Shaitani mann [ part 56 ]

 उन्हीं दिनों ,संयोग से,कॉलेज की तरफ से भी,  कुछ लड़के -लड़कियों का समूह ,घूमने जाने वाला था, उसी में वे लोग भी शामिल हो गए। जो लड़कियां पहले से नितिन को जानती थीं, और उन्हें लगता था कि नितिन की पसंद सौम्या है और अब सौम्या की सगाई दीपक के साथ हो चुकी है। इस बात का नितिन को ही नहीं ,सभी को बुरा लगा था इसीलिए उन्हें उसके प्रति सहानुभूति थी और उससे मधुर व्यवहार करने का प्रयास करती थीं, किंतु अब नितिन ऐसा नहीं रहा।

 वह अब लड़कियों के संग बैठने लगा,उनसे बातें भी करता और उनकी बहुत प्रशंसा भी करता। अब तक तो वह अपने घर से जो संस्कारों की पोटली लेकर आया था उसका बोझ अपने कंधों पर ढ़ो रहा था किन्तु अब लगता है ,उसने वे संस्कार कहीं उतार फेंके किन्तु अभी भी एक दायरे में उसका व्यवहार होता।किन्तु जब से वह उस घर से आया था ,तब से लगता है ,ज़िंदगी जीने लगा है। अब वो दबा -दबा सा ,शांत रहने वाला नितिन नहीं रहा था। 


  किसी के जुल्फों की ,तो किसी की सुंदरता की, किसी के कपड़ों की प्रशंसा करता , वह अक्सर कहता था -यह जिंदगी एक बार ही मिली है, जी भर के जीना चाहिए। अचानक ही उसके विचार, न जाने कैसे बदल गए ? उसके पहले व्यवहार को देखते हुए, उस पर किसी को शक भी नहीं होता था। धीरे-धीरे कविता नितिन के करीब आने लगी, वह उसे  मन ही मन चाहने लगी। किंतु कभी नितिन से कुछ नहीं कहा और न ही नितिन को किसी लड़की से कोई अपेक्षा रह गयी थी। उसे स्वयं ही लगता ,अब उसके जीवन में कोई लड़की नहीं आएगी।  उसे नितिन का यह बदला रूप ही आकर्षित करता किन्तु अक्सर नितिन के बदले व्यवहार को देखकर परेशान भी  होती थी उसे लगता नितिन  जैसे अब आपे  में ही नहीं था। 

कॉलिज की तरफ से वे लोग घूमने भी गए , लड़के- लड़की सभी, अंताक्षरी करते जा रहे थे। अंताक्षरी तो सिर्फ बहाना थी, अपने दिल की बात बताने का,नितिन देखने में ,किसी अभिनेता से कम नहीं लगता था और अब उसका ये नया रूप !उनको आकर्षित करने के लिए काफी था। सौम्या जब भी उसे देखती,उसे नितिन के लिए बुरा लगता किन्तु वो भी क्या करती ? उसे तो नितिन से दिल लगाना ही नहीं था। एक शर्त के तहत वो उसके करीब आई थी किन्तु वो ये नहीं जानती थी कि नितिन, सौम्या को लेकर इतना गंभीर हो जायेगा। वह जानती है ,उसने नितिन का दिल तोडा है,वह शर्त जीतकर भी हार गयी थी इसीलिए इस वर्ष के पश्चात ,वह किसी अन्य कॉलिज में जाने का सोच रही थी। पता नहीं कार्तिक भैया ! ऐसा क्यों चाहते थे ?

 बस में , जो भी लड़की नितिन के पास बैठती,उसे  अपना सौभाग्य समझती। अब  नितिन भी उनसे खूब बातें करने लगा। 

देख, नितिन !कविता तुझे किस तरह देख रही है ?उसे मेरे यहाँ बैठने से जलन हो रही है। 

तो क्या हुआ ?उसे जलने दे , तुम्हारी आंखें बड़ी प्यारी हैं  ? मुस्कुराते हुए नितिन सुनंदा की चेहरे पर आई लटाओं को ठीक करने लगा। 

तभी प्रकाश सुनंदा से बोला -तू ठीक से, नहीं बैठ सकती ,तुझसे अपने बाल भी नहीं सम्भलते। प्रकाश सुनंदा के साथ ही  हॉस्टल में आया ,वो दोनों स्कूल में भी ,साथ ही पढ़े थे।एक ही शहर के  रहने वाले थे। प्रकाश सुनंदा पर जैसे अपना अधिकार समझता था। 

सुनंदा को न ही, नितिन में कोई दिलचस्पी थी ,न ही ,प्रकाश में ,वो तो बस ऐसे मौज -मस्ती करती रहती थी किन्तु प्रकाश के डांटने पर ,मुँह फुलाकर अवश्य बैठ गयी। कुछ देर पश्चात ही ,एक बहुत बड़ा पार्क आया ओर वो लोग बस से उतरकर पैदल ही चल दिए। सभी को चेतावनी दी गयी थी ,कोई भी इधर -उधर न जाये ,यहाँ पर बहुत से जंगली जानवर भी हैं ,सभी समूह में रहें।

