पीढ़ी दर पीढ़ी अंतर अभी, समझो तो, विचारों, भावों के राग..... सभी।
ये पीढ़ी भरती उड़ान! नवीन सोच, उमंगों संग, आगे बढ़ने की लेती ठान।
पुरानी पीढ़ी कहो, या हो जाती परिपक्व ! ये परंपराओं, संस्कारों को जीती।
अनुभवों की, पास इनके इक सूची होती, लिए जीवन से ज्ञान!एक उम्र होती।
नवीन पीढ़ी में, जोश और जज्बा भरा , ले, बड़ों से आशीष !जिनमें ज्ञान भरा।
अपनी नवीन सोच को ,अनुभवों की बढ़ती दिशा में,पुरानी पीढ़ी जो देती ज्ञान !
नवीन पीढ़ी की नवीन खोज,उनकी ऊर्जा का तालमेल दोनों में ग़र हो जाए।
अंतर दोनों में होने पर भी ,नवीन -पुरानी पीढ़ी का यह ''खालीपन'' भर जाए।