Safalta ka swad

 तमाम उम्र दौड़ते,चाहत में, इसके पीछे-पीछे।  

यह भी आगे -आगे चलती,दौड़ाती पीछे -पीछे।

लगता अब आई - तब आई ,हाथ में ,जीवन में। 

पलक झपकते ही ,थामते हाथ ,कर देती पीछे। 

 


भागदौड़ ,लुकाछुपी, खेल इसके, चलते रहते। 

हमेशा' मैं' इसके पीछे ,और यह आगे-आगे होती। 

हाथ में आती जीत मेरी ... तो'' बाँछे खिल जाती''। 

खुशी में कहीं झलक दिखाती,अहं से टकरा जाती।

 

परिश्रम बहुत किया , फिर भी यह बाज न आती। 

टिके रहने के वास्ते, बार -बार परिश्रम करवाती।

बिन परिश्रम ,बिन कौशल ,के 'उड़न छू हो जाती। '' 

इसे पाने की चाहत !मंजिल की नई राह दिखाती। 


 आशाओं,उम्मीदों पर ख़रे न उतरे, पीछे -पीछे  दौड़ाती।

 किसी को तो यह,परिश्रम बिन ही, किस्मत से मिल जाती। 

किस्मत जब तक साथ निभाती, यह भी संग चलती जाती। 

धैर्य संग ग़र मिल जाये ,स्वाद बड़ा मीठा,मीठा फ़ल दे जाती।  



laxmi

मेरठ ज़िले में जन्मी ,मैं 'लक्ष्मी त्यागी ' [हिंदी साहित्य ]से स्नातकोत्तर 'करने के पश्चात ,'बी.एड 'की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 'गैर सरकारी संस्था 'में शिक्षण प्रारम्भ किया। गायन ,नृत्य ,चित्रकारी और लेखन में प्रारम्भ से ही रूचि रही। विवाह के एक वर्ष पश्चात नौकरी त्यागकर ,परिवार की ज़िम्मेदारियाँ संभाली। घर में ही नृत्य ,चित्रकारी ,क्राफ्ट इत्यादि कोर्सों के लिए'' शिक्षण संस्थान ''खोलकर शिक्षण प्रारम्भ किया। समय -समय पर लेखन कार्य भी चलता रहा।अट्ठारह वर्ष सिखाने के पश्चात ,लेखन कार्य में जुट गयी। समाज के प्रति ,रिश्तों के प्रति जब भी मन उद्वेलित हो उठता ,तब -तब कोई कहानी ,किसी लेख अथवा कविता का जन्म हुआ इन कहानियों में जीवन के ,रिश्तों के अनेक रंग देखने को मिलेंगे। आधुनिकता की दौड़ में किस तरह का बदलाव आ रहा है ?सही /गलत सोचने पर मजबूर करता है। सरल और स्पष्ट शब्दों में कुछ कहती हैं ,ये कहानियाँ।

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