सभी अपने-अपने, बैग लेकर आगे बढ़ते हैं ,वह कोई छोटा बगीचा नहीं था। दूर से देखने पर तो लग रहा था ,जैसे बहुत बड़ा जंगल है। सभी आगे बढ़ रहे थे ,धीरे -धीरे कुछ लड़के -लड़कियों का समूह बन गया। साथ में जो अध्यापक आये थे ,वे भी साथ में चल दिए ,तब सावित्री जी बोलीं -मास्टरजी !आप कहाँ बच्चों के साथ जा रहे हैं ?वे लोग, कोई बच्चे नहीं रहे ,जो आप उनके साथ जा रहें हैं। आइये ! एक -एक कप कॉफी हो जाये कहते हुए ,बाहर ही एक चाय -कॉफी की स्टाल थी ,वहीं बैठ गए। कॉफी के लिए कहकर सावित्री जी बच्चों से बोलीं -देखो !हम लोग भी अभी आ रहे हैं। 

यहां पर जो भी नियम बनाये गयें हैं ,उनके अनुसार ही चलना है। जंगल के दाईं तरफ नहीं जाना है ,उधर का रास्ता ही बहुत खराब है ,वो ख़तरनाक पहाड़ी की तरफ जाता है ,जो भी उधर गया है ,वापस नहीं आया है। यह सूचना वहां खड़े मार्गदर्शक ने उन्हें दी।

वैसे तो मैं भी आप लोगों के संग चल रहा हूँ किन्तु मैं आपको पहले ही समझाये देता हूँ ,वैसे तो यहाँ जो भी जीव हैं ,वो काफी दूरी पर हैं , सुरक्षा घेरे में हैं फिर भी ध्यान रखियेगा। 

इसने तो यहाँ इतने नियम बता दिए, इतने तो कॉलिज में भी नहीं थे ,आओ !चलो !हम आगे बढ़ते हैं ,कहते हुए नितिन आगे बढ़ गया ,जिसने भी उसे आगे बढ़ते देखा ,वे भी उसके संग हो लिए ,कुछ लोग वहीँ खड़े रहकर ,मार्गदर्शक की प्रतीक्षा कर रहे थे। अब तक तीन समूह बन चुके थे। एक वो जो अपने जिद्दीपन से अपनी अकड़ में अपनी इच्छा से घूमना चाहता था ,दूसरा समूह जो मार्गदर्शक की प्रतीक्षा कर रहा था। और तीसरा समूह अध्यापकों के संग घूम कर उनके चहेते  बन जाना चाहते थे। वह भी वहीं बैठकर आइसक्रीम, और कोल्ड ड्रिंक पीने लगे।

 पहला  समूह जो नितिन के संग था, वे लोग आगे बढ़ गए, उन्हें लगता था, इतना बड़ा जंगल है एक दिन घूमने के लिए काफी नहीं होगा। वैसे यह लोग 2 दिनों  के लिए आए थे , दूसरा भी थोड़ा पीछे चल रहा था लेकिन दिखाई दे रहा था कि वह भी पीछे ही आ रहे हैं। देखते हुए और जानकारी लेते हुए वे लोग आगे बढ़ रहे थे। सुबह के 9:00 से चले थे, दोपहर हो गई, थककर चूर हो गए। दूसरे समूह की प्रतीक्षा में थे कब वह करीब आए और कब उससे आगे का रास्ता पूछें जब वह लोग करीब आए ? तब  उनसे प्रश्न करते हुए वे लोग आगे बढ़ रहे थे। तभी नितिन ने पूछा -वह कौन सा रास्ता है?  जिस तरफ आपने जाने के लिए, मना किया गया था।

 उस व्यक्ति ने वह रास्ता दिखलाया और बोला -यह रास्ता बहुत ही खतरनाक है, इसकी मिट्टी भी बहुत चिकनी है, फिसलन भरा रास्ता है, और इस तरफ पहाड़ियाँ भी हैं , इनमें कुछ खतरनाक जीव भी हो सकते हैं इसलिए हमने यह रास्ता बंद किया हुआ है इधर कोई नहीं जाता है। 

अभी तो आप कह रहे थे -जो इधर गए हैं वह वापस नहीं आए , आपने यह जानने का प्रयास नहीं किया कि वह कहां फंस गए , उनका क्या हुआ ?

हमारे कुछ लोग गए थे, किंतु ज्यादा गहरे में नहीं गए , उन्हें अपनी जान का भी खतरा था , वहां कुछ भी नहीं मिला।

 हम तो इधर ही जाएंगे एकदम से नितिन बोला। 


laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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