शुद्ध है ?सुमित ने पूछा।
जी हाँ ,यहां से शुद्ध जल ही बहता है ,तभी सभी दौड़कर उस झरने की तरफ गए और अपने मुँह -हाथ धोये और पानी भी पीया।
देखिये !अभी आप लोगों को अभी और आगे जाना है ,जो भी जल वग़ैरहा लेना है ,ले लीजिये !
क्यों ?क्या आगे और कोई झरना नहीं है ?
जल का एक श्रोत और है ,एक तालाब है किन्तु उसका जल शुद्ध नहीं हैं ,उसमें विषैले सर्प और अन्य जीव भी हैं। और आगे जाने के लिए कल आप गाड़ी ले लीजियेगा वरना वापस आने में बहुत समय और थकावट दोनों ही बढ़ जाएगी।
आज तो चलते हैं ,कल की कल देखेंगे।
श्रीवास्तव जी !यह जंगल काफी बड़ा है ,अब थकावट भी हो रही है ,दिन भी ढलने वाला है ,क्यों न उस तालाब के करीब ही ठहर लेते हैं ,वहीं तम्बू गाड़ लेंगे सावित्री जी ने पूछा।
आप सही कह रहीं हैं ,आज बहुत थकावट हो गयी कल तो शायद चला भी नहीं जायेगा ,जीप कर लेंगे। तब उन्होंने उस गोपी नाम के मार्गदर्शक से पूछा -यह जंगल अभी और कितना बड़ा है ?
श्रीवास्तव जी की बात सुनकर मार्गदर्शन हंसा और बोला -सर !अभी तो आधे में भी, नहीं गए हैं , यदि आपको इसी तरह यह पूरा जंगल घूमना है तो चार -पांच दिन लग जाएंगे इसीलिए तो, गाड़ी का भी इंतजाम है।
ठीक है, देखते हैं आगे क्या करना है ? अब यहीं आराम करते हैं।
रात्रि के लिए सभी ने वहां पर, अपने-अपने टेंट लगा लिए , भोजन लेकर वे लोग आए थे, तब गोपी ने कहा था -वैसे तो संपूर्ण तैयारी है,किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं होगी , किंतु कभी-कभी कोई जंगली जानवर आ भी जाता है इसलिए यहां पर आग जला लीजिए। सभी तैयारी करते हैं,भोजन करके धीरे-धीरे थकावट के कारण सबको नींद आने लगती है और सब अपने-अपने टेंट में जाकर सो जाते हैं किंतु नितिन की शराब की बोतल खुल चुकी थी , थकावट तो उसे भी हो रही थी ,नींद नहीं आ रही थी, उसने भोजन भी नहीं किया था। तब उसने अपनी बोतल खोल ली। उसे बोतल खोलते देख कर, सुमित और रोहित हैरत में पड़ गए और बोले -तू यह यहां भी लेकर आया है। सर! ने देख लिया तो क्या होगा ?
क्या होगा ? पहली बात तो वे यहां आएंगे ही नहीं, आ गए तो उन्हें भी थोड़ी सी दे देंगे कहते हुए किसी ढीट की तरह हंसने लगा।
तू कुछ ज्यादा ही, नहीं पीने लगा है।
पीने नहीं, जीने लगा हूं कह कर उसने बोतल मुंह से लगा ली। उसे देखकर, रोहित और सुमित भी पीने लगे। अब तक तो रोहित और सुमित ही गलत लड़के नजर आ रहे थे किंतु अब नितिन को देखकर लगता है , यह इन सब का गुरु बनेगा।
जब सभी सो जाते हैं अचानक ही ,न जाने कहां से अंधेरे में एक साया आता है, और किसी दूसरे टेंट में चला जाता है, ऐसे में उसे देख पाना संभव नहीं था सभी गहन निद्रा में थे , अग्नि भी बुझ चुकी थी तभी वह साया किसी को लेकर आता है और नदी की तरफ बढ़ जाता है।
चिड़ियों की चहचाहट के साथ प्रातः काल ही सब उठते हैं, और अपने -अपने टेंट से बाहर आते हैं। बाहर पहले ही श्रीवास्तव जी और सावित्री जी गोपी के साथ बैठे हुए थे और चाय बना रही थी। गुड मॉर्निंग सर ! गुड मॉर्निंग मैम ! कहते हुए सभी छात्र धीरे-धीरे अपने टेंट से बाहर आ गए।
चलिए !आप सभी लोग तैयार हो जाइए ! अब हमें आगे भी बढ़ना है, सभी नाश्ता करके तैयार होते हैं। तभी सुनंदा कहती है-मैम ! ऋचा कहीं नहीं दिख रही है।
क्यों नहीं दिख रही है ? ढूंढो, उसे आवाज लगाओ ! यही कहीं होगी।