Pidhi ka antar

  पीढ़ी दर पीढ़ी अंतर अभी, समझो तो, विचारों, भावों के राग.....  सभी। 

 ये पीढ़ी भरती उड़ान! नवीन सोच, उमंगों संग, आगे बढ़ने की लेती ठान। 

 पुरानी पीढ़ी कहो, या हो जाती परिपक्व ! ये परंपराओं, संस्कारों को जीती। 

अनुभवों की, पास इनके इक सूची होती, लिए जीवन से ज्ञान!एक उम्र होती। 



नवीन पीढ़ी में, जोश और जज्बा भरा , ले, बड़ों से आशीष !जिनमें ज्ञान भरा। 

अपनी नवीन सोच को ,अनुभवों की बढ़ती दिशा में,पुरानी पीढ़ी जो देती ज्ञान !

नवीन पीढ़ी की नवीन खोज,उनकी ऊर्जा का  तालमेल दोनों  में ग़र हो जाए। 

अंतर दोनों में होने पर भी ,नवीन -पुरानी पीढ़ी का यह ''खालीपन'' भर जाए। 

laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